Deepak Mishra
The Indian Opinion
Lucknow
जयप्रकाश नारायण न सिर्फ भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, बल्कि देश के लिए बड़े योगदान देने की वजह से भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न, यानी देश के सबसे बड़े सम्मान से भी सुशोभित किया था। इतना ही नहीं, जयप्रकाश नारायण को लोकनायक भी कहा गया क्योंकि उन्होंने उस दौर में बहुत ताकतवर समझी जाने वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार, जो दशकों से लगातार सत्ता पर काबिज थी, के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन भी चलाया।
लेकिन यह दुखद है कि आम जनता ने जिसे लोकनायक माना, ऐसे महापुरुष की याद में बनाई गई अंतरराष्ट्रीय स्तर की इमारत पिछले 7 वर्षों से बदहाली का शिकार है। जी हां, हम बात कर रहे हैं राजधानी लखनऊ के JPNIC की। राजधानी के वीआईपी इलाके में स्थित गोमती नगर में बनी यह विश्व स्तरीय इमारत जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में जानी जाती है। इस इमारत को एक विश्व स्तरीय कन्वेंशन सेंटर के रूप में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साल 2015 में निर्मित करने का निर्देश दिया था। इस इमारत पर जनता की गाढ़ी कमाई के लगभग 900 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर की धरोहर को कबाड़ में तब्दील होने के लिए छोड़ दिया गया है।
2017 में यूपी में सत्ता परिवर्तन होने के बाद, योगी सरकार ने इमारत के निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर जांच के आदेश दे दिए। कहा गया कि इमारत में लगभग 100 करोड़ से ज्यादा के काम शासन की स्वीकृति के बिना ही LDA के बड़े अधिकारियों और इंजीनियरों ने करवा दिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच भी होनी चाहिए और कार्रवाई भी होनी चाहिए, लेकिन ऐसे में आम जनता का क्या दोष, जिसके टैक्स के दिए हुए पैसों से लगभग 900 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी यह इमारत जनता के लिए खोली नहीं जा रही है। यह बंद पड़ी है और कबाड़ में तब्दील हो रही है, जबकि भारत की चुनिंदा बिल्डिंग्स में शामिल इस इमारत में हेलीपैड, कई स्विमिंग पूल और कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार हॉल बनाए गए हैं। यहां हजारों लोग एक साथ कई कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं।
यह राजधानी लखनऊ की सबसे महंगी मल्टीपरपज बिल्डिंग्स में शामिल है और लखनऊ के सर्वश्रेष्ठ कन्वेंशन सेंटर का भी इसे दर्जा दिया जा सकता है, बशर्ते इसके अधूरे कार्यों को पूरा करके इसके संचालन को हरी झंडी दी जाए। ज़रूरी है कि प्रदेश की जनता और लखनऊ में आने वाले देश-विदेश के बड़े मेहमान भी इस नायाब इमारत को देख सकें, इस्तेमाल कर सकें और देश के दिग्गज नेता रहे लोकनायक जयप्रकाश नारायण की स्मृति में बनी इस बिल्डिंग को सम्मान देने के साथ ही लोकनायक के अपमान का सिलसिला बंद हो।
बीते साल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जेपी की जयंती में इस इमारत में बाउंड्री फांद कर अंदर घुस गए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार राजनीतिक द्वेष में इस इमारत को कबाड़ में तब्दील कर रही है। सपा के कई नेता इस विषय पर सरकार पर राजनीतिक द्वेष का आरोप लगाते हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव गोपाल यादव कहते हैं, “पूरे प्रदेश में ऐसी तमाम योजनाएं हैं जो सपा सरकार में शुरू हुई थीं, तमाम बड़े प्रोजेक्ट हैं जिनमें हजारों करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जो 90% पूरे हो चुके हैं। ऐसी परियोजनाओं को दुर्भावनापूर्वक वर्तमान सरकार के द्वारा तालों में बंद करके उन्हें कबाड़ में तब्दील किया जा रहा है, जबकि जनता के हजारों करोड़ रुपये ऐसी परियोजनाओं में लगे हुए हैं। लोकतंत्र में सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन जनता के पैसों से शुरू हुई योजनाओं और बनने वाली इमारतों को इस तरह से बर्बाद करना बिल्कुल गलत है। भाजपा सरकार ने स्वयं तो जनता के लिए कोई बड़ा काम किया नहीं, जो काम अखिलेश जी की सरकार में हुआ था, उसे भी खराब किया जा रहा है या फिर नाम बदला जा रहा है।”
इस मुद्दे पर ‘द इंडियन ओपिनियन’ ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन फोन उठाने वाले व्यक्ति ने कहा कि साहब अभी व्यस्त हैं।
यह वाकई में दुखद है कि इतने बड़े सरकारी बजट से भारत रत्न लोकनायक जेपी के नाम पर बनी इस इमारत में कबूतरों और जानवरों ने अपना अड्डा बना लिया है। इमारत के कई हिस्सों से टाइल्स टूट कर गिर रही हैं, करोड़ों की लगी हुई मशीनें खराब हो रही हैं। इस सेंट्रली एयर कंडीशन बिल्डिंग में विश्व स्तरीय व्यवस्थाएं की गई थीं, जो धूल फांक रही हैं। ऐसे में न सिर्फ यह जनता के पैसों की बर्बादी का एक नमूना बन गया है, बल्कि भारत रत्न प्राप्त कर चुके देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे महान नेता के नाम का भी उपहास हो रहा है।
ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़ा दिल दिखाते हुए अति शीघ्र इस भव्य इमारत के अधूरे काम पूरे करके इसे जनता को सौंपना चाहिए क्योंकि सत्ता परिवर्तन तो राजनीति और देश की संवैधानिक व्यवस्था का एक अंग है, लेकिन जनता के पैसों से किसी भी सरकार में कोई भी परियोजना शुरू की जाए, उसे जनता को उपलब्ध कराना हर आने वाली सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।