रिपोर्ट – मनीष सिंह,
एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस तेजी के साथ उत्तर प्रदेश के कथित ब्राह्मण अपराधियों का एनकाउंटर के जरिए सफाया करने में जुटी है दूसरी तरफ ब्राह्मणों पर हो रहे उत्तर प्रदेश सरकार के कथित जुल्मों सितम की चिंता में उत्तर प्रदेश के तमाम राजनीतिक दल दुबले हुए जा रहे हैं।
इन दलों को यह दिखाई पड़ रहा है की ब्राह्मण समाज क्षत्रिय नेतृत्व वाले योगी आदित्यनाथ सरकार से असंतुष्ट है और नाराजगी में अपना दूसरा राजनीतिक विकल्प तलाश रहा है। इसीलिए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव लखनऊ में परशुराम भगवान की प्रतिमा लगवाने की पहल कर रहे हैं।
दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती भी भगवान परशुराम के नाम पर अस्पताल बनाने की बात कह चुकी हैं वही भारतीय जनता पार्टी भी अपने ब्राह्मण नेताओं को आगे करके डैमेज कंट्रोल की कोशिश में जुटी है।
जबकि देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस पार्टी ने भी ब्राह्मणों के हित चिंतक के रूप में खुद को पेश करते हुए अपने पुराने वोट बैंक को वापस हासिल करने की कोशिश की है। कांग्रेस के ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर यह मांग कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में भगवान परशुराम की जयंती पर अवकाश दिया जाए।
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक तरफ जहां कथित ब्राह्मण अपराधियों का एनकाउंटर के रूप में सफाया हो रहा है, गरीबी और बेरोजगारी से ब्राह्मण समाज बेहाल है तो दूसरी तरफ ब्राह्मणों का वोट बैंक अपनी तरफ खींच खाने के चक्कर में तमाम सियासी पार्टियां भगवान परशुराम की आराधना में जुट गई हैं।