बाराबंकी: जाने माने कवि और अपनी शायरी के माध्यम से लाखों दिलो पर हुकूमत करने वाल शायर मुन्नवर राणा इन दिनों अपना संतुलन खोते जा रहे है और निरन्तर अपनी बयानबाजी से भारतीयों की आस्था पर चोट पंहुचाने का कार्य कर रहे है।
ताजा मामला एक चैनल में चर्चा में शामिल होने गए मनुव्वर राणा ने तालिबान की तुलना महर्षि वाल्मीकि से की थी जिसके बाद दावा किया गया कि देश के करोड़ों दलित उनकी इस टिप्पणी से अपमानित महसूस कर रहे हैं।
हजरतगंज कोतवाली के प्रभारी श्याम शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि वाल्मीकि समाज के नेता पीएल भारती की तहरी पर मुनव्वर राणा के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने और अन्य कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, उन्होंने बताया कि पीएल भारती ने हजरतगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई जिसमें उन्होंने दावा कि मुनव्वर ने तालिबान की तुलना महर्षि से कर के देश के करोड़ों दलितों को ठेस पहुंचाई है, उनका अपमान किया है, साथ ही हिंदु आस्था को चोट पहुंचाई है।
अब सवाल यह उठता है जिस देश मे मुन्नवर को इतना सम्मान मिला, हर जाति हर पंथ के लोगो की जुबान पर उनकी शायरी रहती थी ऐसे सद्भावना वाले देश मे रामायण जैसी पवित्र पुस्तक के रचयिता महाकवि बाल्मीकि के बारे में ऐसी टिप्पणी कर राणा क्या सिद्ध करना चाहते।
बाल्मीकि समाज सदैव हिंदुत्ववादी रहा है और यही कारण है कि भारत वर्ष के समस्त सनातन प्रेमी महर्षि बाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण में गहरी आस्था रखते है। सनातन समाज मे जहाँ बाल्मीकि को महर्षि जैसी उपाधि से सत्कार किया जाता रहा है ऐसे देश मे उनकी तुलना तालिबान से किया जाना वास्तव में शर्मनाक है और निश्चित ही इससे दलित समाज के साथ साथ हिन्दू आस्था को गहरी चोट पंहुची है।
द इंडियन ओपिनियन लखनऊ