क्या CM उद्धव दिखाएंगे साहस, IPS के 100 करोड़ वसूली के आरोप की होगी CBI जांच?

मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोपों से उधव ठाकरे के साथ कांग्रेस और एनसीपी की छवि पर बड़ा दाग!

कहा जाता है कि आग के बगैर अधूरा नहीं होता और जब किसी जिम्मेदार कुर्सी पर सवार कोई बड़ा व्यक्ति अपने ही कैबिनेट मंत्री के खिलाफ कोई बड़ा आरोप लगा दे तो उसे पूरी तरह नकारना भी आसान नहीं है कुछ दिनों पहले तक महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और वहां की गठबंधन सरकार में कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं के करीबी रहे मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने जिस तरह महाराष्ट्र सरकार पर मुंबई पुलिस से 100 करोड रुपए प्रतिमाह अवैध वसूली करवाने का आरोप लगाया है उसके बाद सबसे ज्यादा नुकसान मुख्यमंत्री उधव ठाकरे की छवि को हुआ क्योंकि उद्धव ठाकरे उस सरकार का नेतृत्व करते हैं उस सरकार के मुखिया हैं जो महाराष्ट्र प्रदेश के शासन प्रशासन का संचालन कर रही है और जिस सरकार में कांग्रेस और एनसीपी साझीदार हैं।

सरकार का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री की यह जिम्मेदारी होती है कि सरकार के सभी मंत्री और सभी अधिकारी इमानदारी से संविधान के मत के अनुसार राष्ट्रहित में अपना कार्य करें लेकिन यहां जिस तरह से पुलिस के इंस्पेक्टर सचिन वाजे उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के सामने विस्फोटक भरा वाहन लगाने के मामले में एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी के द्वारा गिरफ्तार हुए उन पर आपराधिक साजिश में शामिल होने का आरोप लगा इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि शिवसेना के बेहद करीबी रहे सचिन वाजे के काले कारनामों में महाराज सरकार से जुड़े कई बड़े और ताकतवर लोग शामिल हैं।

खुद मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने ट्रांसफर होने के कुछ ही घंटों के बाद मुख्यमंत्री को एक भेज कर स्पष्ट कर दिया कि महाराष्ट्र की सरकार राजधानी मुंबई की पुलिस से 100 करोड़ रुपया महीना अवैध वसूली करने का दबाव बना रही है और सचिन वाजे भी इस शर्मनाक भ्रष्टाचार की एक कड़ी है जबकि पुलिस पर यह बड़ा भ्रष्टाचार करने का दबाव गृहमंत्री अनिल देशमुख के द्वारा बनाया जा रहा था ।

इस पूरे प्रकरण में एक तरफ जहां संवैधानिक निर्देशों और राष्ट्रीय हितों की धज्जियां उड़ाई गई है वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार का नंगा खेल खुलकर जनता के सामने आ गया है आम लोग यह सोच कर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं कि जिन नेताओं को वोट देकर वह सत्ता में बैठ।ते हैं जिन लोगों को वाह जनप्रतिनिधि का सम्मान देते हैं वह लोग किस तरह से पैसों की लालच में सरकारी तंत्र को बर्बाद करने में जुटे हैं।

पुलिस जैसे संवेदनशील विभाग से 100 करोड रुपए प्रतिमाह वसूली की मांग करने का मतलब क्या है? मतलब यह स्पष्ट है कि जब पुलिस अवैध वसूली करेगी तो हर तरह के अपराधियों से हाथ मिलाएगी, हर तरह के अपराधों में वृद्धि होगी आम जनता के साथ अपराध होंगे हत्या लूट बलात्कार डकैती आतंकवाद जैसी घटनाएं बढ़ेंगी और ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले पुलिस को मोटी रकम देते आसानी से बच जाएंगे क्योंकि पुलिस को बहुत ज्यादा पैसों की जरूरत है । ऐसे में यह साफ तौर पर कहा जाता है कि जा सकता है कि सरकार से जुड़े जो भी लोग प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से इस अवैध वसूली के खेल में शामिल हैं वह सब कहीं ना कहीं पुलिस के भ्रष्टाचार से होने वाले अपराधों में शामिल हैं और ऐसे लोगों की जांच करके आईपीएस परमवीर सिंह के पत्र का गहन विश्लेषण और परीक्षण करके पुलिस से संगठित अपराध करवाने वाले जिम्मेदार लोगों को कठोर दंड देना ही चाहिए ।

क्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यह साहस दिखा पाएंगे ? यह देखने वाली बात होगी कि क्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच करने करवाने की हिम्मत दिखा पाएंगे जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और महाराष्ट्र की अस्मिता से खिलवाड़ करने वाले भ्रष्टाचारियों को सजा मिल सके।

रिपोर्ट – आलोक मिश्रा

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