*प्रयागराज के कुंभ से “द इंडियन ओपिनियन” की स्पेशल कवरेज.. कुंभ में आए नागा साधु ने देश धर्म के लिए दिया महान योगदान ..क्या है नागा साधु की शस्त्र परंपरा ..बड़े बड़े राजा महाराजाओं के युद्ध में नागा साधुओं ने देश हित के लिए लिया हिस्सा.. अपना बलिदान देकर नागा साधु ने की देश धर्म की रक्षा.. इंडियन ओपिनियन के लिए प्रयागराज से मनीष वर्मा की रिपोर्ट*


सनातन धर्म पर जब जब संकट आया तब तब नागो ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाये बहुत कम लोग जानते है ,की रानी लक्ष्मी बाई और पृथ्वी राज चौहान जैसे राजाओ ने भी नागाओ की मदद ली थी और बहुत सारे नागाओ ने उनकी लड़ाई मे उनका साथ दिया था। जिससे खुश होकर राजाओ ने नागो को भेट मे शस्त्र दिए थे जिसकी पूजा आज भी आखाड़ो मे होती है। आखाड़ो के लिए ये शस्त्र देवता से कम नहीं है और वह सुबह शाम इसकी पूजा करते है
आखाड़ो मे प्रवेश करते ही धर्म ध्वजा के नीचे चारो कोने मे स्थापित नागाओ के ये वही शस्त्र है जिससे वह धर्म की रक्षा के लिए उठाते आये है। चारो कोनो मे रखे इन शस्त्र के पास जाने की इजाज़त सिर्फ आखाड़ो के गिने चुने लोगो के पास ही है इसका कारण यह है की आखाडा इस शस्त्र को देवता मानकर इनकी पूजा करता है। आखाड़े के नागा और महंत बताते है की आखाड़ो ने शास्त्र और शस्त्र से सनातन धर्म की रक्षा की जब जहाँ जिसकी ज़रुरत पड़ी उसे इस्तेमाल किया।

आखाड़ो मे रखे इन शस्त्र का इतिहास भी बहुत पुराना है। वैसे तो हिन्दू धर्म के प्रचार की जिम्मेदारी इन साधु संतो पर है लेकिन ऐसा माना जाता है की जब सनातन धर्म संकट मे था तब उसे बचाने के लिए हमारे देश के कई राजाओ ने भी अपना योगदान दिया था। लेकिन जहाँ उन्हें लगा की वह अब सक्षम नहीं तब उन्होंने नागाओ की मदद ली जिसमे बहुत सारे नागाओ ने अपने प्राण की आहुति देकर सनातन धर्म की रक्षा की इससे खुश होकर पृथ्वी राज चौहान ,रानी लक्ष्मी बाई ने नागाओ को उपहार स्वरुप शस्त्र दिए वही शास्त्र आज भी आखाड़ो की शान है जिससे वह धरम की रक्षा करते है।

मनीष वर्मा