CM जिसके कुलाधिपति उस विश्वविद्यालय ने बना ली कोरोना दवा, लेकिन संवेदनहीन अफसरों के चलते मरीजों को नहीं मिल रही?

THE INDIAN OPINION EXCLUSIVE

 

कोरोना के गंभीर संकट की वजह से हजारों लोगों की मौत हो रही है तमाम डॉक्टर अधिकारी और नेता भी अपनी जान गवा रहे हैं। आम लोगों की मौत  की फेहरिस्त बहुत लंबी है इसके बावजूद सरकारी तंत्र में बैठे संवेदनहीन और लापरवाह अधिकारियों और जिम्मेदार लोगों की वजह से यह संकट और ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। क्योंकि सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर का दावा है कि उन्होंने कोरोना की प्रभावी दवा 1 महीने पहले ही बना ली, फिर भी यह दवा सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते मरीजों से दूर है!

सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी जिस के कुलाधिपति हैं सीएम योगी, ने 1 महीने पहले बना ली है प्रभावी दवा:

मामला बहुत गंभीर है कोरोनावायरस के संक्रमण से जान बचाने वाली प्रमाणित दवा उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन संचालित  सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी जिसे उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी आफ मेडिकल साइंस कहा जाता है  उसके द्वारा लगभग 1 महीने पहले ही बना ली गई थी। बीते 4 अगस्त को ही सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर राजकुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह घोषित कर दिया था कि उनके द्वारा बनाई गई कोरोनावायरस  की दवा  “राज निर्वाण बटी ” कोरोना के हल्के मध्यम और गंभीर लक्षण वाले  मरीजों पर पूरी तरह  सफल है और  इस दवा ने आईसीएमआर की निगरानी में रेंडमाइज्ड कंट्रोल टेस्ट भी क्वालीफाई कर लिया है। प्रोफेसर राजकुमार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उनकी दवा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पूरी तरह प्रमाणित है, और कोरोनावायरस के केवल क्रिटिकल मरीजों को छोड़कर  अन्य सभी मरीजों पर  कारगर है।

यानी  यदि  किसी को कोरोनावायरस की जानकारी होने के बाद सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर राजकुमार के द्वारा तैयार कराई गई दवा  दी जाए तो वह व्यक्ति लगभग 1 सप्ताह में ही स्वस्थ हो सकता है विशेष परिस्थितियों में 2 सप्ताह का समय लग सकता है। ऐसे व्यक्ति की हालत बिगड़ने की और उसके क्रिटिकल कंडीशन में जाने की स्थितियां बहुत ही न्यूनतम होंगी।

वीसी प्रोफेसर राजकुमार की बनाई राज निर्माण वटी के इस्तेमाल से बच सकती है कोरोना मरीजों की जान, प्रोफेसर राजकुमार के मुताबिक इस दवा का यदि समुचित इस्तेमाल किया जाए तो जो मौत कोरोनावायरस से हो रही हैं उनमें अधिकांश को रोका जा सकता है।

इतनी महत्वपूर्ण दवा के बारे में भेजी गई चिट्टियां स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में धूल खा रही है।

लेकिन आपको जानकर यह हैरानी होगी कि इतनी बड़ी उपलब्धि के बावजूद उत्तर प्रदेश के सरकारी तंत्र में  एक सरकारी विश्व मेडिकल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर भेजी गई चिट्टियां धूल खा रही है, वह भी  इतने गंभीर विषय पर जो हजारों लाखों लोगों की जिंदगियों से जुड़ा है जबकि उत्तर प्रदेश की सरकार अपने दो मंत्रियों और तमाम अधिकारियों कर्मचारियों को भी गंवा चुकी है। उत्तर प्रदेश के हजारों आम नागरिक भी  कोरोना के चलते अपनी जान गवा चुके हैं हर रोज लोगों की मौत हो रही है लेकिन बेपरवाह अफसरों को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता जबकि यह उपलब्धि  उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी उपलब्धि है। प्रोफेसर राजकुमार ने द इंडियन ओपिनियन को बताया कि उन्होंने कोरोना का सफल इलाज करने वाली अपनी दवा राज निर्माण वटी  के सफल प्रयोग और उसका जनहित में  मरीजों को दिए जाने से संबंधित कई पत्र स्वास्थ्य विभाग चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्रियों और अधिकारियों को भेजें  उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी उन्होंने यह पत्र भेजें  लेकिन कहीं भी इतने गंभीर विषय के पत्राचार होने के बावजूद  इस विषय पर संज्ञान नहीं लिया गया और इतनी महत्वपूर्ण दवा उपलब्ध होने के बाद भी इसे जनता में वितरित करने के बारे में इलाज के लिए मंजूरी देने के बारे में कोई भी कार्यवाही आगे नहीं बढ़ाई गई।

देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में लाइसेंस प्रक्रिया ही बंद है:
  प्रोफेसर राज कुमार बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में तो आयुष विभाग में  लाइसेंस लेने की प्रक्रिया ही  रुकी पड़ी है इसलिए इस दवा का अप्रूवल उत्तराखंड के  आयुष विभाग से लिया गया और कोरोना के खिलाफ  प्रतिरोधक क्षमता बुखार और श्वसन तंत्र व शरीर के  कोशिकाओं को नुकसान से बचाने में सक्षम इस दवा को आयुष मंत्रालय से लाइसेंस भी मिल गया है। लेकिन उन्हें इस बात की निराशा है कि पिछले 1 महीने से वह लगातार इस के संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के  स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों से संपर्क कर रहे हैं और इतनी महत्वपूर्ण दवा जनहित में उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन कहीं से भी ना तो उन्हें प्रोत्साहन मिला और ना ही  इस दवा को  जरूरतमंद मरीजों को उपलब्ध कराने के लिए पहल की गई।

दुनिया के आधा दर्जन देशों ने प्रोफेसर राजकुमार की उपलब्धि  की प्रशंसा की : उत्तर प्रदेश सरकार की सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर राजकुमार विश्व की पहली  कोरोना की विस्तृत पुस्तक( covidology)भी उपलब्ध करा चुके हैंl उनके कई रिसर्च कोरोना से संबंधित दुनिया के कई जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं l इंग्लैंड इंडोनेशिया थाईलैंड समेत तमाम देशों की सरकारों ने कोरोना के क्षेत्र में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों पर उनकी प्रशंसा की है और उन्हें पत्र भी भेजें हैl  लेकिन भारत में और उत्तर प्रदेश में उनके कठिन परिश्रम को अनदेखा किया जा रहा है और इसका नुकसान कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों को हो रहा है!

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