अफगानिस्तान के सैकड़ों पत्रकारों की जान खतरे में, विदेशों से मांग रहे मदद पलायन तेज!

अफगानिस्तान के उत्तरी क्षेत्र के एक शहर के निवासी वरिष्ठ पत्रकार हबीबुल्ला( बदला हुआ नाम) ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी बीबीसी को बताया कि उनके शहर के कई हिस्सों में तालिबानी आतंकी घुस गए हैं और अब उन्हें और उनके परिवार की जान को खतरा है। वह पिछले एक दशक से अफगानिस्तान में निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहे थे और लोकतंत्र के समर्थन और आतंकवाद के खिलाफ कई लेख लिख चुके हैं इसलिए तालिबान उनसे नाराज रहता है। हबीबुल्ला इस्लाम को शांति और तरक्की का मजहब मानते हैं वह महिलाओं और बच्चों को पर्याप्त आजादी और सभी के लिए मानव अधिकारों की वकालत करते हैं इसलिए तालिबान उन्हें अपना दुश्मन मानता है ।

वह जर्मनी सरकार के सहयोग से चलने वाले एक मीडिया एजेंसी से भी जुड़े रहे अफगानिस्तान में हालात बिगड़ने के बाद उनके जैसे हजारों मीडिया कर्मियों की जान को खतरा है जिन्होंने तालिबान के आतंक की मुखालफत की थी ऐसे ज्यादातर लोग विदेश भागने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें आसानी से वीजा नहीं मिल रहा है और विदेश जाने का खर्च भी कई गुना बढ़ गया है ऐसे लोग अपने बच्चों और परिजनों की सुरक्षा को लेकर बहुत परेशान हैं और दुनिया से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
लोग भारत समेत दुनिया के अलग-अलग देशों से वीजा मांग रहे हैं सीमित हवाई सेवाएं होने की वजह से लोगों को विदेश जाने का मौका भी आसानी से नहीं मिल रहा है उन्हें एजेंटों को कई गुना अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है ।

गैरकानूनी तरीकों से जोखिम उठाकर भी लोग कर रहे हैं पलायन की कोशिश:

पिछले 20 सालों में लोगों की जिंदगी पटरी पर आ गई थी बहुत से मीडिया कर्मी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए काम कर रहे हैं जिसको लेकर उनसे तालिबान नाराज है वह अपने रोजगार के लिए एजेंसियों से जुड़े थे वह रोजगार भी छिन गया और अब जान का खतरा हर पल है अब सब कुछ फिर से बर्बाद हो रहा है ।हजारों परिवारों ने अपनी सूटकेस तैयार कर लिए हैं लोग कैश कुछ ज्वेलरी और जरूरी वस्तुओं की पैकिंग कर रहे हैं वीजा पासपोर्ट बनवाने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं बहुत लोग तो गैर कानूनी तरीके से मानव तस्करों की मदद से लाखों रुपए खर्च करके सीमा पार करके दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं। इस प्रक्रिया में बहुत खतरा है सीमा पार करते हुए यदि तालिबानी आतंकियों के कब्जे में आ गए तो वह गोली मार देते हैं और यदि दूसरे देश की सेना ने बॉर्डर पर अवैध रूप से घुसते हुए देखा तो उधर से भी फायरिंग में मौत का खतरा है गिरफ्तारी और जेल जाना तो आम बात है। कई लोग देश छोड़ते हुए अलग-अलग चेकपोस्ट पर तालिबानी आतंकवादियों का शिकार भी हो चुके हैं फिर भी लोग जोखिम उठाकर पलायन कर रहे हैं और किसी भी तरह खुद को और अपने परिवार को तालिबान के आतंक से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

एजेंसी..

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