अमेरिका और रूस के बीच दशकों से जारी तनाव अब भी पहले जैसा बना हुआ है। अब एक नई स्टडी में हैरान कर देने वाली बातें सामने आई हैं। इसमें पता चला है कि अगर इन दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध होता है, तो वैश्विक स्तर पर अकाल पड़ जाएगा और दुनिया की दो तिहाई आबादी खत्म हो जाएगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि न्यूक्लियर हमले के चलते खाने का प्रोडक्शन सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। रटगर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस बात का डिटेल्ड विश्लेषण किया है कि न्यूक्लियर हमले के बाद न्यूक्लियर विंटर आ जाएगा, जिससे एक समय धरती लंबे समय के लिए ठंडी हो जाएगी।
इन्होंने कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिए दिखाया है कि युद्ध में हथियारों की वजह से ऊपरी वायुमंडल काला हो जाएगा, जो सूर्य को अवरुद्ध कर देगा। इससे दुनियाभर में फसल बर्बाद हो जाएगी। इन्होंने कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिए दिखाया है कि युद्ध में हथियारों की वजह से ऊपरी वायुमंडल काला हो जाएगा, जो सूर्य को अवरुद्ध कर देगा। इससे दुनियाभर में फसल बर्बाद हो जाएगी। कम्युनिटी अर्थ सिस्टम मॉडल नाम के एक जलवायु पूर्वानुमान उपकरण ने विभिन्न देशों में मक्का, चावल, गेहूं और सोयाबीन पर युद्ध के प्रभाव का अनुमान लगाया है। शोधकर्ताओं ने पशुधन चरागाह और समुद्री मत्स्य पालन में अनुमानित परिवर्तनों की भी जांच की है।
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस भी न्यूक्लियर युद्ध के खतरे की चेतावनी दे चुके हैं। उनका कहना है कि ताइवान और यूक्रेन में संकट दुनिया को परमाणु युद्ध के करीब ले जा रही है। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में कहा है कि अगर ज्यादातर लोग न्यूक्लियर हमले से न भी मरे तो भूख उन्हें मार डालेगी। ज्यादातर देशों में 90 फीसदी उत्पादन की कमी होगी। लेकिन कुछ जगह जैसे ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, पनामा, पराग्वे और हैती जैसे देश खाने की कमी के बावजूद भी स्थिर रहेंगी।
युद्ध के कारण प्रतिबंध लगाए जाएंगे और अफ्रीका और मध्य पूर्व के आयात पर निर्भर देशों में गंभीर संकट पैदा हो जाएगा, जिससे वैश्विक खाद्य बाजारों में स्थिति खराब हो जाएगी। प्रोफेसर एलन रोबक ने कहा, ‘सभी को पता है कि न्यूक्लियर युद्ध के परिणाम क्या होंगे। हमने हिरोशिमा और नागासाकी में इसे देखा है। हमारा शोध दिखाता है कि उससे 10 गुना ज्यादा प्रभाव रहेगा और दुनिया भर में पर्यावरण के प्रभाव से करोड़ों लोग मारे जाएंगे।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’