रिपोर्ट – दीपेश
चीन हमेशा भारत से लड़ने के लिए तैयार क्यों रहता है? चीन लगातार 1962 से अब तक भारतीय सीमाओं पर कई स्थानों पर अवैध कब्जे की कोशिश कर रहा है, आखिर चीन को इतनी ताकत कहां से मिलती है? यह बड़ा सवाल है और इस सवाल के जवाब में ही चीन की हिमाकत और उसके दुस्साहस की वजह छिपी हुई है।
दरअसल सीमाओं पर चीनी सैनिकों की भारी तैनाती पर चीन का जितना खर्चा आता है उससे कई गुना ज्यादा वह भारत के नागरिकों को अपने प्रोडक्ट बेच कर मुनाफा कमा लेता है। इस तरह से चीन को भारत से लड़ने की कीमत से कई गुना ज्यादा मुनाफा भारत से ही मिल जाता है। भारतीय बाजारों में चीनी प्रोडक्ट्स हर एक दुकान पर अपनी जगह बना चुके हैं।
इलेक्ट्रॉनिक और आईटी सेक्टर में चीन की हिस्सेदारी लगभग 50% पहुंच चुकी है ऑटो सेक्टर में 10% और गारमेंट सेक्टर में भी लगभग 30 फ़ीसदी के करीब चीनी फैक्ट्रियों का ही माल भारत में बिक रहा है मेडिकल सेक्टर में भी चीन की हिस्सेदारी लगभग 25% हो रही है।
कुल मिलाकर चीन भारत में हर साल लगभग 5 लाख करोड़ के अपने प्रोडक्ट बेच रहा है जबकि भारत चीन में लगभग एक लाख करोड़ के ही प्रोडक्ट बेच पाता है, यानी चीन और भारत के बीच आयात और निर्यात में 4 गुने का फर्क है।
भारत को चीन के बाजार से बहुत मामूली मुनाफा होता है जबकि चीन को भारत के बाजार से बहुत बड़ा मुनाफा होता है जिसके सहारे वह बहुत आसानी से भारत के खिलाफ बड़ा सैन्य अभियान चला सकता है, यानी भारत से कमाए हुए पैसों की मजबूती से चीन भारत के खिलाफ बड़ी सेना लंबे समय तक तैनात कर सकता है। विश्व व्यापार संगठन के समझौते से चीन और भारत दोनों बंधे हुए हैं इसलिए दोनों ने अपने-अपने बाजार एक दूसरे के लिए खोल रखे हैं।
चीन में कम्युनिस्ट सरकार कई दशकों से काबिज है वहां हर 5 साल पर चुनाव नहीं होते वहां हर 5 साल पर सत्ता नहीं बदलती जनता के अधिकार बहुत सीमित हैं, फिजूलखर्ची पर वहां काफी सख्ती है मीडिया और सोशल मीडिया पर पाबंदी है, इसलिए चीन की सरकार कई दशकों से चीन को दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनाने के अपने लक्ष्य पर लगातार काम कर रही है।
निर्यात यानी एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए अपने यहां बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां है व्यापारियों और उत्पादनकर्ताओं को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को काफी सुविधाएं देती है चीन में सस्ती और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी पर काफी रिसर्च होता है और यह सारा काम चीन की सरकार के नेतृत्व में होता है, जिसका सीधा सा उद्देश्य है दुनिया के ज्यादातर देशों के बाजार पर कब्जा करना और अरबों डॉलर का मुनाफा कमाना जिससे अपनी सैन्य शक्ति को लगातार बढ़ाया जा सके सीमाओं को विस्तारित किया जा सके और सभी पड़ोसी देशों को अपनी ताकत से दबाव में लिया जा सके।