उ.प्र.मा.शि.से. चयन बोर्ड की मनमानी 2013 में निकाली वैकेंसी, अब तक नहीं कराया इंटरव्यू!

उत्तर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा विभाग का बुरा हाल है जबकि प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा इस विभाग के मुखिया हैं सरकार का साढे 4 वर्ष का कार्यकाल बीत रहा है और अभी तक उत्तर प्रदेश के लगभग 3000 माध्यमिक विद्यालयों में प्रिंसिपल के पद खाली हैं।

लाखों युवाओं को रोजगार देने का दावा करने वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को ऐसा लगता है कि अपने ही विभागों का हाल पता नहीं है मुख्यमंत्री जब समीक्षा करते हैं तो उन्हें क्यों ऐसे तथ्यों का पता नहीं चलता यह एक बड़ा सवाल है ,और सबसे बड़ी लापरवाही तो खुद डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की है जो इस विभाग के मुखिया हैं और बड़े गंभीर राजनीतिक माने जाते हैं बावजूद इसके अपने साढे 4 वर्ष के कार्यकाल में वह माध्यमिक शिक्षा विभाग के हाईस्कूल और इंटर कॉलेज के शिक्षकों की आवश्यक नियुक्ति भी नहीं करवा पाए।

अब यह सोचने वाली बात है कि जब उत्तर प्रदेश में 3000 से ज्यादा इंटर कॉलेज बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं हजारों कॉलेजों में विषयों के अध्यापक नहीं हैं बड़ी संख्या में अध्यापकों के पद खाली हैं तो सरकारी और वित्त पोषित कॉलेजों में हाईस्कूल और इंटर के बच्चे किन हालातों में पढ़ाई कर रहे होंगे और उनके भविष्य से कितना बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है।

इन्हीं समस्याओं को लेकर उत्तरप्रदेश में माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य पद के अभ्यर्थियों की एक बैठक सरदार वल्लभ भाई पटेल पार्क, निकट जी.पी.ओ. लखनऊ में डॉ. सन्तोष कुमार शुक्ल, प्रांतीय मंत्री – राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तरप्रदेश (माध्यमिक संवर्ग) की अध्यक्षता में हुई।

बैठक में मांग की गई कि 2013 में विज्ञापित प्रधानाचार्य के पदों पर साक्षात्कार तत्काल आयोजित किये जाएं।

बैठक में महासंघ के प्रदेश मंत्री डाॅ सन्तोष शुक्ला ने कहा कि वर्ष 2011 में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयनबोर्ड से विज्ञापित 954 पदों में से लगभग 400 पदों का परिणाम चयन बोर्ड के अध्यक्ष उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश के बाद भी जारी नहीं कर रहे हैं एवं चयन बोर्ड द्वारा परिणाम रोक कर जानबूझकर तदर्थ प्रधानाचार्यों का संरक्षण किया जा रहा है। इसी प्रकार 2011 के कानपुर मण्डल का साक्षात्कार भी नहीं करा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार 31 दिसम्बर 2013 में 599 पदों पर विज्ञापन चयनबोर्ड ने निकाला था, लेकिन सात वर्ष से अधिक समय बीतने पर भी अभी तक साक्षात्कार नहीं कराया गया | 2013 के साक्षात्कार कराने हेतु उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने मनीष त्रिपाठी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में योजित याचिका के सन्दर्भ में साक्षात्कार कराने का आदेश भी दिया।

वक्ताओं ने आश्चर्य व्यक्त किया कि उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना चयन बोर्ड के अध्यक्ष वीरेश कुमार द्वारा की जा रही है। अवहेलना याचिका के जवाब में सचिव ने 4 नवम्बर 2020 को न्यायालय में यह कहा कि 2013 के प्रधानाचार्य का साक्षात्कार चयन मई 2021 तक करा लिया जायेगा। लेकिन अभी तक साक्षात्कार की तिथि भी घोषित नहीं हुई।

महासंघ के प्रदेश मंत्री सन्तोष शुक्ला ने बताया कि इस प्रकरण के सन्दर्भ में माध्यमिक शिक्षा मन्त्री एवं उप मुख्यमन्त्री डॉ दिनेश शर्मा ने भी चयन बोर्ड को निर्देश दिया है।

उल्लेखनीय है कि अध्यक्ष चयन बोर्ड की शिथिलता से प्रदेश के लगभग तीन हजार माध्यमिक कालेजों में नियमित प्रधानाचार्यों की कमी है। जिससे योगी जी की सरकार की छवि धूमिल हो रही है एवं विद्यालयों में छात्र संख्या भी घट रही है।

वक्ताओं ने कहा कि यदि मुख्य्मंत्री जी संज्ञान नहीं लेते हैं तो हम लोग चयनबोर्ड एवं विधानसभा का घेराव करेंगे।

बैठक में लखनऊ के डॉ आनंद त्रिपाठी, डॉ.पी.के सिंह, डॉ. प्रशिशा श्रीवास्तव, ममता पाण्डेय, डॉ. सौम्या सिंह, डॉ. पुष्पेंद्र सिंह, श्री मनीष त्रिपाठी, डी एन मिश्रा, बीके निषाद, डॉक्टर श्रीमती रीता चौधरी, डॉक्टर मेवालाल, आर के तिवारी, अपराजिता श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट – ब्यूरो लखनऊ

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