कोरोना के चलते इस अवधि में स्वस्थ रहना लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। यद्यपि करोना संक्रमण काल में लोग अपने खानपान पर विशेष ध्यान दे रहे हैं लेकिन लोगों को यह नहीं पता है कि उनकी थाली में क्या होना चाहिए? हाल ही में ICMR के हैदराबाद स्थित, न्यूट्रीशन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसके मुताबिक रोजाना हमारी डाइट दो हजार कैलोरी की होनी चाहिए परन्तु यह दो हजार कैलोरी हमारी डाइट में किसी एक खाद्य पदार्थ से नहीं, बल्कि अलग-अलग खाद्य पदार्थों से आनी चाहिए।
इस संबंध में ICMR के वैज्ञानिकों का क्या कहना है?
ICMR के वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारे खाने में ऊर्जा प्राप्त करने के एक नहीं, बल्कि कई स्रोत होने चाहिए। किसी एक खाद्य पदार्थ पर निर्भर रहने से हमें आवश्यक ऊर्जा तो मिल जाएगी, परन्तु हमारी शरीर में विटामिन, कैल्शियम और प्रोटीन का संतुलन बिगड़ सकता हैं।
ICMR के अनुसार कैसा हो हमारा डाइट चार्ट?
• ICMR के मुताबिक हमें रोज अपने खाने में 270 ग्राम अनाज (रोटी, चावल) शामिल करना चाहिए। इससे हमें दो हजार कैलोरी का करीब 45% हिस्सा मिल जाएगा। खाने में 90 ग्राम दाल रखनी चाहिए, इससे हमें 17% कैलोरी ऊर्जा मिल जाएगी।
• खाने में रोज 300 ग्राम दूध और दही का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे हमारी रोज की जरूरत की 10% कैलोरी ऊर्जा मिल जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दिन में एक बार 150 ग्राम फल भी जरूर खाना चाहिए। इससे हमें जरूरी कैलोरी का 3% हिस्सा मिलता है।
• खाने में 20 ग्राम नट्स और सीड्स (अंकुरित बीज) को शामिल करना आवश्यक है, इससे हमें जरूरी कैलोरी का 8% हिस्सा मिल जाएगा। खाने में 27 ग्राम घी और फैट्स शामिल करने से 12% ऊर्जा मिल जाएगी।
शहर और गांव में लोग अभी रोज क्या खा रहे हैं?
• ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक ऊर्जा के स्रोत के तौर पर हमारी सिर्फ 45% निर्भरता अनाज पर होनी चाहिए परन्तु शहरों और गांवों में अभी ऐसा नहीं हो रहा है। यहां यह औसत बिगड़ा हुआ है। शहरों में लोगों की 51% निर्भरता अनाज पर है। वहीं गांवों में 65.2% निर्भरता अनाज पर है।
• वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊर्जा के स्रोत के तौर पर हमें दालों, बीन्स , मांस, अंडे और मछली को अपने खाने में ज्यादा शामिल करना चाहिए, जबकि अभी ऐसा नहीं है। ऊर्जा के लिए इन चीजों पर अभी लोगों की निर्भरता मात्र 11% है जबकि यह 17% होनी चाहिए।
• ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सब्जियों पर हमारी निर्भरता 5% होनी चाहिए। लेकिन गांवों में इस बात का पालन सिर्फ 8.8% और शहरों में 17% लोग ही कर रहे हैं। नट्स और ऑयल सीड्स पर गावों के लोगों की निर्भरता 22% है, जबकि शहरी लोगों की निर्भरता 27% है। आईसीएआर के मुताबिक यह घटना चाहिए।
• रिपोर्ट के मुताबिक शहरों में लोग 11% ऊर्जा के स्रोत के तौर पर स्नैक्स और मिठाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं, यह कम होना चाहिए। अच्छी गुणवतता की प्रोटीन का इस्तेमाल गांव में 5% और शहरों में 18% लोग कर रहे हैं, जबकि इसे बढ़ाने की जरूरत है।
ज्यादा मात्रा में स्नैक खाने का मतलब है कि आप अच्छे खाने से दूर जा रहे।
• रायपुर में डायटीशियन डॉक्टर निधि पांडेय कहती हैं कि शहरों मे लोग ज्यादा स्नैक खा रहे हैं, यह सेहत के लिए बिल्कुल सही नहीं है। ज्यादा मात्रा में स्नैक खाने का मतलब है कि आप अच्छे खाने से दूर जा रहे हैं। इससे शरीर को जरूरी ऊर्जा भी नहीं मिलती है।
• ICMR के डाइट चार्ट के बारे में डॉक्टर निधि कहती हैं हम सूर्य की रोशनी, दही, गुड़ और चने से भी काफी हद तक हम अपनी जरूरत की ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। हमारे पास हर चीज का विकल्प है, बस हमारा ध्यान ताजा और प्रोटीन युक्त खाने पर होना चाहिए।
• ऑफिस जाने वाले लोग काफी व्यस्त होते हैं, इसलिए वो ICMR के डाइट चार्ट पर पूरी तरह से कायम नहीं रह पाते हैं। इसलिए उन्हें सूखे मेवों पर अपनी निर्भरता बढ़ानी चाहिए। ये ऊर्जा के सबसे अच्छे स्रोत होते हैं। इनके इस्तेमाल से शरीर में विटामिन का संतुलन भी बना रहता है।
रिपोर्ट- विकास चन्द्र अग्रवाल