जल निगम के 22000 परिवारों में नहीं मिला 3 महीने से वेतन/पेंशन, मंत्री आशुतोष टंडन की संवेदनहीनता!

रिपोर्ट – दीपक मिश्रा

क्या,जल निगम के 22000 कर्मचारियों और पेंशनर्स के दर्द से वाकिफ नहीं हैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ!

कोरोना संकट में भी 3 महीने से वेतन और पेंशन के लिए तरस रहे हैं जल निगम कार्मिकों के परिवार!

मंत्री आशुतोष टंडन की लापरवाही और संवेदनहीनता से प्रदेश सरकार पर खड़े हुए कई बड़े सवाल।

यह वाकई में बड़े शर्म की बात है कि जिस उत्तर प्रदेश सरकार में तमाम मंत्री और अधिकारियों की वीआईपी सुविधाओं पर हर महीने अरबों रुपए खर्च होते हैं ,जहां गरीबों के कल्याण के लिए काम करने वाले लोग महलों जैसी सुविधाओं वाले दफ्तरों और बंगलों में अपना वक्त बिताते हैं , उसी प्रदेश की सरकार से जुड़े हुए लगभग 22000 कर्मचारी और पेंशनर्स पिछले 3 महीनों से अपने परिवार की दवा और भोजन का इंतजाम करने मैं भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।

कोरोना संकट की वजह से पूरे प्रदेश में लॉक डाउन है, सरकार गरीबों की मदद के लिए तमाम फैसले ले रही है लेकिन क्या उसी सरकार को अपने ही 22000 कर्मचारी और पेंशनर का दर्द दिखाई नहीं पड़ रहा, सरकार चलाने वाले मुख्य सचिव और उनके प्रमुख सचिवों को क्या यह मालूम नहीं है कि जल निगम से जुड़े 22000 परिवारों की पिछले 3 महीनों से क्या दशा है?

इसके बावजूद पिछले दिनों जल निगम के मंत्री आशुतोष टंडन ने बड़े गर्व के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जल निगम के बजट से एक करोड़ 46 लाख रुपए का चेक कोविड राहत के फंड में दान के रूप में दिया।

यानी जो जल निगम पहले से ही कंगाल है उसके मंत्री जी दानवीर बने हुए है, या फिर मुख्यमंत्री की निगाह में अपने नंबर ऊंचे करवाना चाहते हैं।
यह कितना बड़ा मजाक है कि जिन कर्मचारियों को 3 महीने से वेतन ही नहीं मिला उन्हीं कर्मचारियों के 1 दिन के वेतन का पैसा उनके विभागीय मंत्री ने दान में दे दिया।

चलिए साहब अच्छी बात है दान कर दिया, लेकिन क्या कंगाल हो चुके जल निगम के डेढ़ करोड़ की धनराशि दान करने के पहले मंत्री आशुतोष टंडन ने यह नहीं मालूम किया कि उनके विभाग में 3 महीनों से न तो कर्मचारियों को तनख्वाह बटी है और ना ही बुजुर्ग पेंशनर्स को उनकी दवाओं के खर्च के लिए पेंशन दी गई है?

क्या सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ को अपने ही सरकार के अलग-अलग विभागों के हालातों की जानकारी नहीं दी जाती। यदि ऐसा है तो देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने आसपास रहमान रहने वाले अधिकारियों और नेताओं से कठोर सवाल करने होंगे, उन्हें अपनी टीम के उन बड़े अफसरों पर भी वक्त दृष्टि डालनी होगी जिन्होंने सरकार के ही उन विभागों के हजारों कर्मचारियों के दर्द को अनसुना कर दिया है जो सरकार का अंग होते हुए भी सरकार की उपेक्षा और संवेदनहीनता का शिकार हो रहे हैं।

जल निगम कर्मचारियों और पेंशनर्स के हजारों परिजनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इंसाफ की गुहार लगाई हैl उन्हें उम्मीद है कि बाबा योगी आदित्यनाथ उनके दर्द को समझेंगे और उन्हें इंसाफ मिलेगा, साथ ही साथ उन भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी जिन्होंने पिछले कई सालों में हजारों करोड़ों रुपए का काम जल निगम को ना देकर कर दूसरी एजेंसियों को  बांट दिया, जिसकी वजह से जल निगम आर्थिक बदहाली का शिकार हो गया। वही इस गंभीर मामले पर जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठवाल ने द इंडियन ओपिनियन को बताया कि कर्मचारियों और पेंशनर्स के भुगतान शीघ्र करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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