आंतरिक और बाह्य सुरक्षा मजबूत करने के लिए मोदी सरकार की बड़ी प्लानिंग।

केंद्र सरकार सदन में एक नया महत्वकांक्षी प्रस्ताव रखने वाली है जिसमें की बीएसएफ,आइटीबीपी और एसएसबी जवानों को देश के आंतरिक मामलों में ड्यूटी के लिए इस्तेमाल ना करने से संबंधित है।

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा गया कि केंद्र सरकार यह प्रस्ताव चीन और पाकिस्तान सीमा रेखा पर तनाव के चलते लाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि चीन और पाकिस्तान की सीमा रेखा बहुत ही संवेदनशील इलाके हैं। जहां से जवानों को हटाना अपने रक्षा तंत्र को कमजोर करना होगा।

पिछले दिनों इस संबंध में गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। गृह मंत्रालय यह चाहता है कि देश के सभी राज्यों के पुलिस बलों को आवश्यक सहायता और प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर उन्हें हर चुनौती के लिए सशक्त बनाया जाए और विशेष परिस्थितियों में उन्हें सीआरपीएफ का सहयोग उपलब्ध कराया जाए।

प्रस्ताव के मुताबिक गृह मंत्रालय एक नए मॉडल के ऊपर काम करते हुए कहा कि हम बीएसएफ, आइटीबीपी और एसएसबी के जवानों की ड्यूटी देश के आंतरिक मामले जैसे-चुनाव कानून व्यवस्था इत्यादि के लिए नहीं लगाएंगे, क्योंकि उसके लिए हमारे देश की सबसे बड़ी पैरामिलिट्री फोर्स सीआरपीएफ है। हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के 3.30 लाख जवान हमेशा तैयार हैं।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सरकार इसका प्रयोग आने वाले चुनाव में करेगी। जहां सीआरपीएफ के जवान 70:30 के अनुपात में राज्य की पुलिस बल के साथ कार्य करेंगे।

आगे बताते चलें कि बीएसएफ के पास बहुत ही संवेदनशील अंतरराष्ट्रीय सीमाएं जैसे पाकिस्तान लगभग 3300 किमी0 की सीमा और बांग्लादेश 4096 किमी0 की सीमा की सुरक्षा का जिम्मा होता है। आइटीबीपी जवानों के पास लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल (3488किमी0) जोकि चीन की सीमा से लगता है, उसकी जिम्मेदारी होती है और सीमा सुरक्षा बल जवानों के पास भारत-नेपाल बॉर्डर पर 1751 किमी0और भूटान की 699 किमी0 की सीमा सुरक्षा का जिम्मा होता है।

इसके साथ ही केंद्र सरकार एक और प्रस्ताव लाना चाहती है वह सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन की एक स्पेशल सेल बनाना चाहते हैं। जो सीमा पर जो अपराध के मामले होते हैं जैसे जानवरों की स्मगलिंग, हथियारों की स्मगलिंग और भारतीय जाली मुद्रा की स्मगलिंग से संबंधित जो अपराध होते हैं और साथ ही साथ सरकारी अधिकारी जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं उनके मामलों की जांच करें।

इसके साथ ही सीमा सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों द्वारा एक द्वारा एक ऐसी रूपरेखा तैयार करें जिससे सीमा पार से आने जाने वाले लोगों को रोका जा सके और सीमा क्षेत्र में रहने वाले लोगों को मूलभूत सेवाएं उनके ही क्षेत्र में उपलब्ध कराएं।

कुल मिलाकर सरकार चीन और पाकिस्तान के साथ भारतीय सीमाओं पर क्या समस्याओं को देखते हुए दोनों देशों से जुड़ी सीमाओं की सुरक्षा को फुल प्रूफ करना चाहती है साथ ही देश के अंदर सांप्रदायिक तनाव दंगा फसाद अपराध चुनाव आदि के लिए राज्यों के पुलिस बलों को सशक्त करना चाहती है और उसके लिए उन्हें सीआरपीएफ के प्रशिक्षित 3:30 लाख अर्धसैनिक बलों के जवानों का सहयोग विशेष परिस्थितियों में मिलता रहेगा।

रिपोर्ट – सरदार परमजीत सिंह

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