*बेकाबू बढ़ती आबादी देशवासियों की तमाम मुश्किलों की बड़ी वजह.. जनसंख्या विस्फोट सबसे बड़ी समस्या लेकिन देश की सियासत इस गंभीर मुद्दे पर खामोश .. टाइम बम की तरह विस्फोट के इंतजार में नेता .. सभी सियासी पार्टियों के नेताओं की चालबाजियों की सजा भुगतेगी हिंदुस्तान की जनता.. देश में तेजी से हो रहा है आबादी का विस्फोट 2025 में भारत में होगी दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी.. गरीबी भुखमरी नौकरी और रोजगार की कमी महंगाई.. अस्पतालों रेलवे स्टेशन बस अड्डे पर भीड़ सड़कों पर ट्रैफिक जाम.. बढ़ता प्रदूषण हर तरफ गंदगी साफ हवा और पानी की कमी.. बढ़ती जनसंख्या की वजह से अनगिनत मुसीबतें.. वोट बैंक के नाराज होने से राजनीतिक दल और सरकारें इस गंभीर मुद्दे से चेहरा छुपा रही.. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अनियंत्रित जनसंख्या को लेकर दिखाई थी गंभीरता.. ” द इंडियन ओपिनियन” पर आदित्य यादव की खास रिपोर्ट..*


एक अनुमान के मुताबिक साल 2025 तक भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश हो जायेगा। इस समय दुनिया में सबसे अधिक आबादी चीन की है। आबादी यानि जनसंख्या को मानव संसाधन भी कहते हैं। जब किसी देश की आबादी कुशल, शिक्षित, स्वस्थ और तरक्की में साझीदार होती है, तो उसे मानव संसाधन कहते हैं। यही आबादी जब बेरोजगारी, बीमारी और नशे जैसी समस्याओं की चपेट में आ जाए तो वह बोझ बन जाती है और टाइम बम का काम करने लगती है। 

भारत में तेज गति से बढ़ती आबादी इस समय बोझ ही साबित हो रही है। जनसँख्या का विस्फोट टाइम बम की तरह अपना असर दिखा रहा है। लोगों के लिए उपलब्ध कराये जाने वाले तमाम संसाधनों के बाद भी जरूरतों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। अस्पतालों से लेकर स्कूलों तक में लोगों को मारामारी का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेन, बस से लेकर सड़कों तक पर इंसानों की भीड़ इंसान की ही परेशानी बढ़ाती दिखती है। ट्रेनों में चार लोगों की सीट पर दस लोग सवार होते हैं और कई बार तो सफर में मारपीट तक की नौबत आ जाती है। अस्पतालों में कई बार सारी सुविधाएँ होने के बाद भी इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती क्योंकि भीड़ बहुत होती है। इस भीड़ में कई बार अनदेखी और बेहतर इलाज न मिल पाने के कारण मरीज की मौत तक हो जाती है।

देश को आजादी मिलने के बाद पहली बार जनगणना 1951 में हुई थी। तब देश की आबादी 36,10,88,090 थी। साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश की आबादी बढ़कर 1,21,01,93,422 हो गई। आबादी जिस दर से बढ़ रही है, वह सरकार और समाज दोनों के लिए ही चिंताजनक है। सरकार जहाँ आबादी की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान समाज को उठाना पड़ रहा है। उसकी जिंदगी की कठिनाई हर रोज बढ़ती जा रही है। छोटी-छोटी जरूरतों के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। बढ़ती आबादी और रोजगार के घटते साधनों के कारण बहुत सारे लोग अपराध की ओर रुख कर रहे हैं। यह स्थिति किसी भी समाज या देश के लिए चिंता का कारण साबित होती है। जिस गति से आबादी बढ़ रही है, उसके आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि अपने देश की आबादी 2021 में एक अरब 38 करोड़ की संख्या पार कर जाएगी। यह स्थिति सचमुच बेहद भयावह होगी। ऐसी भयावह स्थितियों से बचने के लिए सरकार और समाज को एक साथ आकर अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और इस पर रोक को लेकर कुछ ठोस कदम उठाने होंगे।