निर्दलीय सुनील- अनिल ने मनवाया लोहा, सपा भाजपा को दिखाया आईना!

बाराबंकी: भले ही बाराबंकी में भाजपा 9 सीटों पर अपना कब्जा जमा चुकी है वहीं सपा 4 सीटों पर अपना कब्जा प्राप्त कर चुकी है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा यदि हो रही है तो वह है फतेहपुर और त्रिवेदीगंज के निर्दलीय प्रत्याशियों की।

त्रिवेदीगंज से पूर्व ब्लाक प्रमुख सुनील सिंह ने अपने प्रत्याशी के लिए भाजपा से टिकट मांगा था लेकिन भाजपा ने उन पर विश्वास ना करके टिकट किसी और को सौंप दिया जिससे पूर्व ब्लाक प्रमुख बागी हो गए और भाजपा को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि बागी हुआ या व्यक्ति जीत हासिल कर उसी पार्टी को आईना दिखाएगा।

वहीं दूसरी तरफ फतेहपुर ब्लॉक से भाजपा से टिकट की इच्छा रखने वाले अनिल वर्मा को भी भाजपा ने टिकट नहीं दिया था के बावजूद अनिल वर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर जीत हासिल की और यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि जीत के लिए प्रतीक नहीं बल्कि कठिन परिश्रम और और दृढ़ निश्चय की आवश्यकता होती है।

उक्त दोनों निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत के बाद से जनपद बाराबंकी की राजनीति में एक अलग ही रंग देखने को मिल रहा है जहां समाजवादी पार्टी के कुछ कार्यकर्ता उक्त दोनों प्रत्याशियों को सपा समर्थित बता रहे हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव निर्दलीय प्रत्याशियों को भाजपा समर्थित बता रहे हैं। समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष हाफिज आया आज का कहना है कि फतेहपुर से चुने गए ब्लाक प्रमुख सपा से समर्थित थे लेकिन प्रमाणपत्र लेते समय भाजपा जिला अध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव की मौजूदगी ने यह स्पष्ट कर दिया कि फतेहपुर ब्लॉक प्रमुख की सीट पर कहीं ना कहीं भगवा की छाया मौजूद है वही नवनिर्वाचित ब्लाक प्रमुख अनिल वर्मा ने यह बात स्वीकार भी की है की भले पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया लेकिन वह मन से भाजपा के ही कार्यकर्ता हैं।

वही त्रिवेदीगंज के पूर्व ब्लाक प्रमुख सुनील सिंह की अहमियत अब पार्टी को स्पष्ट दिखाई दे रही है परंतु पूर्व में उनको टिकट ना दिए जाने से उनके समर्थकों में पार्टी के प्रति खासा रोष व्याप्त था लेकिन सुनील सिंह की जीत ने समर्थकों के जूस को खुशी में बदल दिया और पार्टी को आईना दिखाने का काम किया है हालांकि उनका कहना है कि वह भाजपा से बागी होकर निर्दलीय रूप से अपना चुनाव लड़े थे लेकिन भाजपा जिलाध्यक्ष का कहना है कि सुनील सिंह को भाजपा का समर्थन मिलता रहेगा।

कुल मिलाकर इन दोनों प्रत्याशियों ने पार्टियों के समक्ष अपनी अहमियत प्रदर्शित कर दी है वहीं पार्टी के तमाम बड़े फैसले लेने वाले नेताओं के सामने यह सवालिया निशान भी रख दिया है कि यदि पार्टी मेहनत करने वालों पर निष्ठा नहीं जाहिर करेगी तो वह बागी होकर चुनाव जीतने में जरूर सक्षम है

रिपोर्ट – नितेश मिश्रा

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