अखिलेश यादव का कठोर फैसला चाचा शिवपाल यादव और ओमप्रकाश राजभर को दिखाया गठबंधन से बाहर का रास्ता-

विधानसभा चुनाव में सपा से फायदा उठाने के बाद भी भाजपा की मदद कर रहे थे शिवपाल और ओमप्रकाश, अखिलेश ने कहा जहां सम्मान मिले वहीं चले जाइए!और आए दिन ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल यादव के सियासी रंग बदलने से नाराज अखिलेश यादव ने दोनों को गठबंधन से बाहर का रास्ता दिखा दिया है ।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों ने अखिलेश यादव के साथ मिलकर समाजवादी पार्टी के गठबंधन के तौर पर चुनाव लड़ा था शिवपाल यादव की सपा के प्रत्याशी के रूप में विधानसभा पहुंचे और ओमप्रकाश राजभर को भी सपा से गठबंधन करने का काफी फायदा मिला और पहली बार उनके छह विधायक चुनाव जीते थे ।

शिवपाल यादव तो 2016 में ही अखिलेश यादव से दूर हो गए थे लेकिन विधानसभा चुनाव के पहले सियासी फायदे के लिए अखिलेश यादव से फिर गले मिल गए थे लेकिन वह अखिलेश से उतना फायदा नहीं हासिल कर पाए जितना फायदा मिलने की उम्मीद में सपा की ओर आए थे ।

नतीजा यह हुआ कि चुनाव के बाद वह फिर भाजपा के खेमे में चले गए और उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में समाजवादी पार्टी की खिलाफत करते हुए भाजपा का साथ दिया इसी तरह ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के वह बेस वोट मुस्लिम और यादव मतदाताओं की मदद से अपनी पार्टी के 6 प्रत्याशियों को विधायक बनवा दिया लेकिन उन्होंने भी राष्ट्रपति चुनाव में अखिलेश यादव का साथ नही दिया वादाखिलाफी करते हुए भाजपा के खेमे में चले गए ।

जिस भाजपा को ओमप्रकाश राजभर कुछ महीनों पहले तक जी भर के गालियां दे रहे थे उसी भाजपा से फायदा लेकर राष्ट्रपति चुनाव में सपा को धोखा दे बैठे । जानकार सूत्रों के मुताबिक 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अभी से अपनी किलेबंदी तेज कर दी है और इसी वजह से समाजवादी पार्टी के गठबंधन को कमजोर करने पर काम हो रहा है तमाम तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं प्रलोभन दिए जा रहे हैं और अखिलेश को अकेला करके अपना कुनबा मजबूत करने की रणनीति पर काम हो रहा है इसी क्रम में ओमप्रकाश राजभर को वाई श्रेणी सुरक्षा दी गई है शिवपाल यादव को तो पिछली सरकार में ही वॉइ श्रेणी की सुरक्षा और लखनऊ में बहुत बड़ा बंगला योगी आदित्यनाथ ने गिफ्ट के तौर पर दे दिया था।

 

ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’

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