रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा,
2 दिन पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने ट्विटर पर एक पोस्ट लिखा है जो की तेजी से वायरल हो रहा है।
अंग्रेजी में लिखे इस पोस्ट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह कहा है की बाबरी मस्जिद थी और हमेशा कायम रहेगी। तुर्की में हाजिया सोफिया यानी सेंट सोफिया चर्च जिसे बाद में मस्जिद में कन्वर्ट कर दिया गया था मस्जिद के बाद म्यूजियम बना दिया गया और म्यूजियम के बाद फिर मस्जिद बना दिया गया, उसका जिक्र भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने राम मंदिर के संदर्भ और बाबरी मस्जिद से जोड़कर किया है।
उन्होंने कहा है कि हाजिया सोफिया उनके लिए बड़ा उदाहरण है यानी वह यह संदेश दे रहे हैं कि भविष्य में अयोध्या में फिर से बदलाव किया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और देश के संविधान के ऊपर भी एक बड़ी टिप्पणी की है । भारत के संविधान में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और अन्य विशेषज्ञों ने सुप्रीम कोर्ट को पर्याप्त शक्तियां देते हुए सुप्रीम कोर्ट को संविधान का सबसे बड़ा संरक्षक और सबसे बड़ा व्याख्याता कहा है। किसी भी महत्वपूर्ण विवाद पर सुप्रीम कोर्ट को उचित फैसले लेने के संविधान के द्वारा निर्देश और शक्तियां दी गई है।
ट्विटर पर जारी संदेश में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कहता है कि “इस जमीन यानी बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि की विवादित जमीन के मालिकाना हक का फैसला अवैध दमनआत्मक शर्मनाक और देश के बहुसंख्यकों की तुष्टीकरण करने वाला फैसला था ,यह फैसला उस जगह की स्थिति को नहीं बदल सकता।”
मुसलमानों के लिए कहा गया है कि “किसी को भी दुखी नहीं होना चाहिए अपने दिल को टूटता हुआ महसूस नहीं करना चाहिए, परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं रहती यह राजनीति है।”
ट्विटर के स्क्रीनशॉट को देखें पढ़ें और समझें तो यह संदेश बेहद खतरनाक दिखाई देता है। यह संदेश स्पष्ट करता है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जोकि देश के पढ़े लिखे मुसलमानों की एक बड़ी निजी संस्था है, उसे भारत की संवैधानिक व्यवस्था और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न कोई विश्वास है न कोई आस्था है। इतना ही नहीं वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सिरे से खारिज करते हैं मानने से इनकार करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के ऊपर अन्याय पूर्ण और शर्मनाक फैसला देने का आरोप लगाते हैं, और यह चेतावनी भी देते हैं खुलेआम धमकी देते हैं कि हाजिया सोफिया की तर्ज पर परिस्थितियां आने वाले समय में बदली जाएंगी, समय परिस्थितियां एक जैसी नहीं रहती, यह राजनीति है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस संदेश के सामने आने के बाद तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अयोध्या विवाद का शांतिपूर्ण निपटारा किए जाने के बाद ज्यादातर हिंदू मुसलमान यह मानकर चल रहे हैं कि देश से यह विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो गया है और हिंदू मुस्लिम मिलकर देश की तरक्की के लिए अपने बच्चों की बेहतरी के लिए काम करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इसीलिए सरकार को यह आदेश मंदिर फैसले के साथ ही दिया था कि बाबरी मस्जिद पक्षकारों को अलग से अयोध्या में प्राइम लोकेशन पर 5 एकड़ जमीन दी जाए।
राज्य सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन दे दी है जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद बनाने के लिए ट्रस्ट भी गठित कर दिया है, जल्दी काम शुरू होने वाला है यानी विवाद पूरी तरह से निपट चुका है। लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राम मंदिर के शिलान्यास के मौके पर इस तरह का एक खतरनाक संदेश देकर देश की जनता को निश्चित तौर पर आपसी विश्वास और भाईचारे की ओर बढ़ने से रोकने का काम किया है। एक बार फिर असंतोष अविश्वास और हिंसा की ओर उकसाने का काम किया है। देश की आवाम को बहुत होशियार रहने की जरूरत है!