2631 करोड़ के “डी एच एफ एल” घोटाले की सीबीआई जांच की मांग, क्या आतंकी नेटवर्क में गया कर्मचारियों का अरबों रूपया?The Indian opinion

पॉवर सेक्टर इम्पलॉईस ट्रस्ट की 2631 करोड़ रु की धनराशि दीवान हाऊसिंग फाइनेंस कम्पनी में लगाने और रकम डूब जाने के घोटाले की सी बी आई जाँच कराने और घोटाले के दोषियों पर कठोर कार्यवाही करने की मांग !

विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति , उप्र ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि उप्र पॉवर सेक्टर इम्प्लॉईस ट्रस्ट में हुए अरबों रु के घोटाले की निष्पक्ष जांच हेतु सारे प्रकरण की सी बी आई से जांच कराई जाये और घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन के आला अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही की जाये | डी एच एफ एल के इक़बाल मिर्ची और दाऊद इब्राहीम से संबंधों के समाचार पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए संघर्ष समिति ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि इस खुलासे के बाद सी बी आई जाँच बहुत जरूरी हो गई है | 

संघर्ष समिति ने यह भी मांग की है कि पॉवर सेक्टर इम्प्लॉईस ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जाये और उसमे पूर्व की तरह कर्मचारियों के प्रतिनिधि को भी सम्मिलित किया जाये | 

विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ,उप्र के प्रमुख पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे ,राजीव सिंह ,गिरीश पांडेय ,सदरुद्दीन राना ,विपिन वर्मा ,सुहेल आबिद ,राजेंद्र घिल्डियाल ,डी के मिश्र पी एन राय ,ए के श्रीवास्तव ,भगवन मिश्र , पूसे लाल ,पी एस बाजपेई ,शम्भू रत्न दीक्षित ने आज यहाँ जारी बयान में यह भी मांग की कि पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन ट्रस्ट में जमा धनराशि और उसके निवेश पर तत्काल एक श्वेतपत्र जारी करे जिससे यह पता चल सके कि कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई की धनराशि कहाँ कहाँ निवेश की गई है | उन्होंने कहा कि मार्च 2017 से दिसंबर 2018 के बीच डी एच एफ एल में 2631 करोड़ रु जमा किये गए और मार्च 2017 से आजतक पॉवर सेक्टर इम्प्लॉईस ट्रस्ट की एक भी बैठक नहीं हुई इस आलोक में यह बहुत सुनियोजित और गंभीर घोटाला है | 

यूपीपीसीएल के चेयरमैन को लिखे एक पत्र में अभियंता संघ  ने कर्मचारियों के सामान्य भविष निधि (जीपीएफ) और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) से संबंधित पैसे को निवेश करने के निर्णय पर सवाल उठाया है।पत्र में कहा गया है कि उप्र  सरकार को अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक विवादास्पद कंपनी में जमा की गई हजारों कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई वापस लाई जाए।

संघर्ष समिति का कहना है कि अभी भी 1,600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि डीएचएफएल में फंसी हुई है। सरकार यह पैसा वापस लाए। हम सरकार से एक आश्वासन भी चाहते हैं कि जीपीएफ या सीपीएफ ट्रस्ट में मौजूद पैसों को भविष्य में इस तरह की कंपनियों में निवेश नहीं किया जाएगा।
 पत्र में कहा गया है कि (यूपी स्टेट पॉवर सेक्टर इंप्लाई ट्रस्ट के) बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने सरप्लस कर्मचारी निधि को डीएचएफएल की सावधि जमा योजना में मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक जमा कर दिया। इस बीच बंबई उच्च न्यायालय ने कई संदिग्ध कंपनियों और सौदों से उसके जुड़े होने की सूचना के मद्देनजर डीएचएफएल के भुगतान पर रोक लगा दी।

पत्र में आगे कहा गया है कि ट्रस्ट के सचिव ने फिलहाल स्वीकार किया है कि 1,600 करोड़ रुपये अभी भी डीएचएफएल में फंसा हुआ है। संघर्ष समिति  ने आरोप लगाया है कि कर्मचारी निधि को किसी निजी कंपनी के खाते में हस्तांतरित किया जाना उन नियमों का सरासर उल्लंघन लगता है, जो कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद के लिए इस निधि को सुरक्षित करते हैं।

जारीकर्ता शैलेन्द्र दुबे 
संयोजक 
9415006225