तो क्या उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में दीक्षित परिवार की बेटी और मां को योगी सरकार के संवेदनहीन सिस्टम ने बेरहमी से मार डाला ?

तो क्या उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में दीक्षित परिवार की बेटी और मां को योगी सरकार के संवेदनहीन सिस्टम ने बेरहमी से मार डाला ?

घटना की तस्वीरें इसी बात की गवाही दे रही है की 1 महीने से जो परिवार इंसाफ के लिए संघर्ष कर रहा था कुर्सी के नशे में चूर जिला अधिकारी और दूसरे अफसरों के आगे मिन्नते कर रहा था उस परिवार को भीषण जाड़े में जिसे बेघर कर दिया गया?

परेशान होकर जिस परिवार ने तिनका तिनका जोड़ कर एक घास फूस की झोपड़ी बनाई उसी झोपड़ी में सरकारी तंत्र ने उस परिवार की जीते जी चिता जला दी गई?

कानपुर में युवा बेटी और उसकी मां की सरकारी तंत्र के द्वारा बेरहमी से हुई कथित हत्या ने पूरे देश की व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
कानपुर में जो हुआ उसके बाद ना सिर्फ़ सरकारी तंत्र से जुड़े हर व्यक्ति को बल्कि देश के प्रधानमंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री न्यायपालिका और प्रशासन से जुड़े सभी लोगों को भी शर्मिंदा जरूर होना चाहिए हर उस व्यक्ति को शर्मसार होना चाहिए जो खुद को लोकतंत्र का जिम्मेदार पदाधिकारी और नागरिक समझता है ।


जिस देश में नेताओं और अधिकारियों को रहने के लिए जनता के खर्च पर बड़े-बड़े बंगले दिए जाते हैं गरीब करदाताओं पर महंगाई का बोझ डालकर उनसे वसूली गए पैसों से राजा महाराजा जैसी सुविधाएं अधिकारियों नेताओं और न्यायाधीशों को दी जाती हैं उसी देश में एक गरीब परिवार इसलिए आग में जलकर खत्म हो जाता है क्योंकि उसकी झोपड़ी कथित तौर पर सरकारी जमीन के छोटे से टुकड़े पर बनी थी ।

प्रशासन की संवेदनहीनता बेशर्मी का आलम देखिए एक महीना पहले कानपुर देहात के जिला प्रशासन ने गरीब ब्राह्मण परिवार का पक्का कमरा तोड़ दिया था बेसहारा परिवार के पास सर्दी में खुद को बचाने के लिए कोई आसरा नहीं था जिसके बाद गरीब दीक्षित परिवार ने सर्दियों से बचने के लिए परिवार की महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक छोटी सी घास फूस की झोपड़ी डाली और उसमें दिन काट रहे थे इस परिवार की दशा दलितों से भी ज्यादा बदतर थी लेकिन भारत की राजनीतिक व्यवस्था गरीबी का दर्द भी जाति धर्म के आधार पर देखती है।सरकारी तंत्र जाति धर्म देखकर अपनी प्राथमिकता को तय करता है ब्राह्मणों के खिलाफ नफरत फैलाना तो इस देश में बौद्धिक और प्रगतिशील होने का पहला प्रमाण बन चुका है और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री सदस्य विधान परिषद समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी टीम इसी अभियान में जुटे हैं।

बेशर्म कानपुर जिला प्रशासन ने निर्धन निर्बल ब्राह्मण परिवार पर तरस नहीं खाया जबकि लोकतांत्रिक संवैधानिक भारत में हजारों एकड़ सरकारी जमीनों पर आज भी अवैध कब्जे हैं। हाल ही में हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर सैकड़ों बीघा ज़मीन अवैध कब्जे का मामला सामने आया जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से कई सालों से कब्जा नहीं हट पा रहा हल्द्वानी में तो सुप्रीम कोर्ट अरबों की सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण को गिराने से रोकने के लिए खड़ा हो गया लेकिन कानपुर देहात में एक बेबस गरीब परिवार का छोटी सी जमीन के टुकड़े पर बना पक्का कमरा 1 महीने पहले ही गिरा दिया गया था।

दीक्षित परिवार ने महिलाओं की इज्जत बचाने के लिए और परिवार को भीषण सर्दी से बचाने के लिए बड़ी मुश्किल से तिनका तिनका जोड़ कर एक झोपड़ी बनाई थी और जिला प्रशासन के अधिकारियों से लगातार फरियाद लगा रहे थे लेकिन उनका दर्द किसी ने नहीं सुना भारत के पूरे सिस्टम ने उनकी ओर से आंखें फेर ली थी। योगी सरकार के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन ने उनकी एकमात्र झोपड़ी झोपड़ी भी ध्वस्त कर दी वहां बनाया हुआ छोटा सा मंदिर भी ध्वस्त कर दिया और इसी के साथ गरीब ब्राह्मण परिवार का मान सम्मान स्वाभिमान भी कुचल दिया गया।

आज तक चैनल के द्वारा दिखाए गए वीडियो से यह बात निकल कर आ रही है की जलती हुई झोपड़ी को जेसीबी मशीन से गिरा दिया गया और उसी झोपड़ी में दबकर मां बेटी की मौत हो गई यानी यह जानने के बावजूद की झोपड़ी जल रही है अधिकारियों के आदेश पर जेसीबी मशीन के द्वारा जानबूझकर झोपड़ी को गिरा दिया गया , यह भी वहां मौजूद अधिकारी कर्मचारियों को पता था कि झोपड़ी के अंदर मां बेटी मौजूद हैं यानी खुलेआम हत्या करने की नियत से झोपड़ी को गिराया गया या फिर इसे मात्र एक दुर्घटना माना जाए ।

इसे तो जनता ही तय कर पाएगी क्योंकि सरकार जनता के दिलों में भरोसा खोने का काम कर रही है।

झोपड़ी गिरने के बाद सिर्फ एक सिपाही दौड़ता है, वहां मौजूद लोगों ने परिवार को बचाने की कोशिश नहीं की । जवान होती एक बेटी कल को पढ़ लिखकर देश के लिए कुछ अच्छा करती उसका पूरा जीवन उसके सामने था लेकिन अपनी बूढ़ी मां के साथ ही वह उत्तर प्रदेश के बेशर्म सिस्टम पर शहीद हो गई मां बेटी तब तक जलते रहे जब तक उनके शरीर की सांस चलती रही आग तब बुझी जब उनका शरीर कोयले में तब्दील हो गया।

उस समय वहां मौजूद राजस्व कर्मियों अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने अपना फर्ज जरा सा भी निभाया होता मानवता दिखाई होती इंसानियत दिखाई होती तो मां बेटि जीवित होती।

यह दृश्य न सिर्फ योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार बल्कि संपूर्ण भारतीय लोकतंत्र पर एक बड़ा कलंक है । जिस देश में सरकार लाखों परिवारों को मुफ्त प्रधानमंत्री आवास देने का दावा करती है उसी देश में एक परिवार इतना मजबूर क्यों था बेहाल क्यों था कि उसका झोपड़ी का सहारा भी छीन लिया गया यह साफ तौर पर एक हत्या है यह साफ तौर पर बेशर्म संवेदनहीन सिस्टम के द्वारा गरीबों को कुचल देने की निर्दई दास्तान है।

कुछ दिनों पहले यूपी के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया में बयान दिया था की कमजोर गरीबों पर बुलडोजर एक्शन नहीं होना चाहिए लेकिन तस्वीरें गवाह है कि योगी आदित्यनाथ की बातों का असर उनकी ही सरकार में नहीं है ,

तस्वीरें गवाह है कि योगी आदित्यनाथ ने गैर जिम्मेदार घमंड में चूर और जनता को कुचल देने की मानसिकता रखने वाले अधिकारियों को ताकतवर पदों पर तैनाती दी है।

तस्वीरें गवाह है कि योगी आदित्यनाथ अपनी दूसरी सरकार में ईमानदार और संवेदनशील प्रशासन नहीं दे पा रहे, तस्वीरें गवाह है कि योगी आदित्यनाथ को आत्मचिंतन करना चाहिए कि जनता ने उन्हें दोबारा किन बातों के लिए बहुमत दिया था और उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है!

तस्वीरें गवाह है कि सरकारी नौकरी मिलने के बाद ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारी खुद को शासक समझने लगते हैं नेता जब जनप्रतिनिधि और मंत्री बन जाते हैं तो वह भी घमंड में चूर शासक की तरह व्यवहार करने लगते हैं ।

योगी आदित्यनाथ यदि जनता से लगातार दूसरी बार मिले बहुमत का सम्मान करते हैं तो उन्हें इस मामले में ऐसी कार्रवाई करनी चाहिए कि दोबारा कोई सरकारी मुलाजिम कोई भी नौकरशाह गरीब जनता के सम्मान और सुरक्षा से खिलवाड़ न कर सके कमजोर लोगों की फरियाद को अनसुना ना कर सके ।

देश का सिर झुकाने वाले इस महापाप में शामिल मौके पर मौजूद सभी अधिकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करके जेल में डालना चाहिए वहीं छल्ले वाली डांस की शौकीन कानपुर देहात के डीएम और एसपी की भी ऐसी जिम्मेदारी तय हो जो प्रदेश के सभी अधिकारियों के लिए एक सीख बन सके।

योगी आदित्यनाथ को अंग्रेजों के बनाए हुए प्रशासनिक व्यवस्था के घमंड को तोड़ना होगा, तभी यूपी में लोकतंत्र साकार हो सकेगा।

द इंडियन ओपिनियन के लिए दीपक मिश्रा की रिपोर्ट

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