योगी सरकार के दावे हवाई निराश्रित पशुओं से किसान बेहाल, रतजगा के बावजूद फसल बचाना मुश्किल!

“तीन चार साल होई गवा साहेब, हम लोग बहुत परेशान हन बहेलन्न के चक्कर मा वाहर सब गेहूँ खाय लिहिन औ याहर गन्ना सन्ना रहा वहाउ सब खाय लेत हाय पिछले तीन चार साल से खेती किसानी कुछ नाही बचत है.”
पंद्रह बीघे में किसानी करने वाले पीपतराम रात के तकरीबन 3:30 वजे अपने साथियों के साथ खेत की रखवाली करते हुए बताते हैं।

पूरी रात बारी-बारी अपने खेतों की रखवाली करने वाले किसान बताते हैं कि पिछले तीन-चार सालों में छुट्टा जानवरों ने कुछ इस कदर कहर मचाया है कि खेती किसानी अब दूर की कौड़ी साबित हो रही है. तार लगवाने से लेकर तमाम चीजें करके देख ली गई. लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है. पिछले सीजन में गेहूं की खेती की थी, मुश्किल से तीन-चार बीघे ही काट सका था. इस बार गन्ना बोया है, तो उसके लिए रात भर जाग कर रखवाली करनी पड़ती है. फिर भी तीन चार बीघे पेड़ी छुट्टा गोवंशों द्वारा चरी जा चुकी है.

छोटे किसानों की हालत पतली :-

बातचीत में किसानों ने बताया कि उनके पास या तो खुद की ज़मींन है या वो किसी बड़े काश्तकार से एक साल की लीज (बटाई) पर लेकर खेती करते हैं. अगर देखा जाए तो इन किसानों के पास औसतन 10 बीघे की जमीन है. यानी कि एक हेक्टेयर से भी कम. ये सीमांत किसान किसी तरह खेती करते हैं, लेकिन तमाम समस्याएं इनके किसानी को कहीं ना कहीं प्रभावित करती हैं. उनके पास अब खाने के लाले पड़ रहे हैं.

बड़ी संख्या में होती है इन फसलों की खेती :-

2011 की जनगणना के अनुसार तकरीबन 20 लाख की आबादी वाले बलरामपुर जिले में 2,95,032 किसान है. इन किसानों के द्वारा हर साल 2,12,546 हेक्टेयर के रकबे पर खेती-किसानी की जाती है. जिले के प्रमुख फसल गन्ना, धान, गेहूं, सरसों व मसूर हैं. इसके अलावा छोटे-छोटे किसानों द्वारा अन्य फसलों की खेती कम रकबों में खेती की जाती है. यह सारे किसान अपनी खेती को बचाने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं. खेती किसानी के अलावा इन किसानों के हिस्से में छुट्टा जानवरों से अपनी फसलों को बचाने का एक अतिरिक्त काम भी पिछले 3-4 वर्षों में जुड़ गया है.

100 किलोमीटर की यात्रा कर की रिपोर्ट :-

हमने किसानों की इसी समस्या को देखने के लिए रात में तकरीबन 100 किलोमीटर का सफर तय करके, यह तस्दीक करने की कोशिश की कि कितनी संख्या में किसान, छुट्टा जानवरों के कारण परेशान है और कितनी बड़े रकबे की फसलों को हर साल नुकसान हो रहा है?इस दौरान हमने तकरीबन आधा दर्जन किसानों से बात की. सड़कों का नजारा देखा और छुट्टा जानवरों को किसानों के खेतों से छुट्टा गोवंशों को दूर रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से भी बात की.

किसान दिन रात करते हैं अपने खेतों की रखवाली :-

नेशनल हाईवे 730 पर बलुआ-बलुई चौराहे पर हमें कुछ के साथ अपने खेतों की रखवाली करते मिले. हमने जब उनसे बात करने की कोशिश की तो अनायास ही उनकी आंखें नम होने लगी. तकरीबन एक दर्जन किसान इस दौरान लाठी-डंडे व अन्य व्यवस्थाओं के साथ अपने खेतों के आसपास बारिश के मौसम में डटे हुए नजर आए. कुछ किसान सो भी रहे थे, क्योंकि जब उनकी बारी आएगी आती तो उन्हें खेतों की रखवाली करनी थी.

सड़क पर दिखे हज़ारों निराश्रित गोवंश :-

इस रिपोर्ट को करने के दौरान हमें सड़कों पर तकरीबन 7000 से 8000 गौवंश तकरीबन 100 किलोमीटर के अंदर दिखाई दिए. जबकि हम केवल बलरामपुर, तुलसीपुर और हर्रैया सतघरवा विकास खंड में ही सके. पूरी उतरौला तहसील और पचपेड़वा, गैसड़ी, श्रीदत्तगंज विकासखंड में हमारा जाना नहीं हो सका.

छुट्टा गोवंशों के कारण राह चलना दूभर :-

इस दौरान हमने पाया कि छुट्टा गोवंशों के कारण न केवल किसानों को बड़े पैमाने पर कृषि संबंधी परेशानियां हो रही हैं. बल्कि आम राहगीरों का चलना भी मुश्किल है. आए दिन दुर्घटनाएं, लोगों का घायल होना और लोगों की मौत, अब आम बात हो चुकी है. छुट्टा जानवर भी लगातार गाड़ियों के टक्कर से घायल हो रहे हैं और कई बार तो उनकी मौत भी हो जा रही है. उनकी लाश कई कई दिनों तक सड़कों पर पड़ी सड़ती रहती है. लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है.

हर रोज़ होती हैं दुर्घटनाएं :-

अमूमन अगर पूरे जिले के आंकड़े को देखा जाए तो हर रोज 3 से 5 दुर्घटनाएं छुट्टा जानवरों के कारण हो रही है. वही, रोजाना पांच से दस गोवंश भी इन दुर्घटनाओं में या तो घायल हो रहे हैं या मारे जा रहे हैं. एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार जिले के सभी सड़कों पर तकरीबन 30 हज़ार छुट्टा गो वंशों का कब्ज़ा है. जो किसानों की फसल नष्ट कर रहे है और आम दिनों में होने वाली दुर्घटनाओं के कारक बन रहे हैं.

हमसे किसानों ने बात करते हुए बताया कि जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है. तब से छुट्टा जानवरों और उनके आतंक को लेकर तमाम तरह की दिक्कतें हम लोगों के सामने पेश आ रही है. सरकार द्वारा भले ही तमाम दावे किए जाते हो. लेकिन वह दावे जमीन पर कतई नजर नहीं आते.

सरकारी गौशाला बदहाल और अपर्याप्त

किसान बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा जिले में बनाए जा रहे गांव आश्रय स्थल या बृहद गौ संरक्षण केंद्र न केवल इतनी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा छोड़े गए छुट्टा गोवंशों के लिए अपर्याप्त हैं. बल्कि किसानों के लिए परेशानी का सबब भी. अगर वास्तव में सरकार इस दिशा में कुछ करना चाहती है तो उसे बड़े पैमाने पर गांव-गांव गौशालाओं का निर्माण करवाना होगा. जिसकी क्षमता भी ठीक-ठाक हो, क्योंकि हर गांव में बड़ी संख्या में छुट्टा जानवर घूम रहे हैं.

हर गांव में 200-300 छुट्टा गोवंश :-

हमने किसानों से गोशालाओं की हकीकत जाननी चाही तो उन लोगों ने बताया कि हर गांव में कम से दो-तीन सौ छुट्टा जानवर हैं. सरकार द्वारा जिन गोशालाओं की व्यवस्था का दावा किया जाता है. वह जमीन पर पूरी तरह फेल है. आप अगर जाएं और देखें तो पता चलेगा कि गौशालाओं में गोवंश ही नहीं हैं. वह तो सड़कों पर हैं. लेकिन सब कुछ सही दिखाने का नाटक किया जा रहा है.

किसान बताते हैं कि हमें अपनी फसलों को बचाने के लिए दिन और रात में बारी बारी से अपने खेतों की रखवाली करनी पड़ती है. अगर हम थोड़ी भी देर के लिए खेतों से दूर हो जाएं तो एक झुंड आता है और वह फसलों को सफाचट कर जाता है. खेती किसानी अब फायदे का सौदा नहीं रहा. अगर बच्चे बाहर काम करने ना जाएं तो हो सकता है कि खाने पीने के लाले पड़ जाए.

पशु चिकित्सा विभाग के आंकड़ें :-

आंकड़ों के अनुसार बलरामपुर में कुल 67 बृहद लघु गौशाला हैं, जिनमें 2265 गोवंश पल रहे हैं. वही सहभागिता योजना के अंतर्गत 419 गोवंश को व्यक्तिगत तौर पर परिवारों द्वारा पाला जा रहा है, जिसमें सरकार उन्हें ₹30 प्रति गोवंश प्रतिदिन की सहायता उपलब्ध करवाती है. अगर जिले में गोवंश की संख्या पर गौर करें, जिन्हें टैग लगाया गया है, तो उनकी संख्या 1,30,155 है.

गौशालाओं में रहने वाले गोवंशों के पालन पोषण के लिए बृहद गौशालाओं में जहां 5 से 6 लोग रहते हैं. वही 50 गायों की क्षमता वाले गौशालाओं में एक या दो लोग रहते हैं. 15 वे वित्त योजना द्वारा इन्हें वेतनमान प्रदान किया जाता है, जबकि गौशालाओं में रहने वाली गायों के लिए भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा ₹30 प्रति गोवंश का खर्चा दिया जाता है, जिसके लिए पूरी तरह से पशुपालन विभाग, उपजिलाधिकारी, तहसीलदार व जिला अधिकारी जिम्मेदार होते हैं.

बलरामपुर में बन रहा है गौ शाला :-

किसानों और आम लोगों को छुट्टा गोवंशों से निजात दिलाने के लिए बलरामपुर के कोइलरा में 300 की क्षमता वाला एक वृहद गौशाला का निर्माण करवाया जा रहा है. जबकि तुलसीपुर के पास स्थित परसपुर करौंदा 300 की क्षमता के साथ संचालित है. वही सभी नगर निकायों द्वारा भी एक-एक बृहद गौशालाओं का निर्माण कराया जाना है, लेकिन तुलसीपुर को छोड़कर अन्य किसी बृहद गौशाला में अभी तक गोवंश के भरण-पोषण की व्यवस्था नहीं हो सकी है.

पशु चिकित्सा विभाग के पास नहीं हैं आंकड़े :-

पशु चिकित्सा विभाग से जब हमने यह जानने की कोशिश की कि आपके जिले में कितने गौवंश सड़कों या खेतों पर हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है. हम टैग वाले गौवंशों को ही अपने गौशालाओं में रखते हैं. कहीं एक आध टैग हो तो उसकी बात अलग है. लेकिन हम लोग नियंमतः काम करते हुए गौवंशों को संरक्षित कर रहे हैं.

बारिश का मौसम का है जिम्मेदार :-

जब हमने छुट्टा गोवंशों को संरक्षित करने के बाबत सरकार द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं की जानकारी लेने की कोशिश मुख्य विकास अधिकारी रिया केजरीवाल से की तो उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम के कारण तमाम जगहों पर जलभराव हुआ है. इसी वजह कई सारे गोवंश सड़कों पर आकर बैठ गए हैं. इन्हें अगर आप ध्यान से देखेंगे तो कुछ के गले में गले में घण्टियाँ बंधी हुई. यह ज़्यादातर व्यक्तिगत लोगों की हैं. जो दोपहर या शाम के समय उन्हें चरने के लिए छोड़ दिया करते हैं. क्योंकि गाने कीचड़ में बैठना पसंद नहीं करते हैं इस वजह से वह सड़कों पर आकर बैठ जाती हैं इस वजह से तमाम दिक्कतें होती हैं.

तेजी से बनाए जा रहा गौ आश्रय स्थल :-

उन्होंने बताया कि इस समस्या से निजात पाने के लिए शासन स्तर से प्रयास किया जा रहा है कि प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर एक गौशाला या गांव आश्रय स्थल का निर्माण करवाया जा रहा है. इसमें कई सारे गौ आश्रय स्थल हमारे यहां संचालित भी हैं. इसमें तकरीबन 2800 गोवंश अभी पल भी रहे हैं. इसके अलावा तुलसीपुर ब्लॉक में एक वृहद गौशाला संचालित है. वहीं कुछ ही दिनों में बलरामपुर में भी एक वृहद गांव आश्रय स्थल संचालित हो जाएगा. हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक गायों को इनको आश्रय स्थलों पर ले जाकर संरक्षित किया जाए जिससे किसानों के साथ-साथ आम लोगों को जो समस्याएं हो रहे हैं उससे निजात मिल सके.

दावे और हक़ीक़त में फ़र्क़ :-

सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधिकारी व जिम्मेदार कुछ भी कहें लेकिन जिले सहित प्रदेश के तमाम हिस्सों के किसान छुट्टा गोवंश ओं के कारण लगातार अपनी खेती किसानी चौपट करते आ रहे हैं. बड़ी संख्या में हो रही दुर्घटनाओं के कारण गोवंश को सहित आम लोगों की मौत भी हो रही है. इनके कारण सड़कों पर हर रोज दुर्घटनाओं का होना आम हो गया है. फिर भी सरकार लोगों को इन समस्याओं से निजात दिलाने की असल कोशिश करने के बजाय आंकड़े बाजी का खेल खेल रही है.

योगेंद्र विश्वनाथ

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