कोरोना को हराने में एड्स की दवा और चाय के रासायनिक तत्व कारगर, पढ़िए यह लेख!

रिपोर्ट – आराधना शुक्ल

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता में सुधार और उपचार के लिए हाइड्रोक्लोरोक्वीन की जगह एचआईवी रोधी दवाइयों के उपयोग की संभावना व्यक्त की है। वहीं दूसरी ओर अब कहा जा रहा है कि एचआईवी रोधी दवाओं की तुलना में चाय रसायन भी प्रतिरक्षा बढ़ाने और कोरोनावायरस की गतिविधियों को अवरुद्ध करने में अधिक प्रभावी साबित हो सकते हैं। चाय में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जरूरी रसायन मौजूद हैं जो एचआईवी रोधी दवाओं की तुलना में अधिक कारगर साबित हो सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के मौके पर जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान में आयोजित एक वेबीनार के दौरान कांगड़ा चाय के बारे में बोलते हुए यह बात संस्थान के निदेशक डॉ संजय कुमार ने कही। उन्होंने कहा- “चाय में ऐसे रसायन होते हैं जो कोरोना वायरस की रोकथाम में एचआईवी रोधी दवाओं की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकते हैं।”

डॉ संजय कुमार ने आगे बताया कि, “हमारे वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर आधारित मॉडल का उपयोग करते हुए जैविक रूप से सक्रिय 65 रसायनों का पॉलिफिनॉल्स का परीक्षण किया है जो विशिष्ट वायरल प्रोटीन को एचआईवी रोधी दवाओं की तुलना में अधिक कुशलता से बांध सकते हैं। यह मानव रसायन उन वायरल प्रोटीन की गतिविधि को अवरुद्ध कर सकते हैं जो मानव कोशिकाओं में वायरस को पनपने में मदद करता है।”

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद से संबंध आईएचबीटी अपने प्रौद्योगिकी साझेदारों के साथ मिलकर चाय आधारित प्राकृतिक सुगंधित तेलों से युक्त अल्कोहल हैंड सैनिटाइजर का भी उत्पादन व आपूर्ति कर रहा है। आईएचबीटी में चाय के अर्क के उपयोग से हर्बल साबुन भी बनाया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि साबुन प्रभावी रूप से फफूंदी-रोधी, जीवाणु-रोधी, वायरस-रोधी गुणों से युक्त है।हिमाचल की दो कंपनियों द्वारा साबुन का उत्पादन किया जा रहा है।
इस अवसर पर चाय के सिरके की तकनीक धर्मशाला की कंपनी मेसर्स काश आई विश को हस्तांतरित की गई है।

चाय के सिरके में मोटापा रोधी गुण होते हैं। इसके अतिरिक्त आयुष द्वारा सिफारिश की गई जड़ी बूटियों से युक्त हर्बल ग्रीन और ब्लैक टी उत्पादों को भी लॉन्च किया गया है। इन उत्पादों को सीएम स्टार्टअप योजना के तहत मंडी के उद्यमी परितोष भारद्वाज द्वारा विकसित किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु यह उत्पाद बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं।

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