द इंडियन ओपिनियन
नई दिल्ली
कारगिल वह क्षेत्र है, जहां भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना के साथ युद्ध कर उनके कब्जे से कारगिल द्रास क्षेत्र को आजाद करा कर एक स्वर्णिम विजय गाथा लिखी थी। भारत—पाक की इस जंग को हमारे यहां विजय के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। इस सैन्य अभियान में जिस बहादुरी के साथ भारत की संप्रभुता की रक्षा की थी, उसे याद करने और मौजूदा हालात में उसके मायने समझने के लिए देश की राजधानी दिल्ली स्थित सीएसकेएम पब्लिक स्कूल में एक दिवसीय सैन्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
“कारगिल ऑपरेशन: उभरते भू-राजनीतिक वातावरण में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण मोड़” विषय पर आधारित इस अंतर-विद्यालय सैन्य इतिहास संगोष्ठी का आयोजन यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) के तत्वावधान में किया गया। इस सेमिनार में 1999 के कारगिल ऑपरेशन की रजत जयंती मनाते हुए पूर्व सैनिकों ने इससे जुड़े अपने अनुभवों को छात्रों और अध्यापकों के साथ साझा किया।
सीएसकेएम पब्लिक स्कूल की निदेशक डॉ. शकुंतला एस. जैमन ने मिलिट्री सेमिनार में आए सभी गणमान्य पूर्व सैनिकों का आभार प्रकट करते हुए स्वागत भाषण दिया। सीएसकेएम पब्लिक स्कूल समूह निदेशक कर्नल प्रेम प्रकाश के नेतृत्व में आयोजित इस सेमिनार की शुरुआत एनसीसी कैडेटों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुई, जिसके बाद मेजर जनरल बीके शर्मा, एवीएसएम, एसएम और बार (सेवानिवृत्त), डीजी, यूएसआई और कमांडर भावना सलारिया (सेवानिवृत्त), वरिष्ठ शोधकर्ता, यूएसआई ने एक कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस सैन्य संगोष्ठी में भाग लेने वाले स्कूलों के छात्रों ने कारगिल युद्ध के 3-डी मॉडल प्रस्तुत किए।
सेमिनार में एयर फोर्स बाल भारती स्कूल, दिल्ली, यूसीएसकेएम, भिवाड़ी, टीनू पब्लिक स्कूल, दिल्ली, एसबीवी फतेहपुर बेरी और एसबीवी डेरा गांव के छात्रों सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं अध्यापगण शामिल हुए। सेमिनार की मुख्य विशेषता छात्रों के नेतृत्व में आयोजित अंतर-विद्यालय सिंडिकेट समूह प्रस्तुतियाँ थीं, जिसमें 1962 से 1971 तक के प्रमुख सैन्य अभियानों को शामिल किया गया, जिसका समापन कारगिल युद्ध के गहन विश्लेषण के साथ हुआ। छात्रों ने अपने शानदार भाषणों के माध्यम से भविष्य की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर भी चर्चा की। इन प्रस्तुतियों ने देशभक्ति की भावना को बढ़ावा दिया और साथ ही युवा पीढ़ी को भारतीय सेना के गौरवशाली अतीत की झलक दिखाई।
कारगिल ऑपरेशन के बारे में विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए, एक प्रतिष्ठित पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसका संचालन मेजर जनरल जगतबीर सिंह, वीएसएम (सेवानिवृत्त) ने किया। पैनल में गोरखा रेजिमेंट के कारगिल युद्ध के दिग्गज ब्रिगेडियर अमूल अस्थाना (सेवानिवृत्त), कैप्टन (आईएन) सरबजीत सिंह परमार (सेवानिवृत्त) और भारतीय वायु सेना (सेवानिवृत्त) के ग्रुप कैप्टन विजय शंकर राणा शामिल थे। सेमिनार में एक परस्पर संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र में छात्रों को जाने—माने विशेषज्ञों से सीधे जुड़ने का अवसर मिला, जिससे उनके भीतर युद्ध के निहितार्थों के बारे में समझ बढ़ी। सेमिनार का समापन मेजर जनरल डी ए चतुर्वेदी, पीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम (सेवानिवृत्त) के आकर्षक संबोधन और मुख्य अतिथियों, पैनलिस्टों और प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र देने के साथ हुआ।
विद्यालय द्वारा करवाया गया यह आयोजन निश्चित तौर पर देश के युवा नागरिकों और विद्यार्थियों में न सिर्फ राष्ट्रीय भावना का संचार करेगा बल्कि आने वाले समय में देश के सामने आने वाली चुनौतियां से निपटने के लिए देश की युवा पीढ़ी का मनोबल बढ़ाने का भी काम करेगा।