गुजरात विधानसभा के चुनाव में मिली रिकॉर्ड तोड़ सफलता से मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी नेता गदगद हैं। इसकी वजह है गुजरात में उन्होंने नया प्रयोग किया था, जिसमें उन्हें सफलता मिली। अब संभावना इस बात की बनने लगी है कि मध्य प्रदेश में भी पार्टी गुजरात मॉडल को अपना सकती है। अगर ऐसा हुआ तो कई नेताओं का भविष्य संकट में पड़ सकता है।
गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने सत्ता में बड़ी सर्जरी की थी, इतना ही नहीं विधानसभा के उम्मीदवारों के चयन में भी सतर्कता बरती और 30 फीसदी विधायकों के टिकट काट दिए थे। पार्टी में असंतोष भी दिखा, मगर बिना हिचक नए चेहरों को मौका दिया गया। चुनाव में जो नतीजे आए हैं वे सबके सामने हैं क्योंकि पार्टी 182 में से 156 सीटों पर जीत करने में कामयाब रही है।
गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। भाजपा-कांग्रेस के साथ इस बार चुनावी रण में आम आदमी पार्टी भी ताल ठोक रही है। हालांकि सत्ताधारी भाजपा ने 27 वर्ष बाद अपना गढ़ बचाने के लिए पुराने पन्ना प्रमुख मॉडल में बदलाव कर दिया है। इस चुनाव में पार्टी नए मॉडल के साथ मैदान में उतर गई है। इस मॉडल को पन्ना कमेटी नाम दिया है। वोटर लिस्ट के हर पन्ने के लिए एक कमेटी में पांच सदस्य बनाए गए है। इसमें हर सदस्य की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने परिवार के तीन लोगों का वोट भाजपा को दिलाएगा। पार्टी ने पूरे प्रदेश में 82 लाख पन्ना सदस्य बनाए है। इसमें लक्ष्य है कि हर पन्ना सदस्य तीन वोट डलवाए।