कैप्टन शिवकरण सिंह ने दी श्रद्धांजलि: गरीबों किसानों के मसीहा थे चौधरी अजीत।

पश्चिमी यूपी के लोकप्रिय नेता किसानों के साथी , पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजीत सिंह का आज निधन हो गया । वह कोरोनावायरस की वजह से संक्रमित थे । वह देश के बड़े नेताओं में शामिल थे और उनका जीवन भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है ।

चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह ने अमेरिका में मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी और आरामदायक जीवन छोड़कर देश के किसानों के लिए संघर्ष करने का रास्ता चुना और अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया।

देश के राजनीतिक इतिहास में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की एक अलग पहचान है । 80 के दशक में जब उनकी तबीयत नासाज रहने लगी तो पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने यूएस से उनके बेटे चौधरी अजित सिंह आये ।अपने राजनीतिक सफर में वो 7 बाद सांसद और कई बार मंत्री रहे।

चौधरी अजीत सिंह बहुमुखी प्रतिभा वाले ऐसे नेता थे जो लगभग हर सरकार में मंत्री रहे हैं चाहे 1989 में वीपी सिंह की सरकार रही हो, 1991 में नरसिंह राव की सरकार या फिर 1999 की वाजपेयी सरकार. इतना ही नहीं मनमोहन सिंह की सरकार में भी वो मंत्री रहे हैं. वह दिसंबर 2011 से मई 2014 तक नागरिक उड्डयन मंत्री थे.

अजित सिंह का जन्म मेरठ के भडोला गांव में 12 फरवरी 1939 में हुआ था वह 82 साल के थे अजीत सिंह के बेटे और पूर्व सांसद जयंत चौधरी ने ट्वीट कर बताया कि अजीत सिंह 20 अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और छह मई की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली.

अजित सिंह लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढ़ाई पूरी करने का बाद आईआईटी खड़गपुर का रुख किया इसके बाद वो अमेरिका के इलिनाइस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से मास्टर ऑफ साइंस की पढ़ाई करने पहुंचे. 15 साल तक अमेरिका में नौकरी की. 1960 के दशक में आईबीएम के साथ काम करने वाले भारतीयों में एक थे.

चौधरी चरण सिंह की तबीयत जब नासाज रहने लगी तो पिता की मदद के लिए लौट आये यहां 1980 में चौधरी चरण सिंह ने उन्हें लोकदल की कमान सौंप दी.

पहली बार साल 1986 में वो बार उत्तर प्रदेश से होते हुए राज्यसभा पहुंच गये इसके एक साल के बाद ही उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गयी साल 1987 में उन्‍हें लोकदल का अध्‍यक्ष बना दिया गया एक साल बाद कद और बढ़ा तो उन्हें 1988 में जनता पार्टी के अध्‍यक्ष घोषित कर दिया गया.

1986 में राज्यसभा पहुंचते ही उनके सफर की शुरुआत हो गयी लेकिन चुनावी राजनीति में अजित सिंह ने 1989 में कदम रखा और बागपत की सीट से लोकसभा का चुनाव जीता. साल 1998 में अजित सिंह इस सीट पर भाजपा नेता सोमपाल शास्त्री से चुनाव हार गये. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) बनाई और 1999 में फिर चुनाव जीत गये.

इस जीत के बाद वो लगातार 2009 तक इस सीट से जीतते रहे.

साल 2014 में उन्हें फिर एक बार हार का सामना करना पड़ा जब भाजपा के ही नेता सत्यपाल ने उन्हें मात दे दी. 2019 में उन्होंने सीट बदली मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन फिर हार गये. चुनावी राजनीति में भले उतार चढ़ाव रहा हो लेकिन अपने पिता की विरासत को उन्होंने उतनी ही मजबूती से संभाला. देश की राजनीति में उनकी भूमिका प्रमुख रही. आज उनके निधन पर देश के प्रधानमंत्री समय सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्ष से जुड़े तमाम बड़े नेताओं ने शोक व्यक्त किया है ।

रालोद के राष्ट्रीय महासचिव कैप्टन शिवकरण सिंह ने उनके निधन को किसानों और मजदूरों का बड़ा नुकसान बताया है। चौधरी चरण सिंह के निधन पर आयोजित एक वर्चुअल शोक सभा को संबोधित करते हुए कैप्टन शिव करण सिंह ने कहा है कि चौधरी साहब जीवन भर किसानों और मजदूरों के लिए संघर्ष करते रहे उनके आदर्शों पर चलना ही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

रिपोर्ट – दीपक मिश्रा

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