प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। हरमोहन सिंह, यादव समुदाय के नेता और एक दिग्गज हस्ती थे। वह लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे। हरमोहन सिंह यादव ने 31 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और वह 1952 में ग्राम प्रधान बने।
उन्होंने 1970 से 1990 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य और विधायक के अलावा विभिन्न पदों पर कार्य किया।पीएम मोदी ने कहा, चौधरी हरमोहन सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में जो काम किया, उससे आने वाली पीढ़ियों को निरंतर मार्गदर्शन मिलेगा।
पीएम मोदी का इस कार्यक्रम को संबोधित करना भले ही एक आयोजन में उपस्थिति लग रहा हो, लेकिन यूपी की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि इसके
जरिए भाजपा यादव समाज को अपनी ओर लुभाने की कोशिशों में जुटी है। इसके अलावा हरमोहन यादव के पोते मोहित यादव खुद भाजपा के नेता हैं।
इस तरह मंच से बिना कहे साफ संदेश था कि यादव समाज के लिए भाजपा भी एक विकल्प है।
ऐसा माना जाता है कि हरमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि अथवा जयंती आदि के कार्यक्रमों में मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव समेत तमाम नेता जाया करते थे।
लेकिन इस बार माहौल बिलकुल बदला था। भाजपा के नेता मंच पर थे और पीएम नरेंद्र मोदी समेत तमाम भाजपा नेताओं की तस्वीरें भी दिख रही थीं।
वह समाजवादी पार्टी के एक अहम नेता थे और मुलायम सिंह यादव के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध थे। चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद, हरमोहन यादव ने ही यादव महासभा के नेता के रूप में मुलायम सिंह यादव का नाम प्रस्तावित किया था।
बता दें कि 1984 में जब सिख विरोधी दंगे देश भर में भड़के थे तो हरमोहन सिंह यादव रक्षक के रूप में उतरे। उन्होंने कानपुर में लोगों को सिखों के खिलाफ हिंसा से रोका। इस कार्य के लिए राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने उन्हें 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया था।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’