रिपोर्ट – विकास चंद्र अग्रवाल
आरोपों के मुताबिक गूगल पे को RBI द्वारा भुगतान प्रणाली संचालित करने का प्राधिकार नहीं! – वित्तीय अर्थशास्त्री अभिजीत मिश्रा की दिल्ली उच्चन्यायालय के समक्ष दलील*
वित्तीय अर्थशास्त्री अभिजीत मिश्रा ने दिल्ली उच्च न्यायलय में एक जनहित याचिका दायर की है । इस याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि Google का मोबाइल भुगतान एप्प Google Pay या संक्षेप में G pay, भारतीय रिज़र्व बैंक से बिना वैध प्राधिकार प्राप्त किये जन साधारण को वित्तीय लेन देन की सुविधा प्रदान कर रहा है जो नियमों के विरुद्ध है ।
श्री मिश्रा ने दावा किया है कि G pay ‘भुगतान और सेटलमेंट कानून’ के उल्लंघन में भुगतान प्रणाली प्रदाता के रूप में कार्य कर रहा है क्योंकि उसके पास इस तरह के कार्यों को करने के लिए देश के केन्द्रीय बैंक से कोई वैध प्राधिकार नहीं है ।
उन्होंने यह भी कहा है कि 20 मार्च,2019 को एनपीसीआई द्वारा जारी अधिकृत ‘भुगतान प्रणाली संचालकों’ की सूची में G pay का नाम दर्ज नहीं है ।
इस विषय में अपना पक्ष रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्पष्ट करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि Google Pay एक तृतीय पक्ष एप्प प्रदाता (TPAP) है और यह किसी भी भुगतान प्रणाली को संचालित नहीं करता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता के मद्देनजर इस मामले को 22 जुलाई को सूचीबद्ध करने के आदेश दिए हैं क्योंकि इस मामले में आया निर्णय अन्य तृतीय पक्ष (TPAP) एप्पस को प्रभावित करेगा। इस मामले में आने वाले निर्णय के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं ।