जालसाजी करने वालों के होश उड़ गए, जब फर्जी विजिलेंस अधिकारियों का हुआ, असली आईपीएस से सामना।

रिपोर्ट – राहुल तिवारी

नीली बत्ती वाली चमचमाती हुई इनोवा कार और कार में सवार कथित विजिलेंस अधिकारी …खुद को आईआरएस बताने वाले मनीष कुमार डिप्टी कमिश्नर विजिलेंस के रूप में नई दिल्ली नोएडा और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में खुद छापेमारी करने पहुंच जाता था… कई बार आईजीआरएस की शिकायतों की जांच करने पहुंच जाता था।

दरअसल यह गिरोह खुद ही अपने लोगों से शिकायतें डलवाता और व्यापारियों के खिलाफ जांच करने पहुंच जाता और उन्हें ब्लैकमेल करके मोटी रकम वसूल लेता।

लेकिन जालसाज को यह नहीं पता था की गलत कामों की उम्र बहुत छोटी होती है। 3 साल से ठगी ब्लैक मेलिंग और नौकरी देने के नाम पर लोगों की गाढ़ी कमाई हड़पने वाले यह लोग नीली बत्ती लगी हुई चमचमाती हुई इनोवा कार से निकलते थे, जलवा ऐसा कि सामने वाला इनके भौकाल में आ जाता था।

लोग इन्हें असली अधिकारी समझ लेते थे इनोवा की अगली सीट पर एक तरफ ड्राइवर बैठता था और दूसरी तरफ राइफल धारी गनर बैठा होता था और पीछे फ्रॉड के विशेषज्ञ साहब लोग बैठते थे।

जब यह लोग निकलते थे तो माहौल ऐसा बनाते थे कि लगता था कि वाकई में बड़े अधिकारियों की टीम आ गई है ऐसे में कई बार व्यापारी घबराकर इनके जाल में फस जाते थे और इन्हें मुंह मांगी रकम देकर इनके शिकंजे से बचने की कोशिश करते थे। ऐसी ही कई शिकायतों के बाद इटावा के एसएसपी ने इस फर्जी डिप्टी कमिश्नर की घेराबंदी की।

एसएसपी आकाश तोमर ने क्राइम ब्रांच और इटावा के सिविल लाइन थाने की टीम को इस गिरोह के पीछे लगाया जिसके बाद पुलिस को बड़ी सफलता मिली और नकली आईआरएस अधिकारियों को पुलिस ने दबोच लिया।

इनके गैंग में दो कथित पत्रकार भी शामिल बताए जा रहे हैं, लोगों पर दबाव बनाने के लिए कई चैनलों की माइक आईडी का भी इस्तेमाल करते थे। मुख्य मास्टरमाइंड पहले बैंक में अधिकारी था लेकिन गैर कानूनी गतिविधियों की वजह से बैंक से निकाल दिया गया तो खुद को फर्जी आईआरएस और डिप्टी कमिश्नर बना कर अवैध उगाही में जुट गया।

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