केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार के खिलाफ मंच बनाने के लिए विपक्षी दलों की सुगबुगाहट तेज हो रही है।मंगलवार को पूर्व जदयू नेता शरद यादव ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनके घर पर मुलाकात की। वह लखनऊ में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
मुलाकात के बाद शरद यादव ने पत्रकारों को यह जानकारी नहीं दी कि उनकी अखिलेश से क्या बातचीत हुई। हां, उन्होंने यह जरूर कहा कि वह बीजेपी के खिलाफ देश भर में मोर्चा बनाने के काम में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव से मुलाकात भी इसी सिलसिले में की गई थी।
केंद्र सरकार पर उठाए सवाल
शरद यादव ने इस मुलाकात के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की और कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार की नाकामी है कि रोटोमैक पेन के मालिक विक्रम कोठारी, विजय माल्या और हीरा व्यापारी नीरव मोदी देश से बाहर चले गए। उन्होंने कहा कि एनडीए के शासनकाल में 26 हजार नौजवानों ने खुदकुशी की है। यादव ने कहा कि गाय के नाम पर देश में वोट हासिल करने का प्रयोग किया गया, गाय को कोई कुछ नहीं कह सकता। यहां बस इंसान को कुछ भी कहा जा सकता है।
‘मंदिरों के चक्कर लगा रहे योगी’
उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार और सीएम योगी आदित्यनाथ के बारे में शरद पवार बोले कि यूपी के सीएम सिर्फ मंदिरों के चक्कर लगा रहे हैं. इन्हें विकास से मतलब नहीं है. इन्होंने धर्म के आधार पर लव जेहाद को मुद्दा बनाया, मोहब्बत पर कभी पहरा नहीं रहा, इन्होंने वह भी लगा दिया. उन्होंने आगे कहा कि ताजमहल को दुनिया सातवां आश्चर्य मानती है और ये लोग पता करने में लगे हैं कि यह मंदिर था या मस्जिद।
मायावती से भी करेंगे मुलाकात
उन्होंने कहा कि अखिलेश से भी गठबंधन पर बात हुई है. क्या बात हुई है, यह अभी नहीं बताऊंगा. उन्होंने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर चुनाव पर सपाऔर बसपा नेताओं ने अच्छा काम किया। शरद यादव ने कहा कि मायावती से भी जल्द बात होगी। उन्होंने कहा कि यह सभी पार्टियों के साथ आने का समय है। आपको बता दें कि शरद यादव बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाईटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार से संबंध खराब होने के बाद से केंद्रीय राजनीति में अपनी भूमिका तलाश रहे हैं। माना जा रहा है कि वह एनडीए के खिलाफ मोर्चा बनाने में अखिलेश यादव की मदद कर सकते हैं।
रोज बदल रही 2019 की राजनीतिक तस्वीर
उत्तर प्रदेश में हाल ही में समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाया था. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए राजनीतिक तस्वीर रोज नए रंग ले रही है। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी अगले हफ्ते एनसीपी प्रमुख शरद पवार द्वारा बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल होंगी. इस बैठक में शामिल होने के लिए ममता बनर्जी दिल्ली आ रही हैं। इसके साथ ही वह दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं से भी मुलाकात कर सकती हैं।
केसीआर और ममता भी मिले
इससे पहले, सोमवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीआरएस नेता के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने और पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने भी मुलाकात कर गैर कांग्रेसी-गैर भाजपाई फ्रंट बनाने की घोषणा की थी। केसीआर और ममता ने मुलाकात के बाद कहा था कि देश के लिए तीसरा फ्रंट बनाने की जरूरत है और इसकी शुरुआत हो गई है. दोनों नेताओं ने उम्मीद जताई कि इस कोशिश में दूसरे दल भी उनके साथ आएंगे. इन नेताओं ने कहा था कि तीसरा फ्रंट संयुक्त नेतृत्व में आगे बढ़ेगा।
कांग्रेस का साथ नहीं लेंगे
ममता बनर्जी के अगले हफ्ते दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, राव ने कहा था कि अगर कांग्रेस इस फ्रंट में शामिल होने चाहे तो ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों का नेतृत्व देश के लिए उचित नहीं है।
सपा-बसपा आए थे साथ
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने हाल ही में यूपी में दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में हाथ मिलाया था। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा भी है कि बीजेपी को हराने में क्षेत्रीय दल ही सक्षम हैं। हालांकि, सपा या बसपा ने 2019 के आम चुनावों के लिए अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
कांग्रेस भी कर रही है पहल
कांग्रेस ने भी कुछ ही दिनों पहले बीजेपी के खिलाफ संयुक्त विपक्ष को एक मंच पर लाने की पहल की थी। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने अपने आवास पर कांग्रेस समेत 20 राजनीतिक दलों के नेताओं को डिनर पर आमंत्रित किया था। इसमें कांग्रेस के बड़े नेताओं समेत वाम दल और एनडीए के नाराज सहयोगी भी शामिल थे।