अयोध्या के बाद काशी में ज्ञानव्यापी परिसर को मुक्त कराने के लिए पहुंचे हरिशंकर जैन!

वाराणसी। पहुंचे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने पहले बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया फिर वाराणसी न्यायालय में ज्ञानवापी परिसर से ढांचा हटाये जाने के लिए दावा पेश किया।

मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी अनुभूति हुई जैसी कभी नही हुई। यहां पर तथाकथित ज्ञानवापी मस्जिद का जो ढांचा खड़ा है वो शूल है जो हटना चाहिए चाहे हम हटाएँ या आप हटाएँ। आज का दिन ऐतिहासिक है इस पुण्य भूमि पर एक नई धारा बहे ,हर हिन्दू के दिल पर एक शूल बना हुआ है। टूटी हुई मंदिर आज भी पड़ी हुई है और वहां भगवान कैद हैं आदि विशेश्वर का वह स्थान जो कुछ लोगों ने कब्जा किया है वो मुक्त हो इस बाबत एक मुकदमा दायर किया गया है।

इस बाबत एक सूट पहले से चल रहा है जिसे मेरे आने से बल मिलेगा। बहुत से अनुत्तरित प्रश्न का मैं जवाब दे रहा हूँ। मामला उच्च न्यायालय में है और एक प्रश्न ये आया है कि 1991 का एक्ट लागू होता है या नहीं जिसपर मैंने सूट में 1991 लागू न होने की बात कही है और 1991एक्ट को अवैध बताया है।

हरिशंकर जैन ने कहा कि मुस्लिम्स के जन्म लेने के पहले यानी 1400 साल से पहले जब कोई बस्ती नही था तब आदि शंकर ने 5 कोस में इसे बसाया था जो धर्म क्षेत्र है इसे मुक्त होना चाहिए इसके साथ साथ माँ श्रृंगार गौरी को भी कैद से मुक्त करना है हिन्दू देवी देवताओं को कबतक कैद किया जाएगा और कबतक अत्याचार होगा। हिन्दू जनता इस अत्याचार से कबतक निपटेगी एक मुकदमा इसपर भी दायर किया है।

मुकदमा एक अलग चीज़ है आज हम कानून के जरिये हिन्दू जनता के अधिकार के लिए बिना आंदोलन के कार्य करेंगे। मथुरा की लड़ाई अधिवक्ता रंजना जी के साथ लड़ रहे हैं।

जैन ने बताया कि नया मुकदमा दायर किया गया है जिसमें 1983 के काशीविश्वनाथ एक्ट में मंदिर की व्याख्या की गई है जिसमें कहा गया है कि यहां अदिविश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग है जिसका वास्तविक स्थान विवादित ढांचे के अंदर है इसलिए हमने वास्तविक ज्योतिर्लिंग के स्थान पर दावा किया है। इस एक्ट के तहत ये अधिकार है कि हम दावा कर सकते हैं ट्रस्ट बोर्ड की ड्यूटी है कि पूरे परिसर में अपना अधिकार रखे औरमंदिर का निर्माण करे। प्रार्थना किया गया है कि ढांचे को साफ किया जाय और मंदिर निर्माण का कार्य पूरा करने दिया जाय।

इस मुकदमे की विशेषता है कि इसमें 108 पैरा, 62 पेज का पेटिशन, 200 पेज का डॉक्यूमेंट है। एक मुकदमा 1936 में चला था दीन मुहम्मद और भारत सरकार के बीच जिसमें कहा गया है कि यहां एक खंडहर है जिसमें हिन्दू पूजा कर रहा है जिसमे श्रृंगार गौरी और हनुमान जी का मंदिर है। इसमे कहा गया है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है जिसे किसी ने चैलेंज नहीं किया है। इस लिहाज से आज की तारीख में मुस्लिम पक्ष नहीं कह सकता कि वहां मंदिर नहीं बल्कि मस्जिद थी।

बनारस में कई पौराणिक मान्यता वाले मंदिर हैं जो विवादों में है के सवाल के जवाब में कहा कि हमारी टीम का प्रण है भारत हिन्दू राष्ट्र बने और सभी मंदिरों को मुक्त कराया जाय ये अभियान चल रहा है। इस अभियान के तहत मथुरा , कुतुबमीनार , ताजमहल जो शिव मंदिर है। ताजमहल पहले शिव मंदिर था जिसे शाहजहां ने राजा मानसिंह के पोते राजा जय सिंह से लिया था जो शाहजहांनामा कि किताब में उल्लेखित है। इस किताब को दाखिल भी किया हुआ है।

आज मुस्लिम पक्ष को लगा कि हाई कोर्ट में जो उल्टा सीधा बात रहे हैं वो फेल हो जाएगा तो आज वो बिना नोटिस सम्मन के कोर्ट में अपीयर हो गए। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि न्यायालय को सारे श्लोक शिवमहापुराण, स्कन्दपुराण के संस्कृत में कोट किया है। ये बिल्कुल नया केस है। आज सबसे बड़ी बात रही कि मुस्लिम पक्ष दहशत में है।

रिपोर्ट – पुरुषोत्तम सिंह

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