
इस वीडियो में देखिए एक व्यक्ति को अर्धनग्न अवस्था में एक औरत और उसका साथी बेरहमी से मार रहे हैं पीट रहे हैं।
दरअसल इस व्यक्ति का नाम है दुर्गेश यादव बताया जा रहा है। जब यह वीडियो बनाया जा रहा था और दुर्गेश यादव की पिटाई हो रही थी उसके थोड़ी ही देर बाद दुर्गेश यादव ने इस कमरे से निकलकर जान बचाने के लिए भागने की कोशिश की, और इन्हीं आरोपियों ने उसे गोली मारकर उसकी जान ले ली।

बताया जा रहा है कि दुर्गेश यादव और दृश्यों में दिखाई पड़ रहे लोग लखनऊ में सरकारी नौकरी दिलाने का एक रैकेट चलाते हैं और प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार भी करते हैं। इनके बीच पैसों के लेनदेन को लेकर विवाद हो गया जिसके बाद यह दुर्गेश के ही खून के प्यासे हो गए।
लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी नौकरी दिलाने का रैकेट चलता है। इस रैकेट में कई अधिकारी कर्मचारी शामिल हैं मीडिया सूत्रों के मुताबिक दुर्गेश यादव और उसके साथी खुद भी सचिवालय में तैनात एक समीक्षा अधिकारी के मकान में रहकर अपने गैंग का संचालन कर रहे थे।

वीडियो में मार खा रहा दुर्गेश यादव जब इन अपराधियों के हाथ कत्ल कर दिया गया, तब पुलिस पर सवाल खड़े हुए और पुलिस ने यह जवाब देना जरूरी समझा कि दुर्गेश यादव गोरखपुर का हिस्ट्रीशीटर था यह मान भी लिया जाए कि दुर्गेश यादव हिस्ट्रीशीटर था उसके खिलाफ कई मुकदमे थे लेकिन क्या जो लोग इस तरह बेरहमी से उसकी जान ले रहे हैं वह लोग कानून की धज्जियां नहीं उड़ा रहे ?

दुर्गेश ने यदि कोई गलती की थी तो उसे सजा देने का अधिकार सिर्फ कानून को है और अभी उसे अदालत ने सजा भी नहीं दी थी यानी अदालत ने अभी उसके जुर्म को साबित नहीं किया था।
जिस दुर्गेश यादव की पिटाई हो रही है, जिसकी हत्या कर दी गई और जिसे हिस्ट्रीशीटर कहा जा रहा है वह लखनऊ में वह सफेद पोश बनकर कर सचिवालय के अधिकारियों की मिलीभगत से अपना गैंग चला रहा था, और नौकरी दिलाने के फर्जीवाड़े करके करोड़ों रुपए कमा रहा था, लोग उसे मार रहे हैं वह भी इसी आपराधिक नेटवर्क के सदस्य हैं।

दृश्य में एक महिला और एक युवक इसे बेरहमी से पीट रहा है इस महिला का नाम पलक ठाकुर है और इसे पीटने वाले युवक का नाम मनीष यादव है मनीष यादव खुद को पुलिस का दरोगा बताकर लोगों पर रौब झाड़ता था, उसने दरोगा का फर्जी आई कार्ड भी बनवा रखा था।

वीडियो में मार खा रहा दुर्गेश यादव, उसे बेरहमी से मार रही महिला, पलक ठाकुर और इस अपराध में शामिल फर्जी दरोगा मनीष यादव, यह सभी लग्जरी गाड़ियों से चलते थे और सभी गैर कानूनी काम करते हुए रईसों जैसी जिंदगी जी रहे थे।
पिछले दिनों पहले यूपी एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश सचिवालय के अंदर बैठकर सरकारी ठेके दिलाने वाले कई लोगों का पर्दाफाश किया था यह मामला भी इसी तरह का है।
यह लोग अधिकारियों की मिलीभगत से बेरोकटोक सचिवालय में बैठते थे और वहीं से नौकरी दिलाने का रैकेट चला रहे थे। उत्तर प्रदेश सरकार लोगों को अनुशासन और इमानदारी का संदेश देते नहीं थकती, जबकि जहां से सरकार संचालित होती है उस सचिवालय से ही भ्रष्टाचार के तार जुड़े हैं।

ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गंभीर होना पड़ेगा और सबसे पहले उन्हें सचिवालय से जुड़े उन भ्रष्ट अफसरों पर कठोर कार्रवाई करनी होगी जो आए दिन सरकार की बदनामी करा रहे हैं।
इस मामले में यह बड़ा सवाल उठता है कि दुर्गेश यादव जैसा एक हिस्ट्रीशीटर कैसे सचिवालय के एक अधिकारी के मकान से अपना रैकेट चला रहा था?

दूसरा सवाल यह उठता है कि आखिर सचिवालय के अधिकारी के मकान में घुसकर फर्जी दरोगा मनीष यादव और अपराधी महिला पलक ठाकुर ने दुर्गेश यादव को बेरहमी से मारने की हिम्मत कैसे की?
कुल मिलाकर सरकार के प्रयासों के बावजूद उत्तर प्रदेश में कानून का राज और अपराधियों के दिलों में पुलिस और कानून का डर कायम नहीं हो पा रहा है।
लखनऊ से आनंद मिश्रा की रिपोर्ट।