रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा
दुनिया के तमाम देशों को बर्बादी की ओर धकेलने वाले मानव विनाशक कोरोनावायरस के बारे में संदिग्ध खबरों की भरमार है। अब तक मुख्यधारा की मीडिया ने दुनिया को यही बताया कि कोरोनावायरस चीन के वुहान प्रांत से फैला है जबकि सच्चाई यह है कि कोरोनावायरस चीन के “वुहान “से नहीं चीन के “हुबेई” प्रांत में सबसे पहले ट्रेस किया गया। यह अलग बात है कि ज्यादा मौतें चीन के वुहान प्रांत में हुई।
विश्व के सबसे लोकप्रिय और प्रमाणित सर्च इंजन गूगल पर यदि आप सर्च करते हैं तो चीन और अमेरिका के कुछ वेबसाइट यह जानकारी देते हैं कि इस वायरस का उद्गम स्थल वह नहीं था जो अधिकांश मीडिया ने बताया।
चीन के लोकप्रिय मीडिया हाउस “साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट” के मुताबिक कोविड-19 का पहला केस एक 55 वर्षीय व्यक्ति का था जो कि 17 नवंबर 2019 को ट्रेस किया गया था जबकि पूरी दुनिया कोरोना से दिसंबर के अंतिम सप्ताह में परिचित हो पाई बहुत से देश तो जनवरी फरवरी और मार्च के प्रथम सप्ताह तक लापरवाह बने रहे और इसी लापरवाही के चलते यह वायरस दुनिया में बड़े पैमाने पर तबाही मचा रहा है हजारों परिवार खून के आंसू रो रहे हैं।
कोरोनावायरस को लेकर दुनिया के बड़े देशों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की लापरवाही का खामियाजा दुनिया भर के लोग भुगत रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने शुरू से इस मुद्दे को वह गंभीरता नहीं दी जो मानवता के हित में देनी चाहिए थी अगर इसे बड़ा मुद्दा बनाया गया होता तो अब तक दुनिया के तमाम देशों ने बचाव के इंतजाम पहले ही कर लिए होते।
जब इस खतरनाक बीमारी के उद्गम स्थल के बारे में ही गलत जानकारी दी जा रही है तो यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि शुरुआती स्तर पर वैश्विक मीडिया और अन्य जिम्मेदार संस्थाओं ने कितनी लापरवाही बरती।