ईसाइयत और इस्लाम की बीच बिगड़ते रिश्ते क्या तीसरे विश्वयुद्ध का बनेंगे कारण? TIO EDITORIAL

आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच चल रहे खतरनाक संघर्ष में दोनों तरफ से हजारों लोगों की मौत हो चुकी है हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि आर्मीनिया के प्रधानमंत्री ने अपने बेटे और पत्नी को भी राइफल पकड़ा कर युद्ध में भेज दिया है।

उधर इस लड़ाई को ईसाई बनाम मुस्लिम का रूप दे दिया गया है और तुर्की भी अज़रबैजान की तरफ से अपने लड़ाकों को भेज रहा है कहा जा रहा है कि पाकिस्तान समेत दुनिया के कई इस्लामी देशों ने हजारों आतंकियों को आर्मीनिया के खिलाफ “जिहाद” यानी लड़ने के लिए भेजा है और अजरबैजान को दुनिया के तमाम मुस्लिम देशों से गोपनीय मदद मिल रही है इसीलिए अजरबैजान आर्मीनिया पर भारी पड़ रहा है जबकि आर्मीनिया को अभी ताकतवर देशों से मदद नहीं मिली है लेकिन धीरे-धीरे ईसाई देशों में यह बात एक मुद्दा बन रही है कि जब अजरबैजान को कई इस्लामिक राष्ट्र आर्मीनिया के खिलाफ ताकत दे रहे हैं तो इस आई राष्ट्र आर्मीनिया को इस संकट की घड़ी में अकेला कैसे छोड़ दिया जाए?

दूसरी तरफ फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के चित्र और कार्टून को लेकर हुआ विवाद प्रोफेसर समेत कई लोगों की हत्या का मामला भी गंभीर होता जा रहा है फ्रांस के राष्ट्रपति ने जहां पूरी ताकत से इस्लामिक कट्टरवाद का विरोध करने का ऐलान कर दिया है वहीं फ्रांस के खिलाफ मुस्लिम देशों ने भी चेतावनी वाले बयान दिए हैं और भारत समेत कई देशों में फ्रांस के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने बड़े प्रदर्शन किए हैं।

यह भी कहा जा रहा है कि फ्रांस आर्मीनिया और अजरबैजान के युद्ध में ईसाई देश आर्मीनिया की मदद की योजना पर काम कर रहा है कुल मिलाकर जो वैश्विक परिदृश्य दिखाई पड़ रहा है उसमें ईसाई और मुस्लिम देशों के बीच संबंध लगातार बिगड़ रहे हैं। इसके पहले वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला अफगानिस्तान और इराक में अमेरिकी कार्रवाई समेत तमाम मुद्दों पर ईसाई और मुस्लिम जगत के बीच गहरे मतभेद हैं और एक दूसरे से शिकायतें भी हैं।

दुनिया में दो सबसे ताकतवर धार्मिक समुदाय के बीच रिश्ते लगातार बिगड़ते हुए दिख रहे हैं और यदि दोनों पक्षों ने समझदारी से काम न लिया तो हालात तीसरे विश्व युद्ध की ओर आसानी से पहुंच जाएंगे। पाकिस्तान और तुर्की परमाणु क्षमता हासिल कर चुके हैं चीन गोपनीय रूप से पाकिस्तान और तुर्की को परमाणु बम बनाने में मदद कर रहा है नाटो सैन्य संगठन का सदस्य होने की वजह से तुर्की पहले ही सैनिक रूप से काफी मजबूत है और उसके पास अमेरिका के बनाए हुए 50 परमाणु बम भी उपलब्ध हैं और वह अपनी परमाणु शक्ति भी गोपनीय रूप से तैयार कर चुका हैl दूसरी तरफ यदि मामला ईसाइयत का होगा तो अमेरिका रूस फ्रांस जर्मनी इंग्लैंड जैसे ताकतवर देश एक साथ खड़े हो सकते हैं।

कुल मिलाकर इन हालातों में जो आक्रमक वातावरण दिखाई पड़ रहा है यदि फ्रांस और आर्मीनिया एक साथ आ जाते हैं और खुलकर तुर्की और अजरबैजान पर जवाबी कार्रवाई करते हैं तो ईसाई और मुस्लिम देशों के बीच विश्व युद्ध की शुरुआत हो सकती है और उसमें लाखों-करोड़ों लोगों की जान जाएगी आर्थिक तौर पर भी दुनिया बर्बाद हो जाएगी।

दुनिया के समझदार नेताओं को इस्लाम और ईसाइयत के जिम्मेदार धर्म गुरुओं को यदि इंसानियत को बर्बादी से बचाना है तो आगे बढ़कर दोनों धर्मों के प्रभावशाली लोगों को सही दिशा में ले जाना होगा।

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