एक सफल नेता योग्य प्रशासक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में पीएल पुनिया का नाम जाना जाता है। उनका मानना है कि राजनीति जाति धर्म की नहीं होनी चाहिए ।पीएल पुनिया को राजनीति के क्षेत्र में वह सब मिला जिसके वह हकदार थे लोगों को अपने से जोड़ना यह उनमें विशेष गुण है ।
पीएल पुनिया को इस बात का श्रेय मिलना चाहिए कि उन्होंने एससी एसटी आयोग के अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस की कठोरतम प्रतिद्वंदी पार्टी बीजेपी की मोदी सरकार के साथ अच्छे से कार्य किया तथा बिना किसी विवाद के अपना कार्यकाल कुशलतापूर्वक निपटाया। कांग्रेस में उन्हें संगठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया व राज्यसभा भेजा तथा छत्तीसगढ़ राज्य का प्रभारी बनाया । प्रभारी बनने के बाद ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी सत्तासीन हो गई, यह पीएल पुनिया के लिए बड़ी उपलब्धि थी।
वह छत्तीसगढ़ राज्य के प्रभारी ऐसे समय में बने जब देश की राजनीति में नया मोड़ आ रहा था। भाजपा लगातार बढ़ती जा रही थी और कांग्रेस लगभग समाप्ति की कगार पर थी, ऐसे में पुनिया की रणनीति कांग्रेस के काम आई और कांग्रेस का परचम छत्तीसगढ़ राज्य में लहराया। उन्होंने अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद पर रहते हुए जिस संयम और धैर्य के साथ काम किया वह अधिक महत्वपूर्ण है। उनका पूरा कार्यकाल अच्छे से बीता ।वह कभी भी विवादों से नहीं घिरे। एक सफल कुशल नेता का गुण है। पुनिया एक संतुलित सुलझे हुए राजनेता साबित हुए।
पुनिया के समर्पण संघर्ष और परिश्रम को देखते हुए एक बार फिर कांग्रेस पार्टी के हाईकमान ने उनको छत्तीसगढ़ राज्य का प्रभारी बनाया है ।ऐसे में देखना यह है कि पुनिया के छत्तीसगढ़ राज्य का प्रभारी बनने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्या प्रभाव पड़ता है। पीएल पुनिया पुनिया के पूर्व संसदीय क्षेत्र बाराबंकी जो कि गृह जनपद भी कहा जा सकता है जनपद की राजनीति में क्या बदलाव दिखाई पड़ेगा।
रिपोर्ट- प्रदीप पांडेय/नितेश मिश्रा