क्या समर्पण के बावजूद बीजेपी में उपेक्षा का शिकार है कुर्मी समाज के युवा नेता हर्षित वर्मा?

बाराबंकी: वैसे तो आज भारतीय जनता पार्टी सत्ता में पूर्ण बहुमत से है, केंद्र के साथ साथ देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी में भी मजबूत जनाधार के साथ भाजपा का झंडा बुलंद है लेकिन एक समय ऐसा भी था जब भाजपा का मामूली जनाधार था उस समय भाजपा सत्ता के लिए संघर्षरत रही। एक ऐसा समय भी था जब भाजपा को पदाधिकारी नही ढूंढे मिल रहे थे सपा तथा कांग्रेस में युवाओ की अच्छी संख्या मौजूद रही।

उक्त स्थितियों के बावजूद भाजपा का एक युवा चेहरा जो कुर्मी समाज से आता है और 2009 से सक्रिय रूप से भाजपा में जुड़ा। कई उतार चढ़ाव आये लेकिन इस युवा ने भाजपा का दामन नही छोड़ा। हम बात कर रहे है भाजपा में वर्ष 2009 से सक्रिय युवा नेता हर्षित वर्मा की।

हर्षित एक मध्यम वर्गीय परिवार से आते है जिनके पिता भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी है, हर्षित ने राजनीति में आने का मन बनाया और सक्रिय राजनीति करते हुए सर्वप्रथम भाजपा में बूथ मंडल अध्यक्ष बनाये गए, इसके उपरांत हर्षित ने कम उम्र में ही वर्ष 2010-11 में युवा मोर्चा अध्यक्ष 2013 में यूथ जिलाध्यक्ष और फिर अपनी मेहनत और संघर्ष के बूते पार्टी के महामंत्री बनाये गए।

जनपद में कुर्मी वर्ग का खासा प्रभाव है, जहाँ समाजवादी पार्टी से कुर्मी समाज के सबसे बड़े नेता पूर्व मंत्री बेनी बाबू का नाम आज भी आदर और सम्मान से लिया जाता है वही हर्षित वर्मा भी कुर्मी समाज के उन युवा चेहरों की अग्रिम पंक्ति में आते है जिनके पीछे सैकड़ो युवा, पार्टी का झंडा बुलंद करने के किये तैयार खड़े रहते है।

वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री मोदी के जनपद आगमन को लेकर हर्षित ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया, पार्टी ने इस युवा को जो भी जिम्मेदारी सौंपी उसमे यह युवा खरा उतरा फिर चाहे वह विधानसभा जैदपुर में चुनाव का मामला रहा या फिर हजारो लोगो की भीड़ का प्रबंधन करने की बात रही।

ऐसे संघर्षशील युवा का भाजपा में बढ़ता कद देख कुर्मी समाज के तमाम युवा भी भाजपा की ओर आकर्षित हुए और एक मजबूत टीम के तौर पर कार्य करने लगे, इन्ही सब के मध्य हर्षित ने पार्टी के जिलाध्यक्ष के रूप अपना नामांकन किया लेकिन यहाँ किस्मत ने उनका साथ नही दियाl

भाजपा सत्ता में आयी, तमाम नए चेहरों को जगह मिली लेकिन हर्षित के स्थान में कोई परिवर्तन नही हुआ। इन्ही सब के मध्य , प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कुर्मी समाज के स्वतंत्र देव सिंह ने स्थान ग्रहण किया लेकिन फिर भी इस युवा को कोई महत्त्व नही मिलाl

हाल ही में जनपद के वर्तमान जिलाध्यक्ष को हटाकर शशांक कुशमेश को जिम्मेदारी सौंपी गयी, यही नही आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए युवा मोर्चा सहित विभिन्न मोर्चो में कई कार्यकर्ताओ को महत्व दिया गया लेकिन प्रदेश से लेकर जनपद की किसी भी लिस्ट में हर्षित का नाम नदारद देख उनके समर्थकों एवं कुर्मी समाज में निराशा और नाराजगी है हालांकि जब इस बाबत हर्षित वर्मा से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका कहना था कि उनकी आस्था पार्टी के प्रति है और पार्टी का निर्णय उनके लिए सर्वोपरि है।

भाजपा ने सैकड़ो कार्यकर्ताओ को मौका दिया यही नही तमाम ऐसे आयातित नेताओ को भी मौका दिया, जिनमे कई तो ऐसे चेहरे है जिन्होंने पहले पार्टी का विरोध करने में कोई कसर ही नही छोड़ी और तो और कुछ ऐसे चेहरे भी पार्टी में शामिल हुए जिन्होंने विरोध में मोदी योगी का पुतला भी फूंका, के बावजूद आज वह सबसे बड़ी पार्टी के सक्रिय नेता बनाये गए और उन्हें जगह भी दी गयी।

इन सब का एक कारण पार्टी का वह विश्वास भी है कि उनका पुराना कार्यकर्ता उनका साथ नही छोड़ेगा किन्तु पुराने कार्यकर्ताओ को मौका न देकर आयातित चेहरों की पगड़ी रस्म कर देना भी आने वाले समय मे भाजपा के लिए हानिकारक सिद्ध होगा।

कुछ समय पश्चात ही एमएलसी के चुनाव होने हैं उसके बाद विधानसभा के चुनाव भी किए जाने हैं वही इन सबके साथ साथ ही कुछ ही समय पश्चात नगर पालिका बाराबंकी की सीट भी पिछड़ी होने की प्रबल संभावना है, तो ऐसे समय में देखने की बात यह होगी कि भारतीय जनता पार्टी “हर्ष” से वंचित हर्षित को किस प्रकार से मौका देकर यह सिद्ध करेगी की पार्टी में आज भी पुराने उसूल का वजूद मौजूद है।

आलेख- नितेश मिश्रा

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