बैरक की छत गिरने से कई सिपाही दबे, अफसरों के लिए 800 करोड़ का PHQ सिपाहियों के लिए जर्जर बैरक!

रिपोर्ट – दीपक मिश्रा,

कानपुर पुलिस लाइन में बैरक की छत गिरने से कई सिपाहियों के दबने की खबर आ रही है कईयों की हालत गंभीर है।

एक सवाल दिल में उमड़ रहा है कुछ लोगों को बुरा लगेगा लेकिन है कड़वा सच! उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश पुलिस के नीति नियंताओं को अपनी उस फैसले पर जरूर शर्म आनी चाहिए जिसके तहत उन्होंने इलाहाबाद और लखनऊ में पहले से पुलिस मुख्यालय होते हुए भी लखनऊ में पुलिस अधिकारियों के लिए लगभग 800 करोड़ का फाइव स्टार पुलिस मुख्यालय बनवाने का फैसला किया ,जबकि उत्तर प्रदेश के तमाम जनपदों में तमाम पुलिस थानों में पुलिस के सिपाहियों के रहने के लिए सुरक्षित ठिकाने नहीं मौजूद हैं।

तमाम जनपदों में जर्जर खतरनाक भवनों में सिपाही जान पर खेलकर अपनी जिंदगी काट रहे हैं। सबसे कठिन ड्यूटी करने वाले सिपाही जब लौट कर आते हैं तो जानलेवा छतों के नीचे भगवान का नाम लेकर सो जाते हैं।

कानपुर में ऐसा ही हुआ लेकिन अचानक पुलिस लाइन की बैरक जो कि जर्जर और खतरनाक हो चुकी थी वह गिर पड़ी और उसके नीचे कई सिपाही दब गए।
बताया जा रहा है इस घटना में कई सिपाहियों की हालत गंभीर है।

लेकिन इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है की पुलिस विभाग का सबसे महत्वपूर्ण सबसे छोटा सबसे कमजोर लेकिन जनता की सुरक्षा में सबसे मजबूती से ड्यूटी करने वाला पुलिस का सिपाही क्यों खतरनाक जर्जर बैराको में रहने के लिए मजबूर है ?

आखिर क्यों लाखों रुपए वेतन पाने वाले अधिकारियों के लिए सरकार वीआईपी आवास और वीआईपी कार्यालय उपलब्ध कराती है लेकिन कम वेतन में सर्वाधिक कठिन ड्यूटी करने वाले सिपाहियों के लिए सरकार के पास सुरक्षित दो कमरे का मकान या बैरक भी उपलब्ध नहीं है?

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