रिपोर्ट – आशीष मिश्रा,
एक बार फिर उत्तर प्रदेश मैं प्रशासन की जिम्मेदारी संभालने वाले संवेदनहीन अधिकारियों की वजह से भूमि विवाद से पीड़ित कुछ लोगों ने प्रदेश की राजधानी में आत्मदाह का प्रयास किया, और सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उस समय हड़कंप मच गया जब प्रदेश की विधान सभा और लोक भवन के सामने पुलिस सुरक्षा वाले इलाके में अचानक दो महिलाओं ने केरोसिन डालकर खुद को आग के हवाले कर दिया। जानकारी के मुताबिक अमेठी जनपद के जामो इलाके के निवासी महिला अपने पड़ोसी से नाली विवाद के चलते परेशान थी, मामले में एक पक्ष अल्पसंख्यक समाज का है और दूसरा पक्ष पिछड़े वर्ग समाज का।
पीड़ित पक्ष का कहना है कि नाली के विवाद में गांव में उन्हें दबंगों ने पीटा और शिकायत करने पर भी पुलिस प्रशासन ने उचित कार्रवाई नहीं की। जब कई बार प्रार्थना पत्र देने पर भी अधिकारियों ने निराश किया तो हताश होकर उन्होंने विधान सभा और लोक भवन के सामने आत्मदाह करने का गलत फैसला ले लिया।
इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में जांच और कठोर कार्यवाही के आदेश दिए हैं। लेकिन यह कोई पहली घटना नहीं जब जनता के पैसों से ही भारी भरकम वेतन और सुविधाएं लेने वाले अफसरों ने गरीबों को इस तरह से निराश किया हो। पहले भी गरीब कमजोर और हताश लोग परेशान होकर ऐसे गलत कदम उठा चुके हैं। ऐसे में या बड़ा सवाल है कि, जनता की समस्याएं दूर करने के नाम पर तैनात थाना तहसील और जिला प्रशासन के अफसर अपना कर्तव्य ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ कब निभाएंगे.?