वैचारिक मतभेद पर अभिनेत्री कंगना राणावत के कार्यालय पर बुलडोजर चलाने वाली महाराष्ट्र की उधव ठाकरे सरकार अपने सहयोगियों कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में अपने संस्थापक बाला साहब ठाकरे के सिद्धांतों से समझौता करती नजर आ रही है।
शिवसेना सांसद संजय राउत और अभिनेत्री कंगना राणावत के बीच सोशल मीडिया पर वाद विवाद के बाद उनके कार्यालय पर बीएमसी ने बुलडोजर चलवा दिया। कार्यालय के बाहरी और भीतरी हिस्सों में भारी तोड़फोड़ की गई है।
वही कंगना राणावत को इस मामले में महाराष्ट्र हाईकोर्ट से फिलहाल राहत मिल गई है हाईकोर्ट ने तत्काल कंगना के दफ्तर में बीएमसी के द्वारा की जा रही तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए स्थगन आदेश पारित किया है।
कंगना राणावत ने ट्विटर पर जारी संदेश में कहां है कि उनका यह कार्यालय उनके लिए राम मंदिर जैसा है क्योंकि मणिकर्णिका फिल्म के इस कार्यालय में अयोध्या के नाम से पहली फिल्म बनाने का फैसला लिया गया था और इस कार्यालय को तोड़कर महाराष्ट्र सरकार ने बाबर जैसा काम किया है लेकिन जल्द ही जिस तरह से राम मंदिर दोबारा बन रहा है उसी तरह कार्यालय दोबारा बनेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यालय में कहीं कोई अवैध निर्माण नहीं था और उन्हें जानबूझकर महाराष्ट्र सरकार के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार के अधीन कार्यरत बीएमसी ने कंगना रावत के कार्यालय को गैरकानूनी निर्माण बताते हुए उन्हें नोटिस दिया उनके कार्यालय पर नोटिस चस्पा किया उस समय वह मुंबई से बाहर थी, कंगना ने बीएमसी को एप्लीकेशन देकर एक हफ्ते का समय मांगा लेकिन बीएसपी ने उन्हें समय ना देते हुए आनन-फानन में तुरंत ही उनके कार्यालय को तोड़ना शुरू कर दिया।
इस कार्यवाही को लेकर पूरे देश में चर्चाएं हो रही हैं और यह कहा जा रहा है कि एक राष्ट्रवादी अभिनेत्री के खिलाफ इस प्रकार से अपनी ताकत का दुरुपयोग करके महाराष्ट्र सरकार बाला साहब ठाकरे के सिद्धांतों की अवहेलना कर रही है।