बहुचर्चित आरुषि मर्डर केस में तलवार दंपति को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सीबीआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें आरुषि के माता-पिता नुपुर और राजेश तलवार को क्लीन चिट देते हुए बरी कर दिया गया है.
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने 273 पेज के फैसले में कहा था कि गलत विश्लेषण के जरिए निचली अदालत पहले से ही मान बैठा था कि नपुर और राजेश तलवार ने ही इस घटना को अंजाम दिया है. नोएडा के जलवायु विहार के फ्लैट नंबर एल 32 में 15 और 16 मई 2008 की आधी रात आरुषि और हेमराज के साथ क्या हुआ उसका निजली अदालत के जज ने फिल्म डायरेक्टर की तरह काल्पनिक और रंगीन तरीके से वर्णन किया. हाईकोर्ट ने कहा कि तलवार दंपति पर लगाए गए आरोपों के बदले सीबीआई कोई भी सबूत पेश नहीं कर पाई.
ध्यान देने वाली बात है कि आरुषि मर्डर केस में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे. कुछ दिन पहले ही आरुषि डबल मर्डर मामले में तलवार दंपत्ति को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले सीबीआई जज श्यामलाल ने भी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. जज श्यामलाल ने आरुषि मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में अपने खिलाफ की गई तीखी टिप्पणियों को हटाने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने सीबीआई के फैसले को विरोधाभास से भरा बताया था और तलवार दंपत्ति को बरी किया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दम्पति को बरी करते हुए जज की कानूनी समझ पर सवाल उठाया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि जज ने ‘गणित टीचर’ और ‘फिल्म डायरेक्टर ‘जैसा व्यवहार किया. ऐसा लगता है मानो जज को कानून की सही जानकारी तक नहीं थी, इसी वजह से उन्होंने कई सारे तथ्यों को खुद ही मानकर फैसला दे दिया. जो थे ही नहीं. ऐसा लगता है कि ट्रायल जज अपनी कानूनी जिम्मेदारियों से अनभिज्ञ हैं.