क्या कमलेश की हत्या ने यूपी के शासकीय नेतृत्व, और सुरक्षा तंत्र के खोखलेपन का खुलासा कर दिया है? The Indian Opinion



अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में आए कमलेश तिवारी का सर कलम करने के लिए कई मौलानाओं ने फतवा जारी किया था 51 लाख से करोड़ तक के नाम हत्या करने वालों के लिए घोषित किए गए थे इंटेलिजेंस ब्यूरो समेत कई खुफिया एजेंसियों ने कमलेश तिवारी के ऊपर बड़े खतरे को लेकर आशंका भी जताई थी इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के शासकीय नेतृत्व और सुरक्षा तंत्र से जुड़े बड़े अधिकारियों ने इस मामले में अव्वल दर्जे की अदूरदर्शिता लापरवाही और पेशेवर कमजोरी का परिचय दिया।

कमलेश के खिलाफ चल रही थी कानूनी कार्रवाई

इस्लाम के खिलाफ विवादित टिप्पणी को लेकर कमलेश तिवारी के खिलाफ कार्रवाई पहले से चल रही थी सपा सरकार में उन्हें जेल भी भेजा गया था बाद में वह जमानत पर रिहा हो पाए थे उन्होंने जो कुछ किया उसके लिए कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे थे लेकिन इसी बीच लखनऊ में सरेआम उनके घर में घुस के जिस तरह से उनकी हत्या की गई उसके बाद पूरे प्रदेश में दहशत और नाराजगी का माहौल है लोग यह सोच रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में किसी को भी कहीं भी मार देना बहुत आसान है। उत्तर प्रदेश में जब चर्चित लोगों की जिंदगी इतनी सस्ती है तो आम आदमी की सुरक्षा का क्या भरोसा है।

सरकारी तंत्र को पता था कमलेश को है खतरा

उत्तर प्रदेश के सरकारी तंत्र को यह भली-भांति पता था कि कमलेश तिवारी को कितने बड़े स्तर पर जान का खतरा है। केंद्रीय एजेंसियों ने भी इसको लेकर आशंका जताई थी 2 साल पहले सुरक्षा एजेंसियों की गिरफ्त में आए कुछ संदिग्धों ने यह बताया भी उन्हें कमलेश तिवारी के फोटो और वीडियो दिखाए गए हैं और उन्हें कत्ल करने के लिए कहा गया है।
इतना सब होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की सरकार और सुरक्षा से जुड़े उनके विभाग के अफसरों ने उचित कदम उठाना जरूरी नहीं समझा।

सोशल मीडिया पर वायरल है कमलेश की हत्या का मुद्दा

कमलेश की हत्या के बाद से ही सोशल मीडिया पर तरह तरह के मैसेज वायरल हो रहे है कुल मिलाकर इस से उत्तर प्रदेश का अमन चैन बिगड़ रहा है और सांप्रदायिक वातावरण कटुता के साथ ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रहा है।

हिंदू और मुसलमानों के बीच संबंधों को खराब करने में ऐसी घटनाओं का अहम रोल हो जाता है खासतौर पर तब जब मौलानाओं के फतवे का वह वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसने कमलेश तिवारी का सर कलम करने वाले को बड़ा इनाम देने की बात कही गई थी और जिस अंदाज में फतवा जारी किया गया था उसी अंदाज में हत्या हो जाने के बाद लोग शुरू से लेकर अब तक के घटनाक्रम को जोड़कर देख रहे हैं।

योगी सरकार के खिलाफ खड़े हो रहे बड़े सवाल

इस खबर को जानने वाला हर शख्स सवाल खड़े कर रहा है उत्तर प्रदेश के सरकारी तंत्र की नीति नियत और कार्यशैली पर। उत्तर प्रदेश का भारी-भरकम पुलिस महकमा इंटेलिजेंस के अधिकारी आखिर क्या कर रहे थे ? क्या वह समझ नहीं पाए कि विवादित बयानों को लेकर लोगों के निशाने पर आए कमलेश तिवारी के साथ कोई घटना होने पर माहौल बिगड़ेगा ? समाज में भरोसा कम होगा राष्ट्र विरोधी ताकतों को बल मिलेगा..?
इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने दावा किया है कि जल्द हत्यारों को पकड़ लिया जाएगा, लेकिन यही होशियारी पहले दिखाई होती तो शायद यह घटना होने से भी रोकी जा सकती थी।

संवेदनशीलता के आधार पर आम आदमी को भी सुरक्षा देने का नियम है ऐसे में हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी, जिनका मामला जोर-शोर से चर्चित हुआ था उन्हें समुचित सुरक्षा उपलब्ध ना कराकर प्रदेश के सुरक्षा तंत्र के बड़े अधिकारियों ने अपनी कैसी योग्यता का परिचय दिया है, यह आम आदमी की समझ से परे है।

रिपोर्ट – आलोक कुमार