बाराबंकी। जिसे बचाने की कोशिश और इस भ्रम को दूर करने कोशिश की जा रही थी संयोगवश ‘लखनऊ’ ही पुस्तक का शीर्षक बना। सारी दुनिया में लखनऊ की तहजीब और संस्कृति के नाम पर जो परोसा जा रहा है वह कोई मनोरंजन का साधन हो सकता है लेकिन इतिहास नही। जबकि लखनऊ की पहचान सिर्फ नवाब और कबाब तक ही सीमित थी।
उक्त विचार नगर के जिला पंचायत सभागार में गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट द्वारा आयोजित वरिष्ठ राजनेता एवं राष्ट्रवादी चिन्तक लालजी टंडन कृत पुस्तक अनकहा लखनऊ के विमोचन एवं पुस्तक चर्चा में पूर्व सांसद लाल जी टंडन ने व्यक्त किए।
इस मौके पर कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक, कार्यक्रम अध्यक्ष लविवि के कुलपति प्रो. एस.पी सिंह एवं पूर्व सांसद लाल जी टंडन सहित अन्य अतिथियों दीप प्रज्वलित करके किया। इसके उपरान्त पुस्तक अनकहा लखनऊ का विमोचन किया गया।
सभा को सम्बोधित करते हुए श्री टंडन ने कहा कि लखनऊ का इतिहास मात्र 98 वर्षों का है। उस एक शताब्दी से कम के इतिहास ने अवध की तहजीब और संस्कृति को समाप्त कर दिया। अवध के इतिहास को लोगों ने जनबूझकर छुपाया। जिसका इतिहास हजारो साल पुराना है। जिसके राजा भगवान राम थे। योग, भोग और शौर्य अवध की यह तीन संस्कृतियां थी। जिसको समझना होगा। उन्होनें बताया कि अवध की विरासत में जाति और मजहब कभी भी समाज में बाधक नहीं रही। देश के गौरवशाली इतिहास में आरक्षण वाली जातियों प्रमाणिक इतिहास रही है। जिसे मिटाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि लखनऊ का काकोरी काण्ड राष्ट्रीय आन्दोलन का सबसे बड़ा आन्दोलन था। जिस शौर्य का उदाहरण कहीं नहीं मिलेगा।
मुख्य अतिथि प्रदेश सरकार के विधि एवं राजनैतिक पेंशन मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि लखनऊ लोगों के रोम-रोम में बसता है। अनकहा लखनऊ पुस्तक का एक एक शब्द चलचित्र की तरह आंखों के सामने गुजरता है। तथ्यपरक इस पुस्तक में लखनऊ की वास्तविकता से आमजन को रूबरू कराया गया है।
राष्ट्रधर्म पत्रिका के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने कहा कि एक राजनेता का लेखक होना बहुत महत्वपूर्ण बात है। जिस प्रकार लालजी टंडन ने अनकहा लखनऊ पुस्तक में लखनऊ के वास्तविक स्वरूप को जनता के सामने रखा वह उनका साहित्य जगत में द्वितीय योगदान है। वास्तव में लखनऊ के इतिहास के साथ छल किया गया था। अनकहा लखनऊ पुस्तक इतिहास का ग्रन्थ बनेगा।
सभा की अध्यक्षता कर रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.पी सिंह ने कहा कि अनकहा लखनऊ पुस्तक एक जीता जागता संस्मरण है। जो अवध और लखनऊ की वास्तविकता से रूबरू कराता है। यह पुस्तक अवध संस्कृति को सीखाता है।
विश्व हिन्दी समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व मेयर दाऊ जी गुप्ता ने कहा कि अनकहा लखनऊ पुस्तक के द्वारा टंडन जी ने लखनऊ की संस्कृति से परिचय कराया है। उनको ऐसा लगा कि लखनऊ का परिचय सिर्फ नवाबी शानो शौकत और तहजीब तक सीमित रह गया है। आम आदमी का इतिहास तथा अवध की संस्कृति में आम आदमी को केंद्र बिन्दु बनाकर, यही इस पुस्तक की प्रेरणा रही है।
इस मौके पर पूर्व एमएलसी गयासुद्दीन किदवई, हैदरगढ विधायक बैजनाथ रावत, समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कपूर, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अमीर हैदर, वरिष्ठ भाजपा नेता केदार बक्श सिंह ने अपने विचार रखे। सभा का संचालन आशीष पाठक ने किया।
इस मौके पर प्रमुख रूप से कोआपरेटिव के अध्यक्ष धीरेन्द्र वर्मा, सभासद रोहिताश्व दीक्षित, मृत्युंजय शर्मा, विनय कुमार सिंह, अशोक शुक्ला, पाटेश्वरी प्रसाद, प्रदीप जैन, रंजय शर्मा, कृष्ण कुमार द्विवेदी, देवेन्द्र प्रताप सिंह ज्ञानू, आसिफ हुसैन, शिवा शर्मा, बृजेश दीक्षित, रामगोपाल शुक्ला, दिलीप गुप्ता, के.के त्रिपाठी, सुरेन्द्र प्रताप सिंह बब्बन, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष सुनील कुमार, मनीष सिंह, सत्यवान वर्मा, सोनू यादव सहित कई लोग मौजूद रहे।