अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर का भारत पर कितना असर?

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के एक ट्वीट ने वैश्विक स्तर पर ‘ट्रेड वॉर’ की शुरुआत कर दी है। ट्रंप सरकार ने अमेरिकी बौद्धिक संपदा अधिकार पर अनुचित तरीके से कब्जा करने के खिलाफ चीन को दंडित करने के लिए 60 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क लगाया है। इससे विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच पहले से तनावपूर्ण व्यापारिक संबंधों के और बिगड़ने की संभावना है।
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के आगाज से दुनियाभर में चिंता जाहिर की जा रही है। जानकारों का कहना है कि ग्लोबल ट्रेड वॉर से बेरोजगारी बढ़ेगी, आर्थिक रफ्तार कम होगी और ट्रेडिंग पार्टनर्स के रिश्ते बिगड़ेंगे। चीन, हॉन्ग-कॉन्ग और जापान के शेयर बाजारों में 3 फीसदी तक की गिरावट आई है। भारत में भी सेंसेक्स और निफ्टी ने गोता लगाया। निश्चित तौर पर यह नकारात्मक खबर है। इस बीच बड़ा सवाल है कि चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर का भारत पर कितना असर होगा
अमेरिका का यह कदम विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था द्वारा भारत सहित कई देशों के लिए स्टील और ऐल्युमिनियम पर टैरिफ लगाए जाने के बाद उठाया गया है। जापान, जर्मनी या कोरिया…सभी मुख्य ट्रेड पार्टनर के साथ 2017 में अमेरिका ने व्यापार घाटा झेला। अमेरिका के कुल व्यापार में 16.4 फीसदी हिस्से के साथ चीन उसका सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश को निर्यात होने वाली वस्तुओं का मूल्य उस देश से आयात होने वाले वस्तुओं के मूल्य से कम होता है। 

भारत अमेरिका के टॉप 5 ट्रेडिंग पार्टनर्स में नहीं आता है। 1.9 फीसदी की व्यापार हिस्सेदारी के साथ वह इस मामले में नौवें पायदान पर है। चीन-अमेरिका के कारोबारी रिश्तों में पलड़ा चीन की तरफ झुका हुआ है और अंतर करीब 375 अरब डॉलर का है। अमेरिका चीन में 130.4 अरब डॉलर का निर्यात करता है तो चीन से 505.60 अरब डॉलर का आयात करता है। अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस 22.9 अरब डॉलर है, जो बहुत अधिक नहीं है।
इसके अतिरिक्त अमेरिका का व्यापार घाटा टेलिकम्युनिकेशन इक्विपमेंट, पैसेंजर कार वीइकल्स, कंप्यूटर्स, खिलौने, गेम्स, खेल के सामान और बिजली के उपकरणों जैसे सेक्टर में है और भारत इसमें बड़ा खिलाड़ी नहीं है। 
डायमेंशंस कंसल्टिंग के सीर्इओ अजय श्रीवास्तव कहते हैं, ‘भारत ग्लोबल ट्रेड का छोटा हिस्सा है। मैं नहीं मानता कि कोई भी ट्रेड वॉर इसे नुकसान पहुंचा सकता है। यह कुछ सेक्टर्स को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन भारतीय निर्यातकों के लिए कोई भी बुरा समय नहीं देख रहा है।’ 

उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी चिंता इस समय वास्तव में ग्लोबल ट्रेड वॉर नहीं है। हमारी चिंता इक्विटी बाजार से वैश्विक निवेशकों का निकलना है। यदि लिक्विडिटी ठीक है तो हम ठीक है। यदि लिक्विडिटी ठीक नहीं है तो हमारी खराब बुनियाद इसे और दबाती है।’