14000 करोड़ के घोटाले में वांछित नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है : ब्रिटेन की अदालत

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी के मामले में वांछित हीरा कारोबारी नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण पर लंदन की अदालत फैसला सुना रही है।

लंदन: पंजाब नेशनल बैंक से करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी के मामले में वांछित हीरा कारोबारी नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण पर लंदन की एक अदालत आज (गुरुवार) फैसला सुना रही है, नीरव मोदी फिलहाल लंदन की एक जेल में बंद है। 49 वर्षीय नीरव मोदी के दक्षिण-पश्चिम लंदन स्थित वॉन्ड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के जरिए वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में पेश होने की उम्मीद जताई जा रही थी जिला न्यायाधीश सैमुअल गूजी अपना फैसला सुना रहे हैं कि हीरा कारोबारी के भारतीय अदालतों के समक्ष पेश होने के लिए कोई मामला है या नहीं, मजिस्ट्रेट की अदालत के फैसले को इसके बाद ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा।

हालांकि फैसले के आधार पर दोनों में से किसी एक पक्ष के उच्च न्यायालय में अपील करने की भी संभावना है.
नीरव मोदी को प्रत्यर्पण वारंट पर 19 मार्च 2019 को गिरफ्तार किया गया था और प्रत्यर्पण मामले के सिलसिले में हुई कई सुनवाइयों के दौरान वह वॉन्ड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के जरिये शामिल हुआ था। जमानत को लेकर उसके कई प्रयास मजिस्ट्रेट अदालत और उच्च न्यायालय में खारिज हो चुके हैं क्योंकि उसके फरार होने का जोखिम है।

नीरव भारत में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामलों के तहत आपराधिक कार्यवाही का सामना करना होगा। इसमें से एक में केंद्रीय जांच ब्यूरो का मामला पीएनबी में गैरकानूनी पत्र (LoU) या ऋण समझौते के जरिए बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी से संबंधित है। दूसरी कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हैं. यह मामला लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी का है। उस पर सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को धमकाने के दो अतिरिक्त आरोप भी लगे हैं, जो कि सीबीआई के मामले में जोड़े गए हैं।

क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) ने भारत सरकार की ओर से बहस करते हुए उसके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है. यह भी साफ किया गया है कि भारत में उसके प्रत्यर्पण को रोकने वाले कोई मानवाधिकार के मुद्दे नहीं हैं। सीपीएस के बैरिस्टर हेलेन मैल्कम ने तर्क दिया है कि ज्वैलर ने “पोंजी जैसी योजना चलाई थी जिसमें पुराने को चुकाने के लिए नए गैरकानूनी पत्र का इस्तेमाल किया गया था।

पोंजी योजना को आम तौर पर एक निवेश घोटाले के रूप में जाना जाता है, जिसमें बाद के निवेशकों से लिए गए पैसे से पुराने निवेशकों के लिए राशि जुटाई जाती है. सीपीएस ने दावा किया है कि नीरव मोदी ने पीएनबी बैंक अधिकारियों के साथ साजिश करके गैरकानूनी पत्रों का फर्जी उपयोग करने के लिए अपनी फर्मों- डायमंड्स आर अस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स का इस्तेमाल किया। सीपीएस ने भारतीय जांच अधिकारियों की पहुंच से बाहर रहने के लिए अपनी कंपनियों के डमी अधिकारियों को डराने-धमकाने में नीरव मोदी की भागीदारी के सबूत के रूप में अदालत में वीडियो भी चलाए, बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमरी की अगुवाई वाले नीरव मोदी के बचाव पक्ष ने दावा किया है कि यह पूरा मामला एक वाणिज्यिक विवाद है। यह भी दावा किया गया है कि उनका कोई भी कार्य कानूनी सीमा से परे नहीं है और धोखाधड़ी नहीं है, बचाव पक्ष ने नीरव मोदी के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में भी तर्क दिए हैं।

पिछले साल और इस साल की शुरुआत में नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के मामले की सुनवाई के दौरान वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दोनों पक्षों के विस्तृत तर्क सुने। इस दौरान नीरव मोदी की “बिगड़ते” मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर भी दोनों पक्षों की तरफ से तर्क दिए गए। इसमें प्रत्यर्पण अधिनियम 2003 धारा 91 की सीमा को लेकर तर्क दिए गए जिसका उपयोग हाल ही में ब्रिटेन में विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के प्रत्यर्पण को रोकने के लिए किया गया था।
सीपीएस ने बचाव पक्ष के उस रुख को चुनौती दी है जिसमें भारत में नीरव मोदी की स्वास्थ्य देखभाल को लेकर सवाल उठाए गए हैं, बचाव पक्ष ने मनोचिकित्सक और चिकित्सा रिकॉर्ड का स्वतंत्र मूल्यांकन कराने की मांग की थी।
मुंबई की आर्थर रोड जेल में नीरव मोदी को लाया जाना है. वहां जेल के बैरक 12 की स्थिति पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। भारत सरकार ने उस सेल की एक अपडेटेड वीडियो रिकॉर्डिंग पेश की है ताकि यह पता चले कि उस स्थान पर प्राकृतिक प्रकाश है, वह स्थान हवादार है और वह सभी मानवाधिकार आवश्यकताओं को पूरा करता है।
नीरव मोदी को लेकर कानूनी लड़ाई ब्रिटेन में आरोपी भारतीय आर्थिक अपराधियों से जुड़े कई हाई-प्रोफाइल प्रत्यर्पण मामलों में से एक हैं। किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मालिक विजय माल्या भारत में उनके प्रत्यर्पण से संबंधित एक “गोपनीय” मामले में जमानत पर हैं। आरोपी हथियार डीलर संजय भंडारी के प्रत्यर्पण के मामले में अप्रैल में अगली सुनवाई होनी है।
क्रिकेट सट्टेबाज संजीव चावला के खिलाफ भारत में केस चलाने के लिए उसे फरवरी 2020 में प्रत्यर्पित किया गया, भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत यह अपने तरह का पहला प्रत्यर्पण का मामला था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *