हत्या का फतवा, खुफिया इनपुट के बाद भी योगी के “होशियार” अफसरों ने कमलेश को नहीं दी समुचित सुरक्षा। The Indian Opinion

2015 में आजम खान के द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर समलैंगिकता का आरोप लगाने के बाद प्रतिक्रिया में कमलेश तिवारी ने एक विवादित बयान दिया था जिसको लेकर पूरे देश में मुस्लिम संगठनों ने उग्र प्रदर्शन किया था कई मौलानाओं ने कमलेश तिवारी को मारने वालों ₹5100000 का इनाम घोषित किया फतवा भी दिया।
अखिलेश सरकार ने कमलेश तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उन्हें जेल भेजा “एनएसए” भी लगाया। हाईकोर्ट ने कमलेश तिवारी को जमानत पर रिहा किया था।

समर्थकों का आरोप अखिलेश सरकार में मिली थी सुरक्षा योगी सरकार में हटाई गई।

अखिलेश सरकार ने कमलेश तिवारी से जुड़े मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उन्हें सुरक्षा की दी थी लेकिन योगी सरकार में एक बुजुर्ग पुलिसकर्मी ही कमलेश की सुरक्षा में था जो कि घटना के वक्त गायब था।
भगवा कुर्ते में दो लोग दिनदहाड़े उनके घर पर आए उनसे बातचीत करने के बहाने कुछ देर बैठे और मौका देखकर उन्होंने उनके शरीर में कई गोलियां दागी और धारदार हथियार से उनकी गर्दन को काटकर उनकी हत्या कर दी। इस दौरान सुरक्षाकर्मी गायब रहा यूपी का पुलिस तंत्र अपनी अक्षमता का ढोल पीटता रहा।

संबंधित थाने से बाहर से लेकर डीजीपी तक की कार्यशैली सवालों के घेरे में

कमलेश तिवारी के समर्थकों का कहना है की अगर ,इस पूरे घटनाक्रम का तार्किक अवलोकन किया जाए तो यह स्पष्ट होता है कि लखनऊ पुलिस के थानेदार सी ओ एस एस पी डीआईजी आई जी से लेकर पुलिस महकमे के बड़े अफसर सीधे तौर में इस घटना में लापरवाही के लिए जांच के दायरे में आनी चाहिए।

सभी को पहले से पता था कि कमलेश तिवारी को सुरक्षा का गंभीर खतरा है कई संगठनों ने उनकी हत्या की योजना बनाई थी गुजरात में पकड़े गए आतंकियों ने यह बताया था कि उन्हें कमलेश तिवारी की हत्या का लक्ष्य दिया गया है।

एलआईयू और आईबी जैसी एजेंसियों ने भी या आशंका जताई थी इसके बावजूद लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी और उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह की टीम ने कमलेश तिवारी को समुचित सुरक्षा देना उचित नहीं समझा।

भाजपा सांसद जयप्रकाश रावत

इस बारे में द इंडियन ओपिनियन संवाददाता आलोक कुमार से बात करते हुए भाजपा के सांसद जयप्रकाश रावत ने कहा है कि कमलेश की हत्या एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा। सुरक्षा के मुद्दे पर वह कहते हैं कि किसको कितनी सुरक्षा देनी है यह सरकार का अपना विवेक है।

कमलेश के समर्थकों का आरोप है कि योगी सरकार के राज में उनकी सुरक्षा “बढ़ाने की बजाय कम कर दी गई”और इसी वजह से दिनदहाड़े दो कथित भगवाधारियों ने कमलेश तिवारी के घर में घुसकर हिंदू महासभा के नेता को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया और उत्तर प्रदेश सरकार पर एक “बड़ा कलंक” लगा दिया।

रिपोर्ट – आलोक कुमार