कीर्तिमान: 28 लाख विद्यार्थियों 5000 महिला समूहों के जीवन को सौर उर्जा से गतिमान कर चुके हैं शैलेंद्र दिवेदी!

रिपोर्ट – दीपक मिश्रा,

70 लाख सौर ऊर्जा लैंप योजना (नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय  भारत सरकार द्वारा लागू की गई है तथा जमीनी स्तर पर योजना में  आईआईटी बॉम्बे ,ईईएसएल ,उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के संयुक्त तत्वधान में बेहतरीन काम हो रहा है।

उत्तर प्रदेश के साथ-साथ भारत के 5 राज्यो  उत्त्तर प्रदेश ,बिहार, झारखंड, बिहार ,ओडिशा, असम में भी यह योजना लागू की गयी है इस योजना के तहत 5 राज्यों में 70 लाख स्टडी सोलर लैम्प  कक्षा  1 से  12 तक के ग्रामीण बच्चों को दिया जाना है । ये लैम्प की कीमत 700 रुपये  है लेकिन सरकारी सब्सिडी पर  बच्चों को 100 रुपये  में दे रही है और इस  100 रुपये से महिलाओं को रोजागर मिलता है।

उत्तर प्रदेश की प्रगति –

  उत्तर प्रदेश के 30 जिलों के 75 ब्लॉकों में 34 लाख बच्चों को स्टडी सोलर लैम्प दिया जाना है इसके सापेक्ष अभी तक वर्तमान में उत्तर प्रदेश में  28 लाख बच्चों को स्टडी सोलर  लैम्पों का वितरण किया गया और इस लैम्प की असेम्बली &डिस्ट्रुबुशन &रिपेयरिंग समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है जो कि हर माह 5000 रुपये से 10000 रुपये हर माह कमा लेती है ।

इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए इन लैम्पों का 1 साल तक मुफ्त मरम्मत एवं रखरखाव किया जाता है तथा  महिलाओं की  यात्रा यहीं खत्म नही होती  है इसी का अनुभव के आधार पर  अभी वर्तमान में  उत्तर प्रदेश   के 30 जनपदों के 75 ब्लॉको में  महिलाओं ने सौर उद्यमी के अंतर्गत  700  सोलर स्मार्ट शॉप भी खोली है   इन समूह की महिलाओं   के द्वारा सोलर स्मार्ट शॉप  चलाई जा रही है। ये महिलाएं  प्रत्येक महीने 5000 रुपये  से 10000 रुपये  तक कमा रही है।ये महिलाएं  विभिन्न तरह की सेवाएं प्रदान करती हैं जैसे कि सौर उत्पाद (सोलर से सम्बंधित सभी प्रोडक्ट ) सोलर टॉर्च, सोलर लालटेन ,होम लाइटिंग सिस्टम ,सोलर पावर बैंक , सोलर पंखा ,टेबल लैम्प  आदि एवं इनकी रिपेयरिंग का भी कार्य करती है ।

इनको समर्थन करने के लिए महिलाओं  का एक समूह है जो इनको आर्थिक रूप से तथा एक गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करती है। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान  के लिए सदैव तत्पर है और आगे भी रहेगा।
इस योजना के तहत 5000 समूह की महिलाओं को रोजगार मिला है तथा ये सभी स्टडी सोलर  सोलर लैम्प की असेम्बली ,डिस्रीबुशन ,रिपेयरिंग करती है फिर आगे चलकर सोलर स्मार्ट शॉप खोलती हैंl
पूरे देश में नंबर 1 है उत्तर प्रदेश:
अभी उत्तर प्रदेश की प्रगति इस प्रकार है इस योजना के तहत 28 लाख बच्चों को स्टडी सोलर लैम्प मिल चुका है तथा 5000 महिलाओं को रोजागर मिला तथा इन्ही महिलाओं में 700 महिलाओं ने सोलर स्मार्ट शॉप भी  खोली है जो कि सौर उद्यमी का कार्य कर रही है ।
इस योजना के अंतर्गत पूरे देश में प्रगति में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान आया है ।

स्टडी सोलर लैम्प योजना से समूह की महिलाओं को  निम्न  फायदे हुए -उत्तर प्रदेश

1- नारी सशक्तिकरण
2- कौशल विकाश
3- स्वरोजगार
3- पर्यावरण प्रदूषण पर रोक
4- महिलाये आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनी।
5– केरोसिन  से आजादी मिला।
6-  पर्दा प्रथा का अंत
7- सामाजिक बदलाव
8- आर्थिक बदलाव

9 -नारी सशक्तिकरण- महिलाओं को रोजगार मिला जिससे उनकी आर्थिक उन्नति हुई l
10- कौशल विकाश- योजना से महिलाओं को असेम्बलर व डिस्ट्रिब्यूटर ,रिपेयर  टेक्नीशियन  बनकर अपना हुनर दिखाने और नया कौशल सीखने का मौका मिला ।
11- स्वरोजगार- बाई लोकल फ़ॉर लोकल की तर्ज पर आज पूरे उत्तर प्रदेश मे कुल 700 से ज्यादा स्मार्ट सोलर शाॅप महिलाए संचालित कर रही है, जिससे औसतन 300 से 400 तक की प्रतिदिन प्रति शॉप की आमदनी हो रही है।
12- पर्यावरण प्रदूषण पर रोक- ग्रामीण इलाको मे इस योजना के पहले इलेक्ट्रीसीटी को छोड़कर जो भी प्रकाश के पराम्परागत श्रोत ( जैसे- लालटेन, ढिबरी, कैंडिल इत्यादि) थे उनसे प्रकाश कम अपितु प्रदुषण ज्यादा होता था जिससे अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, इत्यादि बच्चो को कई खतरनाक बिमारिया हो जाया करती थी, कभी-कभी दुर्घटनावश (जैसे आग लग जाने पर)बच्चो ही नही बल्कि अन्य लोगो को भी भारी जान माल का नुकसान होता था। किंतु सौर ऊर्जा लैम्प आने के बाद बच्चो को उपरोक्त किसी भी प्रकार की कोई समस्या का डर नही रहा।
13 – महिलाये आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनी।

13- पर्दा प्रथा का अंत हुआ और महिलाओं को बाहर निकालने का अवसर मिला।
14- सामाजिक बदलाव- इस योजना के लागू होने के पूर्व  जो महिलाए घर का काम काज किया करती थी, जिन्हे अपने परिवार के अलावा कोइ जानता  – पहचानता तक नही था। किंतु इस योजना के आने के बाद इन्हे एक नई पहचान मिली- सोलर वाली दीदी । पूरे ब्लॉक मे इन महिलाओ को एक पहचान मिली जिसे पहले लोग फलाने की बहुरिया कह कर पुकारते थे उन्हे आज कहा जाने लगा है- सोलर वाली दीदी।
15- आर्थिक बदलाव- इस योजना के पहले घर मे सभी फैसले पुरुष ही लेते थे क्योकि कमाना तो उन्हे था न, किंतु इस योजना के आने के बाद हर दीदी जिसने इस योजना मे काम किया उनकी कमाई करीब 6000 से 8000 रुपए प्रति माह है जिसकी मदद से ये दीदी अपने घर परिवार को चलाने मे भरपुर योगदान दिया जिससे की घर के हर फैसले मे इन्हे महत्व दिया जाने लगा व अब दीदी के घर मे उनके पति की कमाई बचत मे रखी जाती है।

स्टडी लैंप से बच्चों को निम्न फायदे हुए –
1-शिक्षा के साथ साथ रोशनी का अधिकार मिला
2-कैरोसिन से मुक्ति मिली
3-पर्यावरण का बचाव हुआ
4-लैंप से साफ सुंदर रोशनी मिली
5-बच्चे पहले से लैंप पाकर पढ़ाई ज्यादा कर रहे हैं
6-बच्चों की पढ़ाई में बहुत ज्यादा बृद्धि हुई
7-लैंप पाकर बच्चे अब अधिक समय पढ़ाई में दे रहे हैं
8-यह लैंप से बच्चों को कोई हानिकारक नही है
9-इस लैंप से बच्चों को स्वच्छ प्रकाश मिला
10-यह लैंप से बच्चों के शिक्षा  स्तर पर बड़ा बद लाव हुआ

11 – स्वच्छ व हानि रहित प्रकाश– ग्रामीण इलाको मे इस योजना के पहले इलेक्ट्रीसीटी को छोडकर जो भी प्रकाश के पराम्परागत श्रोत ( जैसे- लालटेन, ढिबरी, कैंडिल इत्यादि) थे उनसे प्रकाश कम अपितु प्रदुषण ज्यादा होता था जिससे अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, इत्यादि बच्चो को कई खतरनाक बिमारिया हो जाया करती थी, कभी-कभी दुर्घटनावश (जैसे आग लग जाने पर)बच्चो ही नही बल्कि अन्य लोगो को भी भारी जान माल का नुकसान होता था। किंतु सौर ऊर्जा लैम्प आने के बाद बच्चो को उपरोक्त किसी भी प्रकार की कोई समस्या का डर नही रहा। 

12 -शिक्षा के स्तर मे सुधार- उपरोक्त समस्याओ से निर्भिक होने के बाद अब बच्चो के पढाई की समय सारिणी मे काफी परिवर्तन हुआ है जिससे अब बच्चे पहले की अपेक्षा 4 से 5 घंटे अधिक पढाई कर पा रहे है। जिन बच्चो का मन पढाई मे नही लगता था उनको भी अब शिक्षा की ललक सी लग गई है। इससे बच्चो के शिक्षा स्तर मे काफी सुधार हुआ है।

                            
13 –सोलर लैम्प मिलने के पहले व मिलने के बाद बच्चो की शिक्षा मे अंतर – लैम्प मिलने के पहले ग्रामीण इलाको मे बच्चे रात को पढाई करने मे धूए से होने वाले रोगो से डरते थे, वही पर माता पिता कहते थे बेटा ढिबरी बुझा दो, क्योकि केवल 2 लीटर मिट्टी का तेल है पूरे एक माह चलाना है, जिससे रात मे बच्चे ना के बराबर पढाई किया करते थे। जबकि सोलर स्टडी लैम्प मिलने के बाद बच्चो  व अभिभावक दोनो के मन से ये सभी डर निकल गये। और आज गॉव मे बच्चे रात को 10 बजे तक पढाई करते है। जब ज्यादा समय तक काम किया जायेगा तब परिणाम भी ज्यादा ही होगा, जिससे शिक्षा का परिणाम भी अच्छा हुआ है।

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