“धर्मराज ने कर दिया जंग का आगाज” शीला सिंह वर्मा के लिए रणभूमि में विधायक सुरेश यादव!

द इंडियन ओपिनियन
बाराबंकी

बाराबंकी जिला मुख्यालय की नवाबगंज नगर पालिका की ताकतवर कुर्सी पर कब्जा करने के लिए दिग्गजों में जंग का ऐलान हो गया है । इस सियासी महासभा में महा समर में जनता को अपनी ओर मिलाने के लिए हर तरह का दांव खेला जा रहा है। समाजवादी पार्टी ने जिले के चर्चित राजनीतिक परिवार की बहू शीला सिंह वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है परिवार का पहले से ही जनपद में खासतौर पर जिला मुख्यालय पर अच्छा राजनीतिक प्रभाव रहा है

एक जमाने में शीला सिंह वर्मा के पति सुरेंद्र सिंह वर्मा विधायक धर्मराज और सुरेश यादव के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़े थे लेकिन सियासत में हालात और सियासी चाल कब बदल जाए कोई कह नहीं सकता । आज धर्मराज ने सुरेंद्र सिंह वर्मा की पत्नी शीला सिंह वर्मा को चुनाव जिताने के लिए सियासी जंग का आगाज कर दिया है । अखिलेश यादव ने उनके कंधों पर ही शीला सिंह वर्मा के जीत की जिम्मेदारी डाल दी है ।

अपनी विधानसभा लगातार तीन बार जीत चुके धर्मराज के सामने एक बड़ा धर्म संकट है । नवाबगंज नगर पालिका वह लगातार हार रहे हैं और इस बार किसी भी तरह नवाबगंज नगरपालिका में जीत हासिल करके इस धर्म संकट से मुक्ति पाना चाहते हैं। इसीलिए सुरेश यादव धर्मराज के रूप में पार्टी के पक्ष में अपना धर्म निभाने के लिए चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं और शीला सिंह के लिए बाराबंकी शहर के हर मोहल्ले हर गली में जा जाकर वोट मांग रहे हैं।

सपा के प्रभावशाली विधायक सुरेश यादव शीला सिंह के पति सुरेंद्र सिंह वर्मा के साथ डोर टू डोर चुनाव प्रचार में जुट गए हैं विधानसभा चुनाव में लगातार अपराजेय रहे सुरेश यादव को इस बार नगर पालिका की गुत्थी सुलझानी है और नगर पालिका नवाबगंज में समाजवादी पार्टी को जीत दिलानी है । यह मुश्किल काम वह अभी तक नहीं कर पाए हैं इसलिए इस बार पूरा जोर लगाए हैं।

उनके सामने रंजीत बहादुर श्रीवास्तव की धर्मपत्नी शशि श्रीवास्तव है जो कि निवर्तमान चेयरमैन है और उनके साथ रंजीत बहादुर श्रीवास्तव का राजनैतिक नेतृत्व है जो कि लगातार दो बार नवाबगंज नगर पालिका चुनाव जीत चुके हैं और तीसरी बार भी भारतीय जनता पार्टी से टिकट हासिल कर चुके हैं।

देखने वाली बात होगी कि अपने बड़े सियासी किरदार के साथ नगरपालिका के अपेक्षाकृत छोटे चुनाव के मैदान में उतरे सुरेश यादव उर्फ धर्मराज शीला सिंह वर्मा को अध्यक्ष की कुर्सी दिलाने में कितने कामयाब होते हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट का इंडियन ओपिनियन

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