बाराबंकी: अल्जाइमर के प्रति लोगो को जागरूक कर मनाया गया विश्व अल्जाइमर दिवस!

बाराबंकी। हर वर्ष 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। अल्जाइमर दिवस की शुरुआत पूरे देश में सन 2012 से शुरू हुई जिसके क्रम में  लगातार आज 9वां अल्जाइमर दिवस के रूप में मनाया गया, जिसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है ताकि लोग इसे महज भूलने की बीमारी ना समझें।

इसी क्रम में सफेदाबाद स्थित मातृ-पितृ सदन वृद्धाश्रम में विश्व अल्जाइमर दिवस का आयोजन जनपद बाराबंकी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 बी0 के0एस0चौहान की अध्यक्षता में किया गया।उन्होंने बताया कि अल्जाइमर बीमारी एक प्रकार की अपरिवत्र्य कमिक मानसिक बीमारी(इरिवर्सिबल प्रोग्रेसिव मेंटल डिसीज) है।जो धीरे-धीरे व्यक्ति की याददाश्त,सोचने की क्षमता और रोजमर्रा के कार्यों की क्षमता को नष्ट कर देती है।

मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम जनपद बाराबंकी एन0सी0डी0 के नोडल अधिकारी/अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0सतीश चंद्रा ने बताया कि पूरे विश्व भर में लगभग 50 मिलियन लोग डिमेंशिया(भूलने की समस्या)जैसी बीमारी से पीड़ित हैं।अल्जाइमर रोग से लगभग 29.8 मिलियन लोग पीड़ित हैं तथा अकेले भारत में ही लगभग 40 लाख लोग अल्जाइमर रोग से पीड़ित हैं।इस बीमारी के बारे में आम जनमानस के अंदर जागरूकता बहुत जरूरी है ताकि इस बीमारी के लक्षणों की शीघ्र पहचान करके उचित चिकित्सा परामर्श लिया जा सके।उन्होंने यह भी बताया कि इस बीमारी के उपचार से संबंधित स्वास्थ्य ओ0पी0डी0 जिला पुरुष चिकित्सालय बाराबंकी में प्रतिदिन संचालित होती है।

मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यरत मनोचिकित्सक डॉ0 सौरभ मिश्रा के अनुसार यह बीमारी दिमाग की कोशिकाओं के चारों तरफ उपस्थित प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी के कारण होती है।यह बीमारी शुरुआत से गंभीर अवस्था में पहुंचने तक कई चरणों से होकर गुजरती है।अगर शुरुआती अवस्था में ही इसके लक्षणों की पहचान कर ली जाए और चिकित्सीय सलाह ले ली जाए तो बीमारी को गंभीर अवस्था में पहुंचने से रोका जा सकता है।

इसके कई लक्षण होते हैं जैसे भूलने की समस्या,सामान्य कामकाज करने में कठिनाई, बातचीत में शब्दों का चयन कर पाने में असमर्थ होना,समय और स्थान का ठीक-ठीक ज्ञान ना होना,निर्णय लेने की क्षमता में कमी और प्लान करने की क्षमता में परेशानी होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी को पूरी तरीके से ठीक तो नहीं किया जा सकता,लेकिन अगर समय से इस बीमारी की पहचान कर ली जाए और उचित इलाज हो जाए तो नशीले पदार्थों से परहेज कर एवं मेंटल एक्सरसाइज के द्वारा बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता है।

कार्यक्रम के अंत में मातृ-पितृ सदन वृद्धाश्रम सफेदाबाद बाराबंकी के प्रबंधक ने इस तरह के प्रोग्राम के आयोजन के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा अनुरोध किया कि ऐसे कार्यक्रम का संचालन संस्थान में होता रहे।इस अवसर पर जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम,बाराबंकी की पूरी टीम भी उपस्थित रही।

बाराबंकी से सरदार परमजीत सिंह की रिपोर्ट

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