रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा,
बॉलीवुड के उभरते हुए कलाकार सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध हत्या के मामले में लगातार बड़ी साजिश के सबूत मिल रहे हैं।
सुशांत की मौत कैसे हुई? उस वक्त उसके घर में कौन मौजूद था? किसने सबसे पहले उसके शव को हाथ लगाया? सबूतों को किसके द्वारा मिटा दिया ? यह सारी बातें संदेह के घेरे में है।
इसी बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में यह आरोप लगाया है कि सुशांत सिंह राजपूत के हाईप्रोफाइल मामले में मुंबई पुलिस ने शुरुआती दौर में ही बड़े पैमाने पर सबूतों को अनदेखा किया है और पूरी पड़ताल किए बगैर ही मामले को आत्महत्या होने की खबर के रूप में प्रचारित कर दिया जबकि इस मामले में सुनियोजित हत्या के भी संकेत मिल रहे हैं क्योंकि संदिग्ध परिस्थितियों में सुशांत के फ्लैट और बिल्डिंग का सीसीटीवी कैमरा बंद कर दिया गया था सुशांत के बैंक खातों से पैसे निकालने की बात भी सामने आई है, सुशांत के कमाए हुए पैसे से अन्य लोगों की मौज मस्ती करने की बात भी सामने आई है।
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि एक हाईप्रोफाइल मामले में पुलिस के पहले किस व्यक्ति ने घटनास्थल पर पहुंचकर सबूत मिटा दिए यह जानना जरूरी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर पूरी गंभीरता बरती जानी चाहिए थी जो नहीं बरती गई।
सुशांत की मौत से किसे फायदा हो सकता था कौन फायदा ले रहे थे सारे तथ्यों को लेकर मुंबई पुलिस ने शुरुआती तौर पर लापरवाही बरती है।
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने एनडीटीवी को दिए गए बयान में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं और उन्होंने इस घटना से जुड़ी परिस्थितियों के बारे में मुंबई पुलिस पर यह आरोप लगाया है की गैर जिम्मेदाराना तरीके से गंभीर मामले को आत्महत्या होने का प्रचार दिया गया उनके मुताबिक इस घटना में ऐसे संदेह ऐसे तथ्य मिल रहे हैं कि मामला सुनियोजित हत्या भी हो सकती है या फिर आत्महत्या के लिए प्रेरित किए जाने का गंभीर मामला भी हो सकता है।