सियासी एनकाउंटर: ठाकुर के मारे जाने से पूरी हो गई अखिलेश यादव की इच्छा? अनुज सिंह के पिता ने सत्ता और विपक्ष दोनों को लताड़ा!

The Indian Opinion
लखनऊ
दीपक कुमार


सुल्तानपुर डकैती कांड में पिछले दिनों मंगेश यादव का एनकाउंटर होने के बाद योगी सरकार पर ठाकुरवाद का आरोप लगाते हुए यह कहा गया कि सरकार अपराधियों की जाति देखकर एनकाउंटर कर रही है। कुछ लोगों का मानना है कि ठाकुरवाद के आरोपों से घबराई सरकार ने अपनी साख बचाने के लिए, और एक तरह से सफाई देने के लिए, क्षत्रिय परिवार के 22 वर्षीय अनुज प्रताप सिंह को एनकाउंटर में मार गिराया। जबकि उसके खिलाफ केवल एक मुकदमे का आपराधिक इतिहास था और दूसरे मुकदमे में वह वांछित था।

ग्रेजुएशन के छात्र अनुज प्रताप सिंह, जिसकी उम्र मात्र 22 साल थी, को यूपी एसटीएफ ने उन्नाव में एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया है। अनुज प्रताप सिंह पर पहले से एक मुकदमा दर्ज था, और दूसरे मुकदमे यानी सुल्तानपुर डकैती कांड में वह अभियुक्त था। मामले की विवेचना चल रही थी और उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे थे।

लेकिन कुछ दिनों पहले मंगेश यादव एनकाउंटर के बाद जिस तरह से योगी सरकार पर जाति देखकर एनकाउंटर करने के आरोप लगाए जा रहे थे, उससे पूरी सरकार और पुलिस विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। राजनीतिक और सामाजिक दबाव भी महसूस किया जा रहा था। जातिवाद के आरोपों को सत्ता पक्ष ने खारिज किया, लेकिन विपक्ष के नैरेटिव से लोकसभा चुनाव में नुकसान उठा चुकी बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकारें डिफेंसिव मोड में थीं। मात्र एक मुकदमे की क्रिमिनल हिस्ट्री वाले अनुज प्रताप सिंह के एनकाउंटर के बाद सरकार की मनोदशा का अंदाजा लगाया जा सकता है।

कुछ लोग दबी जुबान में कह रहे हैं कि विपक्ष के आरोपों से घबराई और परेशान सरकार 2027 के लिए रिस्क नहीं लेना चाहती। विपक्षी दलों के नेता जहां सरकार पर जातिवाद का आरोप लगा रहे हैं, वहीं एक चर्चित पत्रकार ने भी ऐसे आरोप लगाए। तो क्या ठाकुरवाद के आरोपों से छुटकारा पाने के लिए सरकार ने वांछित अनुज प्रताप सिंह का एनकाउंटर करवा दिया? ऐसी चर्चाएं हो रही हैं। लेकिन यूपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक यह पूरी तरह “ओरिजिनल जेनुइन” एनकाउंटर है, और पुलिस जाति देखकर कोई एनकाउंटर नहीं करती। यह एनकाउंटर भी जाति देखकर नहीं किया गया। अनुज प्रताप सिंह सुल्तानपुर डकैती कांड का वांछित अभियुक्त था। पुलिस उसकी गिरफ्तारी का प्रयास कर रही थी, उसने पुलिस पर फायर किया, और आत्मरक्षा में पुलिस की गोली से उसकी मौत हो गई।

अनुज के पिता कहते हैं, “चलो अच्छा है, ठाकुर का एनकाउंटर होने से अखिलेश यादव के मन की इच्छा तो पूरी हो गई।” वह आगे कहते हैं कि जिन अपराधियों पर 35 से 40 मुकदमे हैं, उनका एनकाउंटर नहीं हो रहा, जबकि जिनके ऊपर एक-दो मुकदमे हैं, उनका एनकाउंटर किया जा रहा है। अनुज प्रताप सिंह 22 साल का नौजवान था, वह ग्रेजुएशन का छात्र था, और उसका विवाह होने वाला था। वह अपने पड़ोसी विपिन सिंह की गलत संगत में फंसकर गुजरात में एक आपराधिक मुकदमे का अभियुक्त बन गया था।

ग्रामीणों का कहना है कि गुजरात से आने के बाद वह शांतिपूर्ण तरीके से अपने घर में रह रहा था और अपने पिता के कोटे की दुकान पर काम करता था। उसके पिता कहते हैं कि उनके बेटे के खिलाफ मात्र एक मुकदमा था और वह सुधारने का प्रयास कर रहा था। उसे मौका मिलना चाहिए था, लेकिन समाजवादी पार्टी की जातिवादी राजनीति के चलते उनका जवान बेटा हमेशा के लिए छीन लिया गया। अनुज प्रताप सिंह के पिता को लगता है कि यूपी पुलिस ने सरकार की छवि सुधारने और जातिवाद के आरोपों का जवाब देने के लिए उनके बेटे को बलि का बकरा बना दिया।

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