कैराना उपचुनाव: जयंत चौधरी हो सकते हैं संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व सांसद जयंत चौधरी का कैराना उपचुनाव से गैर-बीजेपी दलों का सयुंक्त उम्मीदवार घोषित होने की उम्मीद बढ़ी है। पार्टी इस पर कुछ नहीं कह रही थी लेकिन प्रदेश अध्यक्ष डॉ मसूद अहमद इस बात ऐलान कर बैठे कि अगर संयुक्त विपक्ष इस बात पर राजी नहीं होगा, फिर भी वह अपने दम पर चुनाव लड़ेंगें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकसभा सीट गोरखपुर और डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की लोकसभा सीट फूलपुर पर हार का मुंह देखने के बाद बीजेपी के सामने अब पश्चिमी यूपी की अपनी एक लोकसभा सीट कैराना बचाने की चुनौती है। वहीं, वे दोनों सीटें जीतकर विपक्ष के हौसले बुलंद हैं। 

अभी तक चर्चा थी कि आरएलडी के जयंत चौधरी कैराना से उपचुनाव लड़ेंगे ताकि यह संदेश दे सकें कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बिखरा उनका जनाधार, किसान, मुसलमान और पिछड़ा वर्ग एक हो चुका है। हालांकि, आरएलडी इसको लेकर चुप्पी साधे थी। 

मिलने लगे संकेत 
पार्टी के छुटभैया नेता जयंत के सक्रिय होने और चुनाव लड़ने की बात की पुष्टि कर रहे थे लेकिन खुद अजित सिंह जंयत के चुनाव लड़ाने के सवाल को टालते रहे। मुजफ्फरनगर, शामली, बुलंदशहर और बागपत के अपने हाल में किए दौरे पर भी वह कुछ नहीं बोले। खुद जयंत चौधरी ने भी चार दिन पहले कहा था कि अभी चुनाव घोषित नहीं हुआ है। कुछ कहना जल्दबाजी होगा लेकिन शुक्रवार को आरएलडी के प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर मसूद कैराना लोकसभा क्षेत्र के सहानरपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र गंगोह में ऐलान कर गए कि कैराना उपचुनाव में जयंत चौरी हर हाल में चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा,अगर गठबंधन नहीं मानेगा तब भी जयंत प्रत्याशी होंगे।’ 

जयंत का नाम लगभग तय 
जानकारों का तर्क है कि फूलपुर और गोरखपुर के बाद अगर कैराना में भी विपक्ष जीतने में सफल रहता है तो संदेश जाएगा कि वाकई बीजेपी एक साल के अंदर ही सूबे में ढलान की तरफ है। दूसरा तर्क यह भी है कि जयंत चौधरी निर्विवाद नेता हैं। राहुल गांधी की पंसद के नेता हैं। कांग्रेस के पास कैराना में कोई दमदार प्रत्याशी भी नहीं हैं। इसलिए जयंत के नाम पर कांग्रेस सहमत हो सकती है। 

इसी तरह बीएसपी उपचुनाव नहीं लड़ती। आरएलडी के विधायक ने राज्यसभा में वोट भी बीएसपी प्रत्याशी को दिया है। इसलिए जैसे एसपी को बीएसपी ने समर्थन दिया उसी तरह आरएलडी को भी देने की ज्यादा उम्मीद है। एसपी के अखिलेश यादव पहले से मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति पर चल रहे हैं।