कोरोना से जूझती दुनिया में सुनाई पड़ने लगी है सांता क्लॉज़ के कदमों की आशा भरी आहट।

भारत में दीपावली और छट के बाद क्रिसमस का बहुत बेसबरी से इंतज़ार रहता है। इस वर्ष करोना संकट के चलते लोगों में सभी त्योहारों को मनाने का उत्साह और भी ज्यादा है। विदेशों में यह त्योहार और भी अधिक धूम धाम से मनाया जाता है। 25 दिसंबर को मनाए जाने वाले क्रिसमस त्योहार की दुनिया भर में जोरों पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। क्रिसमस ट्री सजाए जा रहे हैं। कोरोना काल में तमाम पाबंदियों के बावजूद पश्चिमी देशों में क्रिसमस का त्योहार मनाने के लिए छूट दी जा रही हैं। कोरोना काल से जूझ रहे बच्चे पहली बार सांता क्लॉज से अनूठी विश मांग रहे हैं।

अमेरिका के डाक विभाग ने हर साल की तरह इस बार भी ‘ऑपरेशन सांता’ के तहत डिजिटल रूप में बच्चों से अपनी विश भेजने को कहा था। विभाग इन पत्रों को ऑनलाइन प्रदर्शित करता है। कोई भी
व्यक्ति इनके जरिये बच्चों की विश पूरी कर सकता है।

इस बार मिले पत्रों में सबसे मार्मिक पत्र कायला नामक 11 वर्षीय बच्ची का है। उसने लिखा है, ‘डियर सांता, आसमान में स्लेज गाड़ी चलाने में बहुत मजा आता होगा न! इस साल मुझे बिस्तर वाले सोफे की जरूरत है। हमारा घर जिस अपार्टमेंट में है, उसमें एक कमरा है। मेरे पिता को सोफे पर सोना पड़ता है और उन्हें कमर दर्द होता है। वे बहुत काम करते हैं। ऐसे में उनका तनाव बढ़ जाता है।’

वहीं केसी नामक बच्ची लिखती है, ‘हाय सांता, यह साल मेरे लिए मुश्किल भरा रहा। इस साल मेरी मम्मी काम नहीं कर रही हैं। सिर्फ पापा और भाई ही काम कर रहे हैं। घर का किराया जुटाना मुश्किल हो रहा है, पर चलता है। इससे भी बुरा यह हुआ कि कैंसर से मेरी सहेली की मौत हो गई है। मैं बहुत दुखी थी। चलो, कुछ अच्छा सोचते हैं। मुझे स्कैच बुक चाहिए। मैं ऐसे रियल लोगों को ड्रा करना चाहती हूं, जो अब भी संघर्ष कर रहे हैं। सबको गले जरूर लगाना। बाय।’

पैराग्राफ इहाना लिखती हैं, ‘मैं हमेशा देखती हूं कि हमारी गली में एक व्यक्ति है, जिसके पास नौकरी नहीं है। वह हमेशा मदद मांगता रहता है। हम अपनी जिंदगी में इतने उलझे हैं कि किसी की चिंता नहीं करते। उनके पास जॉब नहीं है। घर नहीं है। इसलिए मैं चाहती हूं कि इस क्रिसमस पर सब गरीब लोगों को काम मिल जाए।’

मान्यता है कि क्रिसमस की रात सांता बच्चों के लिए खिलौने, कैंडी समेत उनकी मनचाही वस्तु उन्हें देते हैं ।इसाबेला लिखती हैं, ‘सांता आप अस्पताल और सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए खिलौने लाना।

कोरोना से जूझ रहे *ब्रिटेन में 8 साल के एक बच्चे की चिट्ठी वायरल हुई है। मोंटी नाम के इस बच्चे ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से पूछा था कि क्या कोरोना के चलते क्रिसमस पर सांता क्लॉज उसे गिफ्ट देने पहुंचेंगे? इस पर जॉनसन ने कहा कि सांता को क्रिसमस-डे पर गिफ्ट देने से कोई नहीं रोक सकता।

इटली में पेरूजा से 50 किमी दूर गुब्बिओ कस्बे की पहाड़ी पर 2300 लाइट्स लगाकर दुनिया का सबसे बड़ा क्रिसमस ट्री बनाया गया है। पहाड़ी के तल से लेकर शिखर तक लगीं इन लाइट्स में 950 बड़े-बड़े बल्ब हैं। इनमें 250 पीले रंग, 300 हरे रंग और 400 बहुरंगी हैं। इसके अलावा, पहाड़ी के टॉप पर 1350 लाइट्स से शाइनिंग स्टार बनाया गया है।

इस वर्ष क्रिसमस ट्री के लिए करीब 8.5 किमी लंबे बिजली के तार बिछे हैं । इन बल्बस को रोशन करने के लिए करीब 35 किलोवॉट की विद्युत सप्लाई की जाती है। यहां यह परंपरा 38 साल से चली आ रही है। 2010 के बाद क्रिसमस ट्री के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली को सौर्य ऊर्जा पैनल बनाते हैं। हर साल 7 दिसंबर से लेकर 6 जनवरी के बीच यह क्रिसमस ट्री रोशनी से जगमगाता है। इस त्योहार के दौरान 2100 घंटे यह बल्ब जलते हैं।

इस वर्ष क्रिसमस पर सांता दुनिया को कोरोना से मुक्ति की सौगात दे यही हम सब की एकमात्र विश हो सकती है | सांता उन सभी को अपनों से बिछड़ने के गम से उबरने की ताकत भी दे जिनके परिजन कोरोना से अपने जीवन की लड़ाई हार चुके हैं। दो पंक्तियाँ याद आ रही हैं –

माना की अंधेरा घना है ।
लेकिन दीप जलाना कहाँ माना है ।।

यही आशा है की क्रिसमस की जगमगाहट कोरोना के अंधेरे को दूर कर उम्मीद के प्रकाश को हर तरफ फैलायगी।

आलेख – विकास चन्द्र अग्रवाल

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